पूरब से पश्चिम तक, उत्तर से दक्षिण तक, वो अटल बिहारी वाजपेयी ही थे...
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पूरब से पश्चिम तक, उत्तर से दक्षिण तक, वो अटल बिहारी वाजपेयी ही थे...

1996 में जब अटल बिहारी वाजपेयी प्रधानमंत्री बने देश के चार बड़े महानगरों दिल्ली, मुंबई, कोलकाता और चेन्नई को चार से छह लेन वाले राजमार्गों के नेटवर्क से जोड़ने की एक योजना बनाई.

पूरब से पश्चिम तक, उत्तर से दक्षिण तक, वो अटल बिहारी वाजपेयी ही थे...

नई दिल्ली: मजबूत इंफ्रास्ट्रक्चर और बढ़िया ट्रांसपोर्ट सिस्टम के बिना कोई भी देश आर्थिक तरक्की नहीं कर सकता. कहा जाता है की आर्थिक तरक्की के कारण अमेरिका की सड़कें नहीं बल्कि सड़कों की वजह से अमेरिका का आर्थिक विकास हुआ. चीन का भी लगभग यही हाल है, अमेरिका के बाद चीन में ही बड़ा रोड नेटवर्क है. इस बात को पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने बहुत पहले ही भांप लिया था. यही वजह है कि साल 1996 में जब अटल बिहारी वाजपेयी प्रधानमंत्री बने देश के चार बड़े महानगरों दिल्ली, मुंबई, कोलकाता और चेन्नई को चार से छह लेन वाले राजमार्गों के नेटवर्क से जोड़ने की एक योजना बनाई. मैप पर देखे जाने पर यह राजमार्ग चतुर्भुज आकार का दिखता है और शायद इसी कारण इसे स्वर्णिम चतुर्भुज कहा गया.

2001 में लॉन्च हुई योजना
साल 1999 में योजना बनकर पूरी हुई और साल 2001 में आधिकारिक रूप से इसे लॉन्च कर इसके निर्माण कार्य की शुरुआत की गई. साल 2012 में जाकर यह परियोजना पूर्ण हुई. स्वर्णिम चतुर्भुज योजना के तहत बने इस राष्ट्रीय राजमार्ग की कुल लंबाई 5,846 कि.मी. है और इसके निर्माण में लगभग 6 खरब रुपए का खर्च आया. यह परियोजना भारत की सबसे बड़ी और दुनिया की पांचवी सबसे बड़ी परियोजना में शामिल है.

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ऐसे बनाया गया स्वर्णिम चतुर्भुज
स्वर्णिम चतुर्भुज योजना को पूरा करने के लिए इसे चार हिस्सों में बांटा गया. पहले भाग दिल्ली से कोलकाता को जोड़ता है, जिसकी कुल लंबाई 1454 किलोमीटर है. दूसरा भाग कोलकाता से चेन्नई तक विस्तृत है, जिसकी कुल लंबाई 1,684 किलोमीटर है. तीसरा हिस्सा चेन्नई और मुंबई के बीच फैला है, जिसकी कुल लंबाई 1,290 किलोमीटर है. अंतिम और चौथा भाग मुंबई से दिल्ली के बीच है और इसकी कुल लंबाई 1,419 किलोमीटर है.

13 राज्यों में स्वर्णिम चतुर्भुज
स्वर्णिम चतुर्भुज राजमार्ग देश के लगभग 13 राज्यों के मध्य से होकर गुजरता है. यह राष्ट्रीय राजमार्ग दिल्ली, महाराष्ट्र, पश्चिम बंगाल, तमिलनाडु, उत्तर प्रदेश, राजस्थान, गुजरात, कर्नाटक, उड़ीसा और आंध्र प्रदेश राज्यों से होकर जाता है.

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क्या है स्वर्णिम चतुर्भुज योजना
> स्वर्णिम चतुर्भुज परियोजना भारत की सबसे बड़ी और दुनिया की 5वीं सबसे बड़ी राजमार्ग परियोजना है.
> 2001 में तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने इसकी शुरुआत की थी और यह परियोजना 2012 में पूर्ण हुई.
> स्वर्णिम चतुर्भुज परियोजना पर करीब 60,000 करोड़ रूपये खर्च हुए.
> स्वर्णिम चतुर्भुज की कुल लंबाई 5,846 किलोमीटर है और यह भारत के 13 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों से होकर गुजरती है.
> स्वर्णिम चतुर्भुज देश के चार सबसे बड़े शहर नई दिल्ली, मुंबई, चेन्नई, कोलकाता को एक दूसरे से जोड़ दिया.
> स्वर्णिम चतुर्भुज ने अहमदाबाद, बेंगलुरु, कटक, जयपुर, कानपुर, पुणे, सूरत, विजयवाड़ा, अजमेर, विशाखापत्तनम, बोध गया, बनारस, आगरा, धनबाद, गांधीनगर, उदयपुर जैसे शहरों को जोड़ा.
> स्वर्णिम चतुर्भुज को चार भागों में बांटा गया है – पहला दिल्ली से कोलकाता 1454 किलोमीटर, दूसरा कोलकाता से चेन्नई 1684 किलोमीटर, तीसरा भाग 1290 किलोमीटर और चौथा भाग 1419 किलोमीटर का है.
> स्वर्णिम चतुर्भुज योजना के तहत आंध्र प्रदेश में सबसे अधिक 1014 किलोमीटर की सड़क बनाई गई. इसके साथ उत्तर प्रदेश में 756, राजस्थान में 725, कर्णाटक में 623, महाराष्ट्र में 487, गुजरात में 485, ओडिशा में 440, पश्चिम बंगाल में 406, तमिलनाडु में 342, बिहार में 204, झारखंड में 192, हरियाणा में 152 और दिल्ली में 25 किलोमीटर सड़क बनाई गई.

देश को इस योजना से क्या मिला
> प्रमुख शहरों और बंदरगाहों के बीच तेज परिवहन नेटवर्क प्रदान करती है
> भारत के प्रमुख कृषि, औद्योगिक और सांस्कृतिक केंद्रों को संपर्क मार्ग प्रदान करती है
> देश के भीतर माल और लोगों के एक सामान गति प्रदान करती है
> विभिन्न बाजारों तक पहुंच के माध्यम से छोटे शहरों में औद्योगिक विकास और रोजगार सृजन को सक्षम करती है
> किसान अपने उत्पाद की बिक्री और निर्यात के लिए प्रमुख शहरों और कस्बों तक पहुंच सकते हैं
> इस्पात, सीमेंट और अन्य निर्माण सामग्री के निर्माण और अप्रत्यक्ष मांग के माध्यम से अधिक आर्थिक विकास
> ट्रक परिवहन को प्रोत्साहन देती है

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