यह योजना भारतीय कामगारों को उनके काम के देश की सामाजिक सुरक्षा योजनाओं से बचाती है. इसके साथ ही यह रोजगार प्रदाताओं को समाजिक सुरक्षा योजनाओं में दोहरा योगदान वहन करने से भी बचाती है.
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नई दिल्ली : विदेशों में काम कर रहे भारतीय कामगार अब उस संबंधित देश की सामाजिक सुरक्षा योजनाओं के दायरे से बच सकते है. वे इसके बजाय घरेलू कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (ईपीएफओ) की योजनाओं को चुन सकेंगे. केंद्रीय भविष्य निधि आयुक्त (सीपीएफसी) वीपी जॉय ने इस बारे में जानकारी दी. उन्होंने 'धोखाधड़ी जोखिम प्रबंधन-नयी पहलें' विषय पर राष्ट्रीय सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा कि इसके लिए एक ऑनलाइन सुविधा की शुरुआत की गई है.
यह योजना भारतीय कामगारों को उनके काम के देश की सामाजिक सुरक्षा योजनाओं से बचाती है. इसके साथ ही यह रोजगार प्रदाताओं को समाजिक सुरक्षा योजनाओं में दोहरा योगदान वहन करने से भी बचाती है. ईपीएफओ ने इसके लिए 18 देशों के साथ अनुबंध किया है. उन्होंने कहा कि हमने पूरी प्रक्रिया को कर्मचारियों के अनुकूल बना दिया है. विदेश में काम करने जा रहे कामगार कवरेज का प्रमाणपत्र पा सकते हैं. वे प्रमाणपत्र के लिए ऑनलाइन आवेदन कर सकते हैं तथा ऑनलाइन ही इसे हासिल भी कर सकते हैं.
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उन्होंने बताया कि इसके लिए ईपीएफओ की वेबसाइट पर एक पन्ने का सरल आवेदन पत्र मौजूद है. जॉय ने कहा कि यह योजना सीमित समय के लिए विदेश काम करने जा रहे लोगों के लिए बड़ी मदद है. इसका सबसे बड़ा फायदा यह है कि अब उनका पैसा लंबे समय तक बाहर फंसा हुआ नहीं रह सकता है. भारत का बेल्जियम, जर्मनी, स्विट्जरलैंड, फ्रांस, डेनमार्क, दक्षिण कोरिया, लग्जमबर्ग, नीदरलैंड, हंगरी, फिनलैंड, स्वीडन, चेक गणराज्य, नॉर्वे, ऑस्ट्रिया, कनाडा, ऑस्ट्रेलिया, जापान और पुर्तगाल के साथ सामाजिक सुरक्षा योजनाओं के संबंध में अनुबंध किया है.
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ईपीएफओ विश्व की सबसे बड़ी सामाजिक सुरक्षा प्रदाता संस्था है. यह 9.26 लाख से अधिक कंपनियों को कवर करती है तथा इसके 4.5 करोड़ से अधिक सदस्य हैं. यह प्रति माह 60.32 लाख लोगों को पेंशन प्रदान करती है.