Saudi Arab Loudspeaker Guidlines: रमजान का पवित्र महीना शुरू होने वाला है. इससे पहले भारतीय मीडिया संस्थानों ने एक खबर बड़े ही शोर-शराबे के साथ चलाई कि सऊदी अरब ने रमजान से पहले मस्जिदों में लाउड स्पीकर्स पर पाबंदी लगा दी है और दुनिया भर के मुसलमानों को सऊदी अरब से सबक लेना चाहिए. खास तौर पर हिंदुस्तानी मुसलमान सऊदी अरब के इस कदम पर अमल करें, ताकि भारत में जो लोग लाउडस्पीकर के खिलाफ आवाज़ उठा रहे हैं उनकी मांगें पूरी हो सकें. 


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हालांकि जब जांच की गई तो पता चला कि सऊदी अरब में लाउड स्पीकर बैन की कहानी कुछ और ही है. दरअसल जब जांच की गई तो पता चला कि सऊदी अरब ने लाउडस्पीकर पर बैन नहीं लगाया बल्कि कुछ गाइडलाइंस जारी की हैं. हर साल की तरह इस साल भी रमजान के महीने से पहले इस्लामिक मामलों के मंत्रालय ने गाइड लाइंस जारी की थी. 10 प्वाइंट्स में जारी की गई गाइडलाइंस में कही भी लाउडस्पीकर पाबंदी की बात नहीं कही गई है. 


हां, गाइडलाइंस के छठे प्वाइंट में इतना जरूर कहा गया है कि मस्जिदों से नमाज़ के लाइव प्रसारण पर पाबंदी लगी है. इसके अलावा सातवें प्वाइंट में कहा गया कि एतिकाफ (रमजान के आखिरी 10 दिनों के लिए मस्जिद में रहना और इबादत करना होता है, मस्जिद में कोई भी आम शख्स को यह काम करने की इजाज़त होती है) के लिए इमाम जिम्मेदार होगा, वह पहचान पत्र देखकर ही लोगों को एतिकाफ में बैठने की अनुमति देगा.



आठवें प्वाइट्स में कहा गया है कि इफ्तार के लिए किसी भी तरह का चंदे पर पाबंदी रहेगी. वहीं नौवें प्वाइंट के मुताबिक इफ्तार तय जगह पर ही की जाए और मस्जिदों में इफ्तार का इंतेजाम करना इमाम और मोज्ज़िन की जिम्मेदारी होगी. वहीं आखिरी यानी 10वें प्वाइंट्स में लोगों को सलाह दी गई है कि छोटे बच्चों को मस्जिद ना लाएं. 


मंत्रालय की तरफ से जारी की गईं गाइडलाइंस में कहीं भी ऐसा नहीं है जिसमें लाउडस्पीकर को लेकर कुछ कहा गया है. लेकिन जब हम रिसर्च कर रहे थो तो गल्फ न्यूज की एक खबर में दावा किया गया है कि नमाज़ अदा करने के लिए लाउडस्पीकर की तादाद 4 तक सीमित कर दी गई है. 



इसके अलावा urdunews.com की एक खबर के मुताबिक सऊदी अरब के इस्लामी मामलों के मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा कि मंत्रालय ने सऊदी अरब की सभी मस्जिदों को लिखित तौर पर आदेश दिया है कि मस्जिद के लाउड स्पीकर सिर्फ अज़ान और तकबीर (नमाज़ के आगाज़ में पढ़ी जाती है) के लिए इस्तेामल किए जाएं. साथ ही उनकी आवाज़ का लेवल एक तिहाई से ज्यादा रखने पर पाबंदी लगाई है. साथ ही उन्होंने कहा कि मगरिब (सूरज छिपने के बाद वाली नमाज़), इशा (देर रात होने वाली नमाज़) और फज्र (सुबह सवेरे पढ़ी जाने वाली नमाज़) बाहरी लाउडस्पीकर (जो मस्जिद के बाहर लगे होते हैं) इस्तेमाल करने की इजाज़त नहीं है. हालांकि अज़ान के वक्त उन्हें भी इस्तेमाल किया जाएगा लेकिन नमाज़ पढ़ते वक्त उनको बंद कर दिया जाएगा. इस दौरान सिर्फ मस्जिद के अंदरूनी हिस्से में लगे माइक चलते रहेंगे.