Krittika Nakshatra: इन्हें इस बात का बहुत अधिक ध्यान रखना चाहिए कि किसी से भी बात करते समय सभ्यता और शिष्टता का पालन करें. अक्सर यह लोग बातचीत करने में कुछ ऐसे शब्द मुंह से निकाल देते हैं, जो सामने वाले को ठीक नहीं लगते हैं.
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Krittika Nakshatra Characteristics: नक्षत्रों में तीसरा स्थान है कृतिका नक्षत्र का. इस नक्षत्र का कुछ हिस्सा मेष राशि में आता है और शेष वृष राशि में आता है, इसलिए मेष या वृष राशि वाले लोगों का कृतिका नक्षत्र हो सकता है. इस नक्षत्र में जन्मे लोग बहुत अधिक बंदिशों में रहना पसंद नहीं करते हैं और स्वाभिमानी इतने कि किसी दूसरे से कोई दया नहीं लेना चाहते हैं.
इन्हें इस बात का बहुत अधिक ध्यान रखना चाहिए कि किसी से भी बात करते समय सभ्यता और शिष्टता का पालन करें. अक्सर यह लोग बातचीत करने में कुछ ऐसे शब्द मुंह से निकाल देते हैं जो सामने वाले को ठीक नहीं लगते हैं. इसके परिणाम स्वरूप नुकसान उठाना पड़ जाता है. यह अपनी मर्जी के मालिक होते हैं जो आज के संदर्भ में उचित नहीं है. इन्हें राजसिक ठाट बाट और रहन सहन पसंद होता है जो लोकतांत्रिक व्यवस्था में नुकसानदेह है. हर कार्य अपनी मर्जी और मूड से नहीं किया जा सकता है. इन्हें स्वास्थ्य के मामले में सचेत रहना चाहिए. इन्हें नेत्र, पित्त, गैस्ट्रिक समस्या, दिमागी बुखार, सिर की गर्मी आदि से संबंधित रोग होने की प्रबल आशंका रहती है. इनके लिए स्वास्थ्य में लापरवाही घातक हो सकती है.
इस तरह बढ़ाएं पावर
कृतिका नक्षत्र वालों को अपने नक्षत्र को और बलवान बनाने के लिए गूलर के वृक्ष की सेवा करनी होगी. इसे उदुम्बर भी कहा जाता है. यह ग्रामीण और शहरी हर स्थान पर पाया जाता है. इस पेड़ की लकड़ी का प्रयोग हवन की समिधा में होता है. इसका फल पित्त, उदर, मूत्र रोग, जोड़ दर्द और नेत्र संबंधी रोगों के लिए लाभप्रद होता है. इस पेड़ के दूध का प्रयोग भी दवाओं में काम आता है. इसकी जड़ से लेकर फल तक का इस्तेमाल औषधि में किया जाता है इसलिए इसे पंचपल्लव में स्थान दिया गया है. कृतिका नक्षत्र वालों को अपने उत्थान के लिए के लिए गूलर के पेड़ लगाने चाहिए और उसे पानी आदि देकर संरक्षण भी करना चाहिए. अपने स्वास्थ्य लाभ के लिए पेड़ से प्रार्थना भी करनी चाहिए.