सरकार ने बजट की तैयारियां शुरू कर दी हैं. इस बार आम बजट 1 फरवरी को पेश होने वाला है. पूरे वित्त मंत्रालय के साथ ही वित्त मंत्री भी आम बजट की तैयारियों में जुटे हुए हैं. इस बार का बजट कई मायनों में खास है. पहला तो यह कि जीएसटी लागू होने के बाद यह पहला बजट है.
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नई दिल्ली : सरकार ने बजट की तैयारियां शुरू कर दी हैं. इस बार आम बजट 1 फरवरी को पेश होने वाला है. पूरे वित्त मंत्रालय के साथ ही वित्त मंत्री भी आम बजट की तैयारियों में जुटे हुए हैं. इस बार का बजट कई मायनों में खास है. पहला तो यह कि जीएसटी लागू होने के बाद यह पहला बजट है. दूसरा यह कि मोदी सरकार का यह अंतिम बजट होगा क्योंकि 2019 में लोकसभा चुनाव होने हैं. इस बार के बजट से लोगों को कई उम्मीद बंधी हुई है. लोगों को उम्मीद है कि सरकार टैक्स छूट की सीमा बढ़ा सकती है. साल 2018 का बजट वित्त मंत्री अरुण जेटली का पांचवां बजट होगा. साथ ही यह दूसरा मौका है जब आम बजट के साथ ही रेल बजट पेश किया जाएगा. लेकिन क्या आपको पता है आम बजट को किस तरह तैयार किया जाता है. बजट तैयार करने की एक प्रक्रिया होती है. इन प्रक्रियाओं से गुजरने के बाद ही बजट को अंतिम रूप दिया जाता है.
कमाई और खर्चे का ब्योरा
आम बजट के लिए वित्त मंत्रालय काफी पहले से तैयारियां करना शुरू कर देता है. बजट की तैयारी शुरू करने से पहले वित्त मंत्रालय विभिन्न विभागों से उनकी कमाई और खर्चे पर एक ब्योरा जुटाना शुरू करता है. इन कमाई और खर्चे के ब्योरे के आधार पर ही बजट तैयार किया जाता है.
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राज्यों के वित्त मंत्रियों से बातचीत
बजट से पहले दूसरा चरण के अंतर्गत इंड्रस्टी, अर्थशास्त्रियों, ट्रेड यूनियनों, कृषि से जुड़े लोगों और राज्यों के वित्त मंत्रियों के साथ बातचीत शुरू कर देते हैं. वित्त मंत्री यह बातचीत बजट पेश करने के साल से पहले ही नवंबर माह में शुरू कर देते हैं. यह बातचीत दिसंबर और इस साल जनवरी में भी जारी रही. इस बजट पर प्रधानमंत्री कार्यालय की नजर रहती है.
दस्तावेजों की छपाई
इसके बाद बजट से जुड़े अहम दस्तावेजों की छपाई गुप्त तरीके से नॉर्थ ब्लॉक के बेसमेंट में बनी सरकारी प्रिटिंग प्रेस में होती है. यहां सीसीटीवी कैमरों और इंटेलीजेंस ब्यूरो की निगरानी में दस्तावेजों की छपाई का काम होता है. इसके चलते ही दिसंबर में वित्त मंत्रालय ने मीडिया की नार्थ ब्लॉक में एंट्री बंद कर दी थी. मीडिया की एंट्री बंद करने के पीछे का मकसद बजट से जुड़े सभी दस्तावेजों को गोपनीय रखना होता है.
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किसी से भी संपर्क नहीं
बजट तैयार करने वाले अधिकारियों को एक हफ्ते पहले से किसी से भी संपर्क नहीं करने दिया जाता. ये इसलिए किया जाता है ताकि बजट की कोई जानकारी लीक न हो. जो भी अधिकारी बजट की प्लानिंग से जुड़े होते हैं उन्हें एक बेसमेंट में लॉक कर दिया जाता है. वो तभी सभी के सामने आते हैं जब वित्त मंत्री बजट पेश कर देते हैं. तब तक बजट से जुड़े सभी अधिकारी या वित्त मंत्रालय के अधिकारी किसी के भी संपर्क में नहीं रहते और न ही बात करते हैं. यहां तक कि वो अपने परिवार से भी तब तक दूर रहते हैं जब तक बजट पेश नहीं हो जाता. यदि कोई बातचीत भी होती है तो वो इंटेलिजेंस अफसर की निगरानी में होती है.
बजट की स्पीच
बजट से दो दिन पहले प्रेस इंफोरमेशन ब्यूरो के अधिकारी बजट की स्पीच तैयार करते हैं. इस टीम में सरकार की पब्लिक रिलेशन विंग और प्रेस इंफोरमेशन ब्यूरो के 20 अधिकारी शामिल होते हैं. ये अधिकारी अंग्रेजी, हिंदी और उर्दू में प्रेस रिलीज तैयार करते हैं. जब तक वित्त मंत्री बजट स्पीच नहीं पढ़ लेते तब तक इन अधिकारियों को जाने की अनुमति नहीं दी जाती. इतना ही नहीं कैबिनेट को भी संसद में बजट पेश करने से 10 मिनट पहले बजट की कॉपी दी जाती है.
ये भी जानें
भारतीय बजट का इतिहास 150 सालों से भी पुराना है. देश का पहला बजट ब्रिटिश सरकार के वित्त मंत्री जेम्स विल्सन ने पेश किया था जबकि स्वतंत्र भारत का पहला बजट पहले वित्त मंत्री आरके षणमुखम शेट्टी ने पेश किया था. आजादी से लेकर अभी तक बजट पेश करने के तौर-तरीकों और नियमों में काफी बदलाव आया है. अब बजट की पेशी और भी सीक्रेट तरीके से होती है.