एसोचैम ने कहा, बजट में कृषि क्षेत्र को सर्वोच्च प्राथमिकता दे मोदी सरकार
Advertisement
trendingNow1356830

एसोचैम ने कहा, बजट में कृषि क्षेत्र को सर्वोच्च प्राथमिकता दे मोदी सरकार

चालू वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही में कृषि क्षेत्र के सकल मूल्यवर्धन की वृद्धि दर पिछले वित्त वर्ष की समान अवधि के 4.1 प्रतिशत की तुलना में कम होकर 1.7 प्रतिशत पर आ गई है.

चालू वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही में कृषि क्षेत्र की वृद्धि कम हो गयी है. (फाइल फोटो)

नई दिल्ली: सरकार को बजट में कृषि को सर्वोच्च प्राथमिकता देनी चाहिए क्योंकि खरीफ फसलों के उत्पादन में भारी गिरावट से चालू वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही में कृषि क्षेत्र की वृद्धि कम हो गयी है. उद्योग एवं वाणिज्य संगठन एसोचैम ने रविवार (10 दिसंबर) को यह बात कही. उसने कहा कि चालू वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही में कृषि क्षेत्र के सकल मूल्यवर्धन की वृद्धि दर पिछले वित्त वर्ष की समान अवधि के 4.1 प्रतिशत की तुलना में कम होकर 1.7 प्रतिशत पर आ गई है. आधारभूत कीमत के आधार पर वृद्धि इस दौरान 10 प्रतिशत से कम होकर 3.7 प्रतिशत पर आ गयी.

इस दौरान खाद्यान्न उत्पादन में 2.8 प्रतिशत की गिरावट आयी और क्षेत्र की वृद्धि कम करने में इसका योगदान रहा. पिछले वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही में खाद्यान्न उत्पादन में 10.7 प्रतिशत की वृद्धि हुई थी. एसोचैम के महासचिव डी.एस.रावत ने कहा, चूंकि कृषि क्षेत्र में सकल मूल्यवर्धन में पशुपालन, मत्स्यपालन और वानिकी का करीब आधा योगदान होता है, वित्त मंत्री वरुण जेटली को सिंचाई जैसी प्रमुख कृषि ढांचगत संरचना समेत इन क्षेत्रों पर भी ध्यान देना चाहिए.

उन्होंने कहा, ‘‘हमारी आबादी का बड़ा हिस्सा ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार पाता है, उपभोग और निवेश आधारित वृद्धि का तब तक फायदा नहीं होगा जब तक कि पूरे कृषि क्षेत्र को संकट से बाहर नहीं निकाला जाए.’’ उन्होंने आगे कहा, ‘‘भारतीय उद्योग जगत का बड़ा हिस्सा ग्रामीण मांग पर काफी निर्भर करता है. यह मांग तब तक कम रहेगी जब तक कि अल्पावधि या मध्यावधि में तत्काल इस बाबत कदम नहीं उठाया जाएगा.’’

पहली बार फरवरी में पेश होगा 2018-19 का बजट, लेकिन लोकलुभावन होने की उम्मीद नहीं 

वहीं दूसरी ओर प्रधानमंत्री की आर्थिक सलाहकार परिषद के सदस्य रातिन रॉय ने उम्मीद जतायी है कि आने वाला 2018-19 का बजट ‘लोकलुभावन’ नहीं होगा. यह सरकार के व्यय गुणवत्ता सुधार की प्रतिबद्धता को दिखाने वाला होगा. रॉय ने कहा कि सरकार एक और अच्छा बजट लेकर आएगी, जिसे एक फरवरी को पेश किए जाने की संभावना है. उन्होंने कहा, ‘मुझे नहीं लगता कि किसी भी तरह के लोकलुभावन बजट की जगह है. मेरा मानना है कि सरकार एक जिम्मेदार बजट लेकर आएगी, जो सरकार की व्यय की गुणवत्ता और प्रतिबद्धता में सुधार को दिखाएगा.’

एक साक्षात्कार में रॉय ने कहा, ‘मुझे नहीं लगता कि सरकार बजट का इस्तेमाल लोकलुभावन योजनाओं के लिए करेगी. मुझे पूरा विश्वास है कि राजनीतिक नेतृत्व इस बात को समझेगा.’ उल्लेखनीय है कि सरकार के 2018-19 का आम बजट अगले साल एक फरवरी को पेश करने की संभावना है. यह पूछे जाने पर कि अगले 18 महीनों में सुधार का एजेंडा क्या होगा, रॉय ने कहा कि मोदी सरकार को पिछले तीन साल में लाए गए अपने आर्थिक सुधारों पर ही ध्यान देना चाहिए. रॉय आर्थिक थिंक टैंक एनआईपीएफपी के भी सदस्य हैं.

Trending news