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नई दिल्लीः जानकारों का मानना है कि पिछले साल केंद्र की मोदी सरकार द्वारा की लिए गए नोटबंदी के फैसले का असर नेगिटिव होगा या पॉजिटिव यह हमें कुछ समय बाद ही पता चलेगा. क्योंकि जिस समय केंद्र सरकार ने 500 और 1000 के पुराने नोट बंद करने का फैसला किया था उस समय मॉनसून, वैश्विक व्यापार के रुझान और पहले घोषित हो चुकी नीतियां जैसे आर्थिक कारक देश की अर्थव्यवस्था पर प्रभाव डाल रहे थे. दैनिक भास्कर में छपे लेख में आर्थिक मामलों के वरिष्ठ पत्रकार आर जगन्नाथ ने लिखा है कि नोटबंदी का असर उतना नहीं हुआ जितनी आशंका जताई जा रही थी.
अनुमान के मुताबिक नहीं हुआ नुकसान
आर्थिक मामलों के वरिष्ठ पत्रकार आर जगन्नाथ की मानें तो देश में नोटबंदी के असर का अलग से आकलन करना मुश्किल है क्योंकि इसमें देश के सकल घरेलू उत्पाद यानि जीडीपी बढ़ने की रफ्तार में भारी गिरावट का अंदेशा भी शामिल है. केंद्रीय सांख्यिकी विभाग यानि सीएसओ ने फरवरी में पूरे वित्त वर्ष 2016-17 में 7.1 फीसदी का पूर्वनुमान व्यक्त किया. यही नहीं नोटबंदी और नए नोट जारी किए जाने के बीच उपजी अव्यवस्था को सही तरीके से मैनेज नहीं कर पाने के लिए सरकार की तीखी आलोचना भी हुई, लेकिन शायद ये अनुचित ही रही.
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रिजर्व बैंक को देना चाहिए धन्यवाद
फरवरी तक नकदी की उपल्ब्धता लगभग सामान्य बनाने के लिए हर किसी को सरकार और रिजर्व बैंक को धन्यवाद देना चाहिए. फरवरी तक देश के ज्यादातर हिस्सों में नकदी की किल्लत दूर हो चुकी थी. यह देखते हुए कि 8 नवंबर 2016 के फैसले से एन झटके में चलन से बाहर हुए 15.44 लाख करोड़ रुप.ये के नोट बदलने के लिए सरकार के पास नई मुद्रा का पर्याप्त स्टॉक नहीं था. यह चमत्कार ही माना जाना चाहिए कि महज चार महीने में नकदी संकट दूर हो गया.
फरवरी तक पटरी पर लौटा बाजार
ऑटो सेक्टर समेत देश के कई उद्योगों ने फरवरी तक बाजार में मांग सामान्य स्तर पर लौटने की जानकारी दी है. इस तरह हम घोषित तौर पर कह सकते है कि नोटबंदी का सबसे नकारात्मक प्रभाव मार्च अंत तक दूर हो चुका था. कोई भी इस बात से इंकार नहीं कर सकता कि ग्रोथ सुस्त पड़ी है, कुछ लोगों को नौकरी गंवानी पड़ी है, लोगों को पुराने नोट बदलवाने के लिए परेशान होना पड़ा, लेकिन नोटबंदी के फायदे भी कम नहीं हैं.
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नोटबंदी के सकारात्मक पहलुओं पर गौर करें तो....
-आयकर विभाग ने 18 लाख लोगों को नोटिस भेजकर पूछा है कि उनके पास पैसा कहां से आया और इनमें से विभाग को आधे लोगों से जवाब मिले है. यदि इनमें से ज्यादातर डिपॉजिट्स वैध हो भी करदाताओं के एक बड़े वर्ग पर टैक्स अधिकारी नजर रख सकेंगे.
