रिलायंस इंडस्ट्रीज के चेयरमैन मुकेश अंबानी की बेटी ईशा की शादि आनंद पीरामल के साथ तय हुई है. आनंद पीरामल, पीरामल ग्रुप के संस्थापक सेठ पीरामल के प्रपौत्र हैं और अजय पीरामल के बेटे हैं.
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नई दिल्ली: रिलायंस इंडस्ट्रीज के चेयरमैन मुकेश अंबानी की बेटी ईशा की शादी आनंद पीरामल के साथ तय हुई है. आनंद पीरामल, पीरामल ग्रुप के संस्थापक सेठ पीरामल के प्रपौत्र हैं और अजय पीरामल के बेटे हैं. आनंद पीरामल मूल रूप से राजस्थान के झुंझुनू के बगड़ कस्बे के रहने वाले हैं. भारत के सबसे अमीर व्यक्ति की बेटी ईशा अब इस कस्बे की ही बहू बनेंगी. यह भी तय है कि वह शादी के बाद यहां जरूर जाएंगी. क्योंकि, पीरामल परिवार का यह पैतृक गांव है. बगड़ भले ही एक छोटा कस्बा है. लेकिन, यहां की हवेलियां दुनियाभर में मशहूर हैं.
चार दशक पुरानी दोस्ती
अंबानी और पीरामल परिवार की दोस्ती चार दशक पुरानी है जो कि अब रिश्तेदारी में बदलने जा रही है. 67 हजार करोड़ से ज्यादा के पीरामल बिजनेस एम्पायर की शुरुआत 1920 में हुई थी. जब पहले वर्ल्ड वॉर के बाद अजय पीरामल के दादा सेठ पीरामल चतुर्भुज मखारिया 50 रुपए लेकर राजस्थान के बगड़ कस्बे से बॉम्बे पहुंचे थे.
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बगड़ में है पीरामल हवेली
बगड़ कस्बे में आज भी पीरमल ग्रुप की पुश्तैनी हवेली है. यहां की हवेलियां काफी मशहूर हैं. लेकिन, पीरामल हवेली की बात ही कुछ और है. अंदर की वास्तु-कला काफी भव्य है. माना जाता है कि इस हवेली को अब होटल के रूप में इस्तेमाल किया जाता है. जिसमें टूरिस्ट आकर रुकते हैं. यह पुश्तैनी हवेली आज भी पीरामल ग्रुप के पास ही है.
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बगड़ में हैं सेठ, साहूकारों की हवेलियां
राजस्थान में बड़े–बड़े सेठ साहूकारों और धनी व्यक्तियों ने अपने निवास के लिए विशाल हवेलियों का निर्माण करवाया. ये हवेलियां कई मंजिला होती थीं. हवेलियां अधिक भव्य, वास्तु-कला की दृष्टि से भिन्नता लिए हुए हैं और कलात्मक है. झुंझुनूं के कस्बों में खड़ी विशाल हवेलियां आज भी अपने वास्तु-कला का उत्कृष्ट उदाहरण प्रस्तुत करती हैं. राजस्थान की हवेलियां अपने छज्जों, बरामदों और झरोखों पर बारीक व उम्दा नक्काशी और उस पर उभरे चित्रों के लिए प्रसिद्ध हैं.
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इतिहास में समेटे राजपूताना इतिहास
इतिहास के जानकारों के मुताबिक, पन्द्रहवीं शताब्दी(1443) से अठारहवीं शताब्दी के मध्य यानी 1750 तक इस इलाके में शेखावत राजपूतों का आधिपत्य था. तब इनका साम्राज्य सीकरवाटी और झुंझनूवाटी तक था. शेखावत राजपूतों के आधिपत्य वाला इलाका शेखावाटी कहलाया, लेकिन भाषा-बोली, रहन-सहन, खान-पान, वेष भूषा और सामाजिक सांस्कृतिक तौर-तरीकों में एकरूपता होने के नाते झुंझुनू और चुरू जिला भी शेखावटी का हिस्सा माना जाने लगा. इतिहासकार सुरजन सिंह शेखावत की किताब ‘नवलगढ़ का संक्षिप्त इतिहास’ की भूमिका में लिखा है कि राजपूत राव शेखा ने 1433 से 1488 तक यहां शासन किया.
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कौन सी हवेलियां हैं प्रसिद्ध
झुंझुनू में टीबड़ेवाला की हवेली तथा ईसरदास मोदी की हवेली अपने शिल्प वैभव के कारण अलग ही छवि लिए हुए हैं. झुंझुनूं में सागरमल लाडिया, रामदेव चौखाणी तथा रामनाथ गोयनका की हवेली, झुंझुनू में सेठ लालचन्द गोयनका, मुकुन्दगढ़ में सेठ राधाकृष्ण एवं केसर देव कानोड़िया की हवेलियां, चिड़ावा में बागड़िया की हवेली, डालमिया की हवेली, महनसर की सोने-चांदी की हवेली, श्रीमाधोपुर में पंसारी की हवेली, लक्ष्मणगढ़ केडिया एवं राठी की हवेली प्रसिद्ध हैं.