कैबिनेट: बैंकरप्सी कानून हुआ और सख्त, दिवालिया कंपनियों की मुश्किलें बढ़ेंगी
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कैबिनेट: बैंकरप्सी कानून हुआ और सख्त, दिवालिया कंपनियों की मुश्किलें बढ़ेंगी

वहीं, कैबिनेट की बैठक में होने वाले दूसरे बड़े फैसले में लेदर सेक्टर को राहत पैकेज देना का मामला फिलहाल टल गया है. 

बैंकरप्सी कानून में बदलाव के ऑर्डिनेंस को कैबिनेट मंजूरी. (फाइल फोटो: अरुण जेटली)

नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट बैठक में बैंकरप्सी कानून में बदलाव के ऑर्डिनेंस को मंजूरी दे दी है. ये अध्यादेश संसद के शीतकालीन सत्र में पेश होगा. इस अध्यादेश के लागू होने पर दिवालिया कंपनियों के प्रोमोटरों की मुश्किल बढ़ जाएंगी. वहीं, कैबिनेट की बैठक में होने वाले दूसरे बड़े फैसले में लेदर सेक्टर को राहत पैकेज देना का मामला फिलहाल टल गया है. 

  1. बैंकरप्सी कानून में बदलाव के ऑर्डिनेंस को कैबिनेट मंजूरी
  2. अध्यादेश लागू होने पर दिवालिया कंपनियों के प्रोमोटरों की मुश्किल बढ़ेंगी
  3. लेदर सेक्टर को राहत पैकेज देना का मामला कैबिनेट ने टाला

सरकारी बैंकों को होगा फायदा
कैबिनेट ने बैंकरप्सी कानून में बदलाव के ऑर्डिनेंस को मंजूरी दे दी है. इस अध्यादेश को संसद के शीतकालीन सत्र में पेश किया जाएगा. अध्यादेश लागू होने से दिवालिया कंपनियों के प्रोमोटर्स की मुश्किलें बढ़ेंगी और वो दोबारा कंपनियों में हिस्सेदारी नहीं खरीद पाएंगे. बैंकरप्सी कानून में होने वाले बदलाव से सरकारी बैंकों को बड़ा फायदा होगा. वहीं बैंकरप्सी प्रक्रिया से गुजर रहे भूषण स्टील, मोनेट इस्पात जैसी कंपनियों के लिए बुरी खबर है.

15 दिसंबर से शीतकालीन सत्र
संसद का शीतकालीन सत्र 15 दिसंबर से 5 जनवरी तक चलेगा. वहीं 15वें वित्त आयोग के गठन को भी कैबिनेट से मंजूरी मिल गई है। कैबिनेट बैठक के बाद वित्त मंत्री अरुण जेटली ने कहा है कि 15वां वित्त आयोग अप्रैल 2020 से 2025 तक लागू होगा.

लेदर सेक्टर पर नहीं हुआ फैसला, शेयरों में गिरावट
कैबिनेट की बैठक में लेदर सेक्टर को राहत देने के लिए पैकेज पर फैसला नहीं हुआ है. माना जा रहा था कि सरकार 2500 करोड़ रुपए के राहत पैकेज दे सकती है. दरअसल, कंपनियों को टेक्नोलॉजी बेहतर करने के लिए राहत पैकेज का एलान होना था. इसके चलते आज शेयर बाजार में लेदर शेयरों में तेजी देखने को मिली थी. फिलहाल मिर्जा इंटरनेशनल, बाटा इंडिया समेत कई शेयरों में 2 फीसदी से ज्यादा की गिरावट है.

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