-टैक्स रिटर्न में आधार नंबर बताने को अनिवार्य किए जाने से टैक्स चोरी रुकेगी और आय छिपाना मुश्किल हो जाएगा.
- इस साल की दूसरी छमाही में गुड्स एंड सर्विसेज टेक्स यानि जीएसटी बिल के लागू होने के बाद टैक्स की चोरी करना और मुश्किल हो जाएगा.
- नोटबंदी से कई कारोबारी नकदी के रूप रखे कालेधन को वापस बैंकों में जमा कराने को मजबूर हुए.
- नोटंबदी के बाद से कई छोटे व्यापारियों और कारोबारियों पर टैक्स चुकाने के प्रति दबाव बना है.
केंद्र सरकार की नई योजनाएं रही आमजन के लिए लाभकारी
1. डिजिटल पेमेंट से हुआ फायदाः सरकार ने नोटबंदी के ऐलान के बाद उभरे नकदी के संकट का डिजिटल पेमेंट को बढ़ावा देकर मुस्तैदी से जवाब दिया. अब आप मोबाइल फोन पर यूनिफाइड पेमेंट्स इंटरफेस यानि यूपीआई वाले भीम एप, आधार ई केवाईसी और पैन कार्ड नंबर के साथ, बैंक या एटीएम पहुंचे बिना, डेबिट या क्रेडिट कार्ड के इस्तेमाल के बिना भी हर तरीके की बैंकिंग ट्रांजेक्शन कर सकते है.
2. 'भारत क्यूआर कोड' का मिला फायदाः नेशनल पेमेंट कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया यानि एनसीपीआई 20 फरवरी को 'भारत क्यूआर कोड' लॉन्च कर चुका है. एनसीपीआई ने इसे मास्टरकार्ड, वीजा और अमेरिकन एक्सप्रेस के साथ मिलकर बनाया है. यह इंटरऑपरेबल कोड है, यानि आप इसकी मदद से किसी भी बैंक कार्ड से किसी भी बैंक अकाउंट पर पेमेंट कर सकते है. एटीएम या मोबिक्विक ई वॉलेट का ग्राहक सिर्फ मोबिक्विक दुकानदार से ही लेनेदने कर सकता है. ऐसी इसमें कोई बाध्यता नहीं होती है. यह किसी भी प्लेटफॉर्म पर इस्तेमाल किया जा सकता है.
नोटबंदी: जनधन खातों में जमा हुए 21000 करोड़
भारत आज दुनिया का सबसे मॉर्डन डिजिटल पेमेंट वाला देश बन गया है. कोटक महिंद्रा बैंक ने पिछले हफ्ते अपनी 811 नामक बैंकिंग सेवा शुरू की. इसके तहत कोई भी व्यक्ति एप के जरिए घर बैठे ई केवाईसी करवाकर पांच में मिनट में बैंक खाता खुलवा सकता है और आप इस एप के जरिए किसी भी व्यक्ति को या किसी भी खाते में भगतान कर सकते है.
3. करदाताओं की संख्या बढ़ानाः नोटबंदी का तीसरा बढ़ा फायदा करदाताओं की संख्या बढ़ने के रूप में मिला. वित्त मंत्री अरुण जेटली एक फरवरी को अपने बजट भाषण में कह चुके है कि नोटबंदी के बाद लोगों ने पुराने नोटों के रूप में जो रकम बैंक खातों में जमा की है उसका शुरुआती विश्लेषण एक नई तस्वीर पेश करता है.
इसके मुताबिक 8 नवंबर से 30 दिसंबर के बीच 1.09 करोड़ खातों में 2 लाख से 80 लाख रुपये तक रकम जमा कराई गई. इसमें औसत डिपॉजिस्टस की राशि 5.03 रुपये रही. वहीं 1.48 लाख खातों में 80 लाख रुपये से ज्यादा रकम जमा कराई गई. इनमें औसत डिपॉजिस्ट की राशि 3.31 करोड़ रुपये रही.