काबुल: काबुल की सड़कों पर शनिवार को 'भोजन, काम और आजादी' के नारे लगा रहीं दर्जनों महिलाओं के शांतिपूर्ण विरोध पर तालिबान बलों ने हमला किया और उसे रोक दिया. डीपीए समाचार एजेंसी की रिपोर्ट के अनुसार, सोशल मीडिया वायरल एक वीडियो में तालिबान बलों को शहर के बीचों-बीच भीड़ को तितर-बितर करने के लिए चेतावनी देते हुए और महिलाओं को शारीरिक रूप से प्रताड़ित करते हुए दिखाया गया है.


महिलाओं को घेरा गया


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एक अन्य वीडियो क्लिप में महिलाओं के एक छोटे समूह को तालिबान द्वारा एक बंद जगह पर घेरते हुए दिखाया गया है. एक वीडियो में एक कार्यकर्ता ने कहा, "हम एक दवा की दुकान के अंदर हैं, उन्होंने हमें यहां कैद कर लिया है."
प्रदर्शनकारियों ने यह भी कहा कि वे महिलाओं के साथ भेदभाव से थक चुके हैं. 


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तालिबान ने की महिलाओं के अधिकार में कटोती


जैसे-जैसे तालिबान शासन की एक वर्ष की सालगिरह करीब आ रही है, महिलाएं एक बार फिर सड़कों पर शिक्षा, काम और आंदोलन की स्वतंत्रता के अधिकारों पर शासन द्वारा लगाए गए प्रतिबंधों की निंदा करने के लिए सड़कों पर हैं.
अगस्त 2021 में सत्ता में लौटने के बाद से तालिबान ने बुनियादी महिलाओं के अधिकारों में कटौती की है और विरोध करने वालों को दबा दिया गया है. किसी भी देश ने तालिबान की वास्तविक सरकार को मान्यता नहीं दी है.


2015 में सत्ता हासिल की


ख्याल रहे कि तालिबान ने साल 2021 में 15 अगस्त में अफ्गानिस्तान पर कब्जा कर लिया था. इसके बाद से यहां अमरीका के सैनिक चले गए थे. इसके बाद से अफ्गानिस्तान मंदी के दौर से गुजर रहा है. यहां महिलाओं की शिक्षा पर पाबंदी है. उनके हक में कटौती की जा रही है. तालिबान के अफ्गानिस्तान पर कब्जे के बाद ही कई अफ्गानी देश छोड़ कर भाग गए. एक रिपोर्ट के मुताबिक स्पेन ने 3900 अफ्गानियों को पनाह दी है.
(आईएएनएस)


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