इस्लामाबादः पाकिस्तान इस वक्त भीषण आर्थिक संकट से गुजर रहा है और देश कर्ज और मदद के पैसे से चल रहा है. इसके बावजूद भी पाकिस्तान की भारत को लेकर एेंठन अभी नहीं गई है. पाकिस्तान के प्रधान मंत्री शाहबाज़ शरीफ ने कहा है कि भारत पाकिस्तान जैसे एक परमाणु-सशस्त्र संपन्न देश पर बुरी नज़र डालने की हिमाकत नहीं कर सकता है. शरीफ ने कहा है कि पाकिस्तान के पास अपने दुश्मन को अपने पैरों तले कुचलने की ताकत अभी भी बरकरार है. हालांकि, शरीफ का यह बयान भारत को लेकर उनके मन में बैठा डर भी हो सकता है.  

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शरीफ पहले भी कर चुके हैं अपने परमाणु ताकत होने का घमंड 
पीओके में एक संबोधन के दौरान शरीफ ने कहा कि पाकिस्तान एक परमाणु शक्ति है और भारत हमें बुरी नज़र से नहीं देख सकता है. हमारे पास इसे बाहर निकालने और इसे कुचलने की शक्ति है. पाकिस्तान के पीएम ने कश्मीरियों के लिए आजादी पाने के लिए आर्थिक और राजनीतिक स्थिरता हासिल करने की जरूरत को रेखांकित करते हुए कश्मीर मुद्दे को फिर से उठाया है. उन्होंने कहा, “भारतीय उत्पीड़न से आजादी मिलने तक पाकिस्तान कश्मीर मुद्दे को नैतिक, कूटनीतिक और राजनीतिक समर्थन देना जारी रखेगा. हालांकि,  यह पहली बार नहीं है जब पाकिस्तान भारत के सामने अपनी परमाणु शक्ति का प्रदर्शन कर रहा है.

इशारों-इशारों में भारत को धमकी 
इतवार को पीओके की रैली में शरीफ को यह कहते सुना गया, “ये जो बड़ी बड़ी रियासते हैं जिन्हांने जम्हूरियत के लिबास ओढ़ रखें हैं, अब जिसकी लाठी उसकी भैंस वाला निजान नहीं चलेगा. हालाँकि, इस जनवरी की शुरुआत में दुबई स्थित अल अरबिया टीवी के साथ एक इंटरव्यू में, पाकिस्तान के प्रधान मंत्री ने कहा कि भारत के साथ तीन जंग लड़ने के बाद उसने अपना सबक सीख लिया है और अब वह अपने पड़ोसी के साथ शांति चाहता है. शरीफ ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ “कश्मीर जैसे ज्वलंत बिंदुओं“ पर “गंभीर बातचीत“ करने की भी अपील की थी. उन्होंने कहा था कि  भारतीय नेतृत्व और प्रधान मंत्री मोदी को मेरा संदेश है कि आइए टेबल पर बैठें और कश्मीर जैसे हमारे ज्वलंत बिंदुओं को हल करने के लिए गंभीर और ईमानदार बातचीत करें. 
इस बीच, पीओके में इतवार की रैली में पाकिस्तान के पीएम ने अपने देश के सामने आने वाले वित्तीय संकट पर बात की. उन्होंने कहा, “हम बड़ी वित्तीय चुनौतियों का सामना कर रहे हैं. जब मैं यहां आपसे बात कर रहा हूं, तो इस्लामाबाद में आईएमएफ का एक प्रतिनिधिमंडल हर किताब और एक-एक पैसे की सब्सिडी की जांच कर रहा है.“ “हमें जीना है, लेकिन जीवित राष्ट्रों की तरह, न कि भीख के कटोरे के साथ. 


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