Exclusive: मां बनने की कीमत नौकरी खोकर चुकानी न पड़े, सरकार कर रही है इस पर विचार
Advertisement
trendingNow1449361

Exclusive: मां बनने की कीमत नौकरी खोकर चुकानी न पड़े, सरकार कर रही है इस पर विचार

मैटरनिटी लीव की वजह से महिला कर्मचारियों की भर्ती में कमी से सरकार हरकत में आ गई है. सूत्रों के मुताबिक सरकार ने अब तक मिली शुरुआती जानकारी के आधार पर इंडस्ट्री से इनपुट मांगा है.

महिला कर्मचारियों को इस समय 26 सप्ताह की पेड मैटरनिटी लीव दी जाती है.

प्रकाश प्रियदर्शी. नई दिल्ली: मैटरनिटी लीव की वजह से महिला कर्मचारियों की भर्ती में कमी से सरकार हरकत में आ गई है. सूत्रों के मुताबिक सरकार ने अब तक मिली शुरुआती जानकारी के आधार पर इंडस्ट्री से इनपुट मांगा है. सरकार जानना चाहती है कि महिला कर्मचारियों कि नियुक्ति में किस हद तक कमी आई है और इसके कारण क्या हैं. विभिन्न क्षेत्रों से जुड़ी कंपनियां पेड मैटरनिटी लीव की वजह से इनपुट कॉस्ट बढ़ने का हवाला दे रही हैं. अब श्रम मंत्रालय ने महिला कर्मचारियों की भर्ती में कमी से जुड़ी जानकारी मंगाई है.

सूत्रों के मुताबिक श्रम मंत्रालय इंडस्ट्री की मदद करने के लिए इंसेंटिव देने का प्रस्ताव तैयार कर रहा है. सूत्रों के मुताबिक श्रम मंत्रालय एक प्रस्ताव पर काम कर रहा है जिसके तहत इंडस्ट्री को महिला कर्मचारियों को दी जाने वाली पेड मैटरनिटी लीव के बदले कुछ विशेष छूट एवं सुविधाएं दी जाएंगी.

fallback

क्या होगा नया फार्मूला?
सूत्रों के मुताबिक प्रस्ताव में अतिरिक्त 14 हफ्ते के कॉस्ट की भरपाई का फार्मूला निकालने की कोशिश हो रही है. ये भी विचार किया जा रहा है कि सरकार अतिरिक्त 14 हफ्ते में से कुछ हफ्ते का कॉस्ट वहन करे और साथ ही छोटी कंपनियों को टैक्स बेनिफिट भी दिया जाए, ताकि बाकी सप्ताह की भरपाई हो सके. 

सरकार को ये इनपुट मिले हैं कि मझोली और छोटी कंपनियों (एमएसएई) पर 26 हफ्ते के पेड मैटरनिटी लीव का ज्यादा बोझ पड़ रहा है. लिहाजा ऐसे सेक्टर की पहचान की जा रही ही है. एमएसएई के लिए इसेंटिव्स स्कीम पर विचार किया जा रहा है ताकि महिला कर्मचारियों की भर्ती को प्रोत्साहित किया जाए. सूत्रों के मुताबिक ईपीएफओ से मैटरनिटी लीव संशोधन कानून लागू होने के बाद से महिला कर्मचारियों की भर्ती से जुड़े आंकड़े भी मंगाए गए हैं.

fallback

नौकरी में हिस्सेदारी घटी 
लेबर मिनिस्ट्री चाहती है कि इस सुधारवादी कदम को लागू करने के लिए सरकार इंडस्ट्री की जरूरी मदद करे ताकि महिला कर्मचारियों को कानून में बदलाव का सही मायने में फायदा हो. सेक्टर की पहचान, इंसेंटिव्स और अनुमानित लागत के आकलन के बाद श्रम मंत्रालय प्रस्ताव को वित्त मंत्रालय को भेजेगा. 

आपको बता दें कि टीम लीज के एक अध्ययन के मुताबिक इस रिफॉर्म (मैटरनिटी लीव को 12 हफ्ते से बढ़ाकर 26 हफ्ते करने) की वजह से शॉर्ट टर्म में महिला कर्मचारियों की भर्ती पर असर पड़ रहा है और साल 2018-19 में 11-18 लाख महिला कर्मचारियों को नौकरी से हाथ धोना पड़ सकता है. स्टडी में ये भी कहा गया है कि 26 हफ्ते की पेड लीव और उसके बदले में वैकल्पिक व्यवस्था करने का असर कई सेक्टर की कंपनियों पर पड़ रहा है. आपको बता दें कि देश के कुल वर्कफोर्स में साल 2016 में महिलाओं की हिस्सेदारी 36 प्रतिशत पर्सेंट से कम होकर 24 प्रतिशत रह गई है. सरकार ने महिला कर्मचारियों की सुविधा को ध्यान में रखकर 2017 में 12 हफ्ते की पेड मैटरनिटी लीव को बढ़ाकर 26 हफ्ते कर दिया था. 

Trending news