कर्नल सिंह के कार्यकाम में ED ने जब्त की 36 हजार करोड़ की संपत्ति
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कर्नल सिंह के कार्यकाम में ED ने जब्त की 36 हजार करोड़ की संपत्ति

प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने पिछले तीन साल में 36 हजार करोड़ की चल-अचल संपत्ति जब्त की जबकि इसके पहले 10 साल में महज 9 हजार करोड़ की संपत्ति जब्त की गई थी.

कर्नल सिंह के कार्यकाम में ED ने जब्त की 36 हजार करोड़ की संपत्ति

नई दिल्ली : प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने पिछले तीन साल में 36 हजार करोड़ की चल-अचल संपत्ति जब्त की जबकि इसके पहले 10 साल में महज 9 हजार करोड़ की संपत्ति जब्त की गई थी. ईडी की पहचान बनाने वाले ईडी निदेशक कर्नल सिंह शनिवार को अपने पद से रिटायर हो गए. ईडी के इतिहास में यह पहला मौका था जब सुप्रीम कोर्ट ने ईडी निदेशक के पद के लिए सीबीआई की तर्ज पर दो साल कार्यकाल तय किया था और लगभग चार दशक बाद किसी आईपीएस अधिकारी को इस पद पर तैनात किया गया था. ईडी ने पिछले तीन साल के दौरान 391 आरोपपत्र कोर्ट में दाखिल किए जबकि पिछले 10 साल में महज 173 मामलों में आरोपपत्र कोर्ट के सामने दाखिल किए गए थे.

संजय मिश्रा की तीन माह के लिए हुई तैनाती
ईडी में अब नए कार्यकारी निदेशक के तौर पर आईआरएस अधिकारी संजय मिश्रा की तैनाती तीन माह के लिए की गई है. 1984 बैच के आईपीएस अधिकारी कर्नल सिंह को ईडी में बतौर कार्यकारी निदेशक 1 अप्रैल 2015 को तैनात किया गया था. उनके कार्यकाल के दौरान ईडी की पहचान लोगों के सामने आई क्योंकि इस दौरान कई ऐसे मुकदमो को अंजाम तक पहुंचाया गया जिसके लिए सीबीआई जानी जाती थी. मसलन ईडी निदेशक ने अपने कार्यकाल के दौरान मोइन कुरेशी समेत महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री छगन भुजबल को गिरफ्तार किया.

कई बड़े मामलों की जांच की गई
पूर्व वित्त मंत्री पी चिदंबरम और उनके बेटे कार्ति को कई बार पूछताछ के लिए बुलाकर और फिर आरोपपत्र दाखिल कर साफ संदेश दिया कि वो किसी बड़े राजनैतिक दवाब में आने वाले नहीं है उनके कार्यकाल के दौरान विजय माल्या केस, एयरसेल मैक्सिस केस, नीरव मोदी केस, मानेसर लैंड स्कैम केस, कोल ब्लाक स्कैम केस,  एयर इंडिया घोटाला, छह हजार करोड का बैंक ऑफ बडौदा केस, आईएनएक्स मीडिया केस और शारदा चिटफंड केस बड़े मामलों की जांच की गई.

काला धन रखने वालों के यहां ताबड़तोड़ छापेमारी
इसके अलावा नक्सलियों की प्रापर्टी जब्त करने के कड़े कदम भी कर्नल सिंह के कार्यकाल में उठाए गए जो इसके पहले ईडी में कभी नहीं हुआ. इसके अलावा नोटबंदी के दौरान ईडी ने काला धन रखने वालों के यहां ताबड़तोड़ छापेमारी की और इस दौरान शैल कंपनियों का काला इतिहास निकल कर सामने आया और इसके चलते लाखों शैल कंपनियों पर ताला लगा दिया गया. कर्नल सिंह के कार्यकाल में ही ईडी के केसों में पहली बार लगातार तीन मामलों में सजा सुनाई गई और ताबड़तोड़ विदेशो में भी घोटालेबाजों की संपत्तिया जब्त की गई.

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दिल्ली पुलिस में कई अहम पदों पर तैनात रहे
यूटी कैडर के आईपीएस अधिकारी कर्नल सिंह इसके पहले दिल्ली पुलिस में अनेक अहम पदों पर तैनात रहे जहां उनकी छवि एक तेजतर्रार अधिकारी के तौर पर रही 1997 के सिलसिलेवार बम धमाकों ने जब दिल्ली को दहला दिया था तब कर्नल सिंह ने ही बतौर डीसीपी क्राइम मामले को सुलझाया था. इसके लिए उन्हें कुरान अंग्रेजी में पढ़नी पढ़ी क्योंकि मामले का आरोपी कामरान केवल कुरान की आयतो पर ही सही गलत की बहस करना चाहता था. इसके अलावा यूपी का कुख्यात अपराधी श्रीप्रकाश शुक्ला और आंनद पांडे भी उनके कार्यकाल में ही मारे गए.

कुख्यात आतंकवादी संगठन इंडियन मुजाहिदीन का पर्दाफाश भी उनके स्पेशल सेल के कार्यकाल के दौरान हुआ और बहुचर्चित बाटला हाऊस कांड भी उनके कार्यकाल में हुआ जिसने देश में भूचाल ला दिया. उनके कार्यकाल के दौरान स्पेशल सेल ने कुल 140 आंतकियों को गिरफ्तार किया और दर्जनों मारे गए. इसके अलावा सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर उन्हें गुजरात में हुए बहुचर्चित एनकांउटर इशरत जहां केस का पहला जांच अधिकारी नियुक्त किया गया.

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इतना ही नहीं कर्नल सिंह के कार्यकाल में छह एफएसएल (Forensic Science Lab) खुली. इनमें से दो दिल्ली में, एक कोलकाता, एक मुंबई, एक चेन्नई और एक चंडीगढ़ में खुली. इससे पहले एफएसएल जांच और किसी भी डाटा को लेने में महीनों-सालों निकल जाते थे लेकिन अब जांच के दौरान ही यानी रियल टाइम में ED अपनी एफएसएल के जरिये डाटा निकाल लेती है जिससे तुरंत आरोपी के खिलाफ पुख्ता सुबूत मिल जाते हैं.

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