वित्त मंत्री जेटली ने कहा, 'पिछले 3-4 साल में किये गये सुधारों से भारत अधिक तेजी से वृद्धि की राह पर पहुंच गया है.'
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नई दिल्ली: वित्त मंत्री अरुण जेटली ने भारत की वित्तीय साख को 13 साल