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नई दिल्ली : वित्त मंत्री अरुण जेटली ने आज ब्याज दरों में कटौती की वकालत करते हुए उम्मीद जताई कि रिजर्व बैंक अर्थव्यवस्था को गति देने के लिए पूंजी की लागत कम करने के कदम जरूर उठाएगा।
वित्त मंत्री ने कहा, पूंजी की लागत वाजिब होनी चाहिए। यदि आप नकदी का प्रवाह नहीं बढा पा रहे हैं, या सस्ती पूंजी उपलब्ध नहीं करा पाते हैं, तो ऐसे में यदि आपने अपनी अर्थव्यवस्था को खोला भी दिया है, तो भी वह काफी नहीं होगा। इसके लिए कई तरह की चीजें साथ-साथ करने जरूरत होती है। केंद्रीय बैंक ने उंची मुद्रास्फीति का हवाला देते हुए पिछले करीब दस माह से नीतिगत ब्याज दरों में बदलाव नहीं किया है। हालांकि, सरकार व उद्योग जगत द्वारा आर्थिक गतिविधियों को गति देने के लिए लगातार इसकी मांग की जा रही है। रिजर्व बैंक दो दिसंबर को मौद्रिक नीति की अगली द्वैमासिक समीक्षा करने वाला है।
जेटली ने कहा, यह उनका (रिजर्व बैंक) काम है कि दरों को मुद्रास्फीति के साथ संतुलित करें। मुझे विश्वास है कि वे पूरी कुशलता के साथ इस काम को पूरा करेंगे। लेकिन तथ्य यह है कि हमें इसी दिशा को पकड़ना है। हम धीरे लेकिन विश्वास के साथ इस दिशा में बढ़ रहे हैं। वित्त मंत्री ने कहा, मुझे यकीन है कि रिजर्व बैंक का नेतृत्व व संचालन प्रतिष्ठि और काबिल लोगों द्वारा किया जा रहा है। वे भी बातों को समझते हैं।
अक्टूबर में थोक मूल्य सूचकांक आधारित मुद्रास्फीति पांच साल के निचले स्तर 1.77 प्रतिशत पर आ गई थी। ईंधन व खाद्य वस्तुओं के दाम घटने से मुद्रास्फीति नीचे आई है। इसी तरह उपभोक्ता मूल्य सूचकांक आधारित मुद्रास्फीति भी अक्टूबर के अंत में घटकर 5.52 प्रतिशत पर आ गई। मुद्रास्फीति के दबाव में कमी के बाद अब व्यापक आधार पर उम्मीद जताई जा रही है कि रिजर्व बैंक मौद्रिक नीति की आगामी द्वैमासिक समीक्षा के समय ब्याज दरों के मोर्चे पर कुछ राहत देगा।