'छोटे उद्योगों और कारोबारियों की वृद्धि के लिए जीएसटी बेहतर'
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'छोटे उद्योगों और कारोबारियों की वृद्धि के लिए जीएसटी बेहतर'

देश के एक जुलाई से जीएसटी लागू होने के बाद विपक्षी दलों का आरोप है कि इससे देश का छोटा उद्यमी व कारोबारी बुरी तरह प्रभावित हुआ है और उसका काम ठप है.

'छोटे उद्योगों और कारोबारियों की वृद्धि के लिए जीएसटी बेहतर'

नई दिल्ली: देश में माल एवं सेवाकर (जीएसटी) लागू होने से छोटे उद्योगों और कारोबारियों को नुकसान के आरोपों के बीच सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यमों के एक संगठन का कहना है कि जीएसटी छोटे एवं मझोले उद्योगों की वृद्धि के लिये अच्छा कदम है. संगठन का कहना है कि जीएसटी लागू होने पर लघु उद्यमी ‘औपचारिक प्रणाली’ के तहत काम करेंगे और इससे उनके विकास के रास्ते खुलेंगे. चैंबर ऑफ इंडियन माइक्रो, स्मॉल एण्ड मीडियम एंटरप्राइजिज के अध्यक्ष मुकेश मोहन गुप्ता ने बातचीत में कहा, ‘जीएसटी लागू होने से सभी छोटे उद्योग औपचारिक प्रणाली के तहत आयेंगे, ऐसा उनकी वृद्धि के लिये जरूरी है. शुरुआत में उन्हें थोड़ी दिक्कत हो सकती है, लेकिन इससे उनके आगे विकास के रास्ते खुलेंगे.’ 

  1. देश में एक जुलाई से जीएसटी लागू हुआ.
  2. देश के सकल घरेलू उत्पाद में लघु एवं मझोले उद्योगों का 37 प्रतिशत तक योगदान है.
  3. प्लांट एवं मशीनरी में 25 लाख रुपये तक का निवेश करने वाले उद्योग सूक्ष्म उद्योगों की श्रेणी में आते हैं.

छोटे उद्योगों को बैंकों से कर्ज नहीं मिलने की शिकायत के बारे में पूछे जाने पर गुप्ता ने कहा, ‘औपचारिक तौर पर काम करने वाले छोटे उद्योगों को बैंकों से कर्ज मिलने में कोई दिक्कत नहीं है. बैंक कर्ज देने के लिये तैयार हैं, समस्या केवल आपके खाते और कारोबार को लेकर हो सकती है. यदि सभी काम औपचारिक प्रणाली के तहत होंगे तो र्बैंक कर्ज देने के लिये तत्पर बैठे हैं.’ 

उद्योग संगठन के महासिचव ज्यातिर्मय जैन ने भी इसी तरह के विचार व्यक्त करते हुये कहा कि जीएसटी आने से संगठित क्षेत्र का दायरा बढ़ेगा. इससे सभी के लिये समान स्तरीय कारोबार के अवसर पैदा होंगे. ‘जीएसटी में हर चीज औपचारिक चैनल में होगी, इसमें रिकॉर्डसे बाहर कुछ भी नहीं होगा. आपको अपना पूरा कारोबार औपचारिक व्यवस्था के तहत लाना होगा.’ 

उल्लेखनीय है कि देश के एक जुलाई से जीएसटी लागू होने के बाद विपक्षी दलों का आरोप है कि इससे देश का छोटा उद्यमी व कारोबारी बुरी तरह प्रभावित हुआ है और उसका काम ठप है. मुकेश मोहन गुप्ता कहते हैं कि आज जो भी बड़े उद्योग हैं वह सभी कभी छोटे उद्योग ही थे. उन्होंने संगठित उद्योगों के श्रेणी में रहते हुये अपना पूरा कारोबार औपचारिक व्यवसथा के तहत किया और उन्हें आगे बढ़ने का मौका मिला. ‘जीएसटी व्यवसथा में तो यदि आप पंजीकरण नहीं करायेंगे तो बड़े उद्योग आपसे माल भी खरीदने में हिचिकचायेंगे.’ 

विनिर्माण क्षेत्र में प्लांट एवं मशीनरी में 25 लाख रुपये तक का निवेश करने वाले उद्योग सूक्ष्म उद्योगों की श्रेणी में आते हैं, जबकि प्लांट एवं मशीनरी में पांच करोड़ रुपये तक का निवेश करने वाली इकाई लघु उद्योगों की श्रेणी में आते हैं इसी प्रकार संयंत्र एवं मशीनरी में 10 करोड़ रुपये तक निवेश करने वाले उद्योग मध्यम श्रेणी के उद्योगों में शामिल होते हैं. 

सेवा क्षेत्र में काम करने वाले उद्योगों में विभन्न प्रकार की मशीनों एवं उपकरणों पर 10 लाख रुपये तक निवेश होने पर सूक्ष्म श्रेणी, दो करोड़ रुपये तक लघु और पांच करोड़ रुपये तक का निवेश मशीन एवं उपकरणों में होने पर मध्यम श्रेणी की इकाई मानी जाती है. देश के सकल घरेलू उत्पाद में लघु एवं मझोले उद्योगों का 37 प्रतिशत तक योगदान है जबकि निर्यात में भी लघु उद्योगों का अच्छा योगदान रहता है.

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