दिवाली पर जीएसटी-नोटबंदी का असर, धनतेरस पर फीका रहेगा सोने का कारोबार
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दिवाली पर जीएसटी-नोटबंदी का असर, धनतेरस पर फीका रहेगा सोने का कारोबार

वेतन में विलंब, उम्मीद से कम बोनस, पीएमएलए से जौहरियों को हटाने के मामले में स्पष्टता की कमी जैसे प्रमुख मुद्दों के कारण इस धनतेरस और दिवाली पर बाजार की धारणा को धक्का लगा है.

गहने की दुकान में सोने की खरीदारी के दौरान महिला. (फाइल फोटो)

मुंबई: जीएसटी के कारण इस धनतेरस में आभूषण बाजार की चमक फीकी पड़ सकती है. बाजार विशेषज्ञों के मुताबिक, जीएसटी को लेकर दुविधा बने रहने के कारण इस धनतेरस आभूषण उद्योग की चमक पिछले साल के मुकाबले थोड़ी फीकी रह सकती है. हालांकि, कारोबारियों की ओर से ग्राहकों को लुभाने के लिए छूट और मुफ्त उपहार की पेशकश की जा रही है. इंडिया बुलियन और ज्वैलर्स एसोसिएशन के निदेशक सौरभ गाडगिल ने बताया, "बाजार की धारणा में सुधार हो रहा है, लेकिन अभी तक इसमें ज्यादा उत्साह नहीं दिखाई दे रहा है. अगर इस साल कुल कारोबार पिछले साल के बराबर या 5 प्रतिशत ऊपर रहता है तो हमें बहुत खुशी होगी."

  1. 8 नवंबर 2016 को केंद्र सरकार ने नोटबंदी की घोषणा की थी.
  2. 1 जुलाई 2017 को देशभर में जीएसटी लागू किया गया.
  3. दक्षिण कोरिया से सोना और चांदी के आयात को प्रतिबंधित सूची में डालसे भी बाजार प्रभावित हुआ है.

सौरभ पीएनजी ज्वैलर्स के चेयरमैन और प्रबंध निदेशक भी हैं. उन्होंने आगे कहा कि त्योहारी मौसम में कीमती धातुओं में तेज खरीददारी देखने को मिलती है, लेकिन वेतन में विलंब, उम्मीद से कम बोनस, धन शोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए) से जौहरियों को हटाने के मामले में स्पष्टता की कमी जैसे प्रमुख मुद्दों के कारण इस धनतेरस और दिवाली पर बाजार की धारणा को धक्का लगा है. इसके साथ ही अर्थव्यवस्था में मंदी ने भी बाजार को प्रभावित किया है. ऑल इंडिया जेम्स एंड ज्वैलरी ट्रेड फेडरेशन के चेयरमैन नितिन खंडेलवाल ने भी इसी तरह के विचार प्रकट किए हैं. उनका कहना है कि पीएमएलए पर सरकार के निर्णय की वजह से कुछ राहत हुयी है. हालांकि कम मुद्रा होने के कारण बाजार की धारण ठंडी पड़ी है.

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उन्होंने आगे कहा, "बाजार की धारणा सुधरनी शुरू हो गई है, लेकिन इसके रफ्तार पकड़ना अभी भी बाकी है. पिछले साल घोषित हुई नोटबंदी के प्रभाव के कारण बाजार में कम मुद्रा चलन में है. इसी वजह से इस बार धनतेरस और दिलावी के दौरान खरीददारों की संख्या घटी है." इस साल कारोबार पिछले वर्ष के बराबर या उससे कम रहने की संभावना है. खंडेलवाल ने बताया कि ग्राहकों को आकर्षित करने के लिए व्यवसायी मुफ्त ऑफर और छूट की पेशकश कर रहे हैं.

विश्व स्वर्ण परिषद, भारत के प्रबंध निदेशक सोमासुंदरम् पीआर ने कहा कि त्योहारी मौसम में उद्योग नई ऊर्जा के साथ आगे बढ़ रहा है और पहली छमाई से बेहतर प्रवृति देखी जा रही है. हालांकि, बाजार अवधारणा अपने चरम पर नहीं है. जुलाई में जीएसटी लागू होने के बाद चुनौतियां खड़ी हो गई है, जो कि कुछ समय के लिए हैं. उन्होंने आगे कहा कि जीएसटी को सही तरह से नहीं अपनाया गया और दक्षिण कोरिया से सोना और चांदी के आयात को प्रतिबंधित सूची में डाले जाने से भी बाजार प्रभावित हुआ है.

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