विनिर्माण क्षेत्र में सुस्ती के कारण चालू वित्तवर्ष की पहली तिमाही में जीडीपी की दर घटकर 5.7 फीसदी पर आ गई है, जो साल 2014 में मोदी के सत्ता संभालने के बाद की सबसे कम दर है.
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नई दिल्ली: केंद्रीय वित्तमंत्री अरुण जेटली ने गुरुवार (21 सितंबर) को कहा कि सरकार आर्थिक सुस्ती के बीच स्थिति की समीक्षा कर रही है और इससे निपटने के लिए जल्द ही 'उपयुक्त कदम' उठाए जाएंगे. जे.पी. मोर्गन की ओर से आयोजित दूसरे 'भारत इंवेस्टर समिट' को संबोधित करते हुए जेटली ने कहा, "पहले दिन से ही यह सरकार अग्रसक्रिय है. हमलोग आर्थिक संकेतकों की समीक्षा कर रहे हैं और सही समय पर सही कदम उठाया जाएगा. निजी निवेश में समस्या है. सरकार ने समस्या सुलझा लिया है, बहुत जल्द ही इस पर कदम उठाएंगे." उन्होंने कहा कि बैंकों ने अतीत में अत्यधिक ऋण दिया था. बैंकों के लिए पूंजी का प्रस्ताव भी लंबित है.
जेटली ने आर्थिक स्थिति और इसके उपायों की समीक्षा के लिए 19 सितंबर को उच्चस्तरीय बैठक की अध्यक्षता की थी. इस बैठक में रेलमंत्री पीयूष गोयल, वाणिज्य मंत्री सुरेश प्रभु, मुख्य आर्थिक सलाहकार अरविंद सुब्रमण्यन और वित्त मंत्रालय के सचिव अशोक लवासा, सुभाष चंद्र गर्ग, हसमुख अधिया, राजीव कुमार और नीरज कुमार गुप्ता मौजूद थे.
सरकार सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) और औद्योगिक उत्पादन के साथ चालू खाते में गिरावट के बाद वित्तीय प्रोत्साहन पैकेज पर विचार कर रही है. विनिर्माण क्षेत्र में सुस्ती के कारण चालू वित्तवर्ष की पहली तिमाही में जीडीपी (सकल घरेलू उत्पाद) की दर घटकर 5.7 फीसदी पर आ गई है, जो साल 2014 में मोदी के सत्ता संभालने के बाद की सबसे कम दर है.
जेटली ने कहा कि सरकार के पास चालू वित्तवर्ष में इस समस्या से निपटने के लिए महत्वाकांक्षी योजना है. उन्होंने कहा, "यहां तक कि गुरुवार को भी एयर इंडिया विनिवेश की बैठक थी. गत कुछ वर्षों में, बाजार में काफी उथल पुथल रहा है, इसलिए सरकार को विनिवेश के लिए सही समय का इंतजार करना पड़ेगा."
वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) के तकनीकी मुश्किलों का जिक्र करते हुए वित्तमंत्री ने व्यापारियों को रिटर्न जमा कराने की अंतिम तिथि से चार-पांच दिन पहले ही इसे अंतिम दिनों की परेशानी से बचने के लिए जमा करवाने की सलाह दी. जीएसटी में ज्यादा से ज्यादा सामग्रियों को शामिल करने पर उन्होंने कहा कि रियल स्टेट को इसमें शामिल करना सबसे आसान होगा.
उन्होंने कहा, "अभी तक हम जीएसटी के बाद मुद्रास्फीति के प्रभाव को रोकने में सक्षम रहे हैं. मौजूदा सरकार जीएसटी को लागू करने से लेकर हर मामले में तत्काल फैसले लेती है." यूनिवर्सल बेसिक इनकम (यूबीआई) पर वित्त मंत्री ने कहा कि वह निजी तौर पर इसके पक्ष में हैं लेकिन अभी इसके लिए राजनीतिक परिपक्वता की जरूरत है.
पेट्रोल-डीजल की ऊंची कीमतों पर बोले जेटली, राज्य घटाएं टैक्स की दरें
वित्त मंत्री अरुण जेटली ने बुधवार (20 सितंबर) को पेट्रोल, डीजल की ऊंचे कीमतों पर कहा कि सरकार को सार्वजनिक खर्च के लिए राजस्व समर्थन की जरूरत होती है, जिससे वृद्धि के रास्ते में रुकावट न आए. जेटली ने इस बात का कोई संकेत नहीं दिया कि सरकार पेट्रोल और डीजल से उत्पाद शुल्क की दरों में कटौती कर सकती है. वित्त मंत्री ने कहा कि राज्यों द्वारा ईंधन पर ऊंचा बिक्रीकर और वैट लिया जाता है. हालांकि, उन्होंने इस बात का जिक्र नहीं किया कि नवंबर 2014 से जनवरी 2016 के दौरान पेट्रोल पर उत्पाद शुल्क 11.77 रुपये प्रति लीटर बढ़ा है, जबकि डीजल पर इसमें 13.47 रुपये प्रति लीटर की वृद्धि हुई है. इससे अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमतों में आई गिरावट का लाभ गायब हो गया.
भाजपा शासित महाराष्ट्र में पेट्रोल पर वैट की दर 46.52 प्रतिशत है. मुंबई में यह 47.64 प्रतिशत तक है. आंध्र प्रदेश में पेट्रोल पर 38.82 प्रतिशत वैट लगता है. मध्य प्रदेश में पेट्रोल पर वैट की दर 38.79 प्रतिशत है. भाजपा की अगुवाई वाले राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) की 29 में से 18 राज्यों में सरकार है. जेटली ने हालांकि भरोसा दिलाया कि ईंधन की कीमतें जल्द नियंत्रण में आएंगी.