Purvabhadra Nakshatra: इस नक्षत्र का व्यक्ति, जिसका दिल से सम्मान करता है तो उसके प्रति वह पूरी निष्ठा और ईमानदारी भी रखता है. उसकी बातों को सदैव सिर-आंखों पर लेता है.
Trending Photos
Purvabhadra Nakshatra Good or Bad: तारामंडल के 25वें नक्षत्र का नाम है पूर्वाभाद्रपद. पूर्वाभाद्रपद के दो तारों से बनी रेखा को कुछ विद्वानों ने सूर्य की एक किरण माना है. पूर्वाभाद्रपद का अर्थ होता है, शुभ पद यानी भाग्यशाली पावों वाला नक्षत्र. भाद्र या भद्र का अर्थ होता है सज्जन, शुभ, कल्याणकारी या भाग्य में वृद्धि करने वाला और पद का अर्थ चरण या पांव से है. इस प्रकार पूर्वाभाद्रपद ऐसा नक्षत्र है, जिसके आगमन से लोगों का कल्याण हो और वह लोगों के लिए शुभ हो.
पूर्वाभाद्रपद के देवता हैं, अज एकपाद. कुछ लोग एक पाद वाला बकरा मानते हैं तो कुछ विद्वानों ने एक पैर वाला अजन्मा माना है. भगवान शिव जब तांडव करते हैं तो बहुधा एक टाग पर ही अपनी देह को संतुलित करते हैं. इस प्रकार शिव ही यह अज एक पाद देवता हैं. यह नक्षत्र कुंभ राशि और मीन राशि को जोड़ने वाला होता है, इसलिए जिन लोगों की कुंभ राशि या मीन राशि है, उनका यह नक्षत्र हो सकता है.
गुण
इस नक्षत्र का व्यक्ति, जिसका दिल से सम्मान करता है तो उसके प्रति वह पूरी निष्ठा और ईमानदारी भी रखता है. उसकी बातों को सदैव सिर-आंखों पर लेता है. यह लोग बहुत ही जी तोड़ मेहनत करते हैं और अपने लक्ष्य को पाने के लिए साम, दाम ,दंड, भेद सभी का इस्तेमाल करते हैं. यह लोग सेविंग यानी बचत करने में एक्सपर्ट होते हैं. धन के प्रति इनका ऐसा लगाव होता है कि वह उसे जोड़ते रहने में ही विश्वास करते हैं.
ऐसे लोग सांसारिक और आध्यात्मिक दोनों क्षेत्रों में अपना एक स्थान बनाने में सक्षम होते हैं. यह लोग पुराने डाटा या इतिहास को बहुत अच्छी तरीके से अपने कार्य में उपयोग में लाते हैं, साथ ही ये पुरानी बातों से कुछ सीखते भी हैं. सामान्यतः लगता है कि इनकी धन के प्रति कुछ आशक्ति होती है, लेकिन जब कभी भी परिवार, मित्र या किसी अन्य निकटतम व्यक्ति को किसी प्रकार की आवश्यकता होती है तो ये मदद करने में बिल्कुल नहीं हिचकते हैं. जोखिम भरे कार्य करने में पीछे नहीं हटते हैं, साथ ही ऐसी मशीनों या यंत्र में कार्य करने में रूचि रखते हैं, जिनमें जरा सी चूक प्राणों पर संकट ला सकती है.
इस नक्षत्र में जन्मे व्यक्ति का संबंध गुरु के साथ होता है. पूर्व जन्म में भी इनको गुरु की कृपा प्राप्त हो चुकी होती है और इस जन्म में भी गुरु के मार्गदर्शन से यह लाभान्वित होते हैं. ऐसे लोग अपने गुरु का बहुत अधिक सम्मान करते हैं और उनके एक आदेश पर जनकल्याण के लिए अपना संचित किया हुआ धन देने में तनिक भी देर नहीं करते हैं.