अमेरिका के बिना टीपीपी-11 केवल वैश्विक अर्थव्यवस्था का 13.5 प्रतिशत का ही प्रतिनिधित्व करता है.
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डा नांग (वियतनाम): राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की ‘अमेरिका पहले’ की नीति के तहत एकला चलो का मार्ग अपनाने के बाद एशिया-प्रशांत क्षेत्र के 11 देशों के व्यापार मंत्रियों ने अमेरिका के बिना ही प्रमुख व्यापार समझौते ‘ट्रांस पेशिफिक पार्टनरशिप' पर आगे बढ़ने पर सहमति जताई है. इस साल की शुरुआत में अमेरिका ने खुद को व्यापार समझौते 'ट्रांस एशिया साझेदारी (टीपीपी)' से अलग कर लिया था. वियतनाम के डा नांग शहर में आयोजित एपेक (एशिया प्रशांत आर्थिक सहयोग) शिखर सम्मेलन से इतर बचे हुए देशों ने संयुक्त बयान में कहा, "वे समझौते के मुख्य तत्वों पर सहमत हुए हैं." पिछले कई दिनों से वार्ता स्थगित रहने के कारण बातचीत टूटने की आशंका जताई जा रही थी.
कनाडा के वाणिज्य मंत्री फ्रैंकोइस-फिलिप चैंपाग्ने ने अपने ट्वीट में इसे समझौते की दिशा में "बड़ी प्रगति" बताया है. कनाडा ने समझौते में मुक्त बाजार से जुड़े पर्यावरण और श्रम सुरक्षा संबंधी तत्वों को बनाए रखने के लिए कहा था. इस साल की शुरुआत में अमेरिका द्वारा अचानक सौदे से हाथ खींच लेने के कारण यह तत्व खतरे में पड़ गए थे, इसने शेष बचे देशों को समझौते के लाभ पर विचार करने को मजूबर किया. डानांग में आयोजित शिखर सम्मेलन में अमेरिकी राष्ट्रपति समेत कई नेताओं ने भाग लिया. अपने संबोधन में ट्रंप ने कहा कि उनका देश अनुचित व्यापार, बंद बाजार और बौद्धिक संपदा की चोरी को "अब और बर्दाश्त नहीं" करेगा.
उल्लेखनीय है कि एक समय अमेरिका ने टीटीपी को मुक्त व्यापार समझौतों के लिए "स्वर्ण मानक" बताया था क्योंकि यह सिर्फ शुल्क कटौती तक सीमित नहीं था. इसमें गैर-शुल्क प्रतिबंधों को हटाने और आवश्यक सदस्यों को श्रम कानून, पर्यावरण संरक्षण, बौद्धिक संपदा और सरकारी खरीद जैसे क्षेत्रों में उच्च स्तर के नियामक मानकों का अनुपालन करना शामिल किया गया था.
अमेरिका के बिना टीपीपी-11 केवल वैश्विक अर्थव्यवस्था का 13.5 प्रतिशत का ही प्रतिनिधित्व करता है. शेष देश इस बातचीत को टूटने से बचाने के प्रयास में हैं. विशेषकर ऐसे समय जब पूरी दुनिया में अमेरिका और यूरोप से होती हुई संरक्षणवादी हवा बह रही है.
(इनपुट एजेंसी से भी)