purva phalguni nakshatra: काफी भाग्यशाली होते हैं इस नक्षत्र में जन्में लोग, समाज में प्राप्त करते हैं विशेष सम्मान
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purva phalguni nakshatra: काफी भाग्यशाली होते हैं इस नक्षत्र में जन्में लोग, समाज में प्राप्त करते हैं विशेष सम्मान

purva phalguni nakshatra lord: इस नक्षत्र के देवता भग हैं. भग देव को भोर का तारा या मॉर्निंग स्टार भी कहते हैं. यह सूर्य की माता अदिति के बारह पुत्रों में से एक यानी सूर्य के भाई हैं. भग को सुख, वैभव, आनंद प्रदान करने वाला माना जाता है.

नक्षत्र

purva phalguni nakshatra famous personalities: तारामंडल में 11वां नक्षत्र पूर्वा फाल्गुनी नक्षत्र कहलाता है. यह नक्षत्र भी मघा की तरह हिंदी मास से लिया गया है, जिसे हम फाल्गुन या फागुन कहते हैं. पूर्वा फाल्गुनी का अर्थ होता है, चारपाई, दीवान या फिर तख्त के आगे वाले दो पांव. इसको समझने के लिए यह याद रखना जरूरी है कि इसके पहले दसवां नक्षत्र मघा होता है. मघा का अर्थ है सिंहासन और उसके बाद आया है पूर्वा फाल्गुनी यानी चारपाई इस आधार पर इस नक्षत्र को विश्राम का नक्षत्र भी कहा जाता है. 

इस नक्षत्र के देवता भग हैं. भग देव को भोर का तारा या मॉर्निंग स्टार भी कहते हैं. यह सूर्य की माता अदिति के बारह पुत्रों में से एक यानी सूर्य के भाई हैं. भग को सुख, वैभव, आनंद प्रदान करने वाला माना जाता है. यह नक्षत्र सिंह राशि में पड़ता है, इसलिए जिन लोगों की भी सिंह राशि है, उनका पूर्वा फाल्गुनी नक्षत्र हो सकता है. 

गुणों से संपन्न

पूर्वा फाल्गुनी नक्षत्र में जन्मे व्यक्ति भाग्यशाली होते हैं और समाज में, इन्हें विशेष सम्मान प्राप्त होता है. इनके भीतर आत्म विश्वास बहुत ज्यादा होता है और इनमें नेतृत्व करने की क्षमता बचपन से ही होती है. इस नक्षत्र के जन्मे लोग पुराने विवादों को समाप्त कराने की क्षमता रखते हैं, इसलिए मध्यस्थता में इनकी उपयोगिता बहुत होती है. ऐसे लोगों को ऑफिस में सामूहिक जिम्मेदारी वाले कामों की बजाय एकल जिम्मेदारी वाले काम लेने चाहिए, क्योंकि यह अकेले बड़ी जिम्मेदारी निभाने में एक्सपर्ट होते हैं.  

इस नक्षत्र वाली जो महिलाएं गृहणी होती हैं, उनको रसोई में बहुत ज्यादा हस्तक्षेप पसंद नहीं होता है या यू कहें वो अकेले ज्यादा अच्छा कार्य कर पाती हैं. अधिक लोगों के कार्य करने पर उनको असुविधा होती है. इस नक्षत्र का संबंध शिवलिंग की उपासना से भी है. शिवलिंग पर नित्य दुग्ध मिश्रित जल चढ़ाना, रुद्राभिषेक करना, लिंगाष्टकम का नित्य पाठ करना या फिर नमः शिवाय का जाप करना इन लोगों को बहुत पसंद होता है और इन्हें ऐसा करना भी चाहिए. 

वैसे ये लोग बहुत ज्यादा खोजी प्रवृत्ति के नहीं होते हैं न ही बहुत ज्यादा ज्ञान लेने और न ही नई चीजों को सीखने में रुचि रखते हैं. मूलभूत रूप से यह लोग सुख को ज्यादा वरीयता देते हैं या यूं कहें कि इनकी लिस्ट में सुख काफी ऊपर होता है. इनका अपना एक दायरा और अपनी दुनिया होती है. यह उसी दुनिया में बहुत ही आनंदित रहते हुए अपने जीवन का निर्वाह कर सकते हैं. ऐसे लोगों की प्रायोरिटी लिस्ट में धन सबसे ऊपर नहीं होता है. इनके लिए सुख और सम्मान ही सर्वोपरि होता है.

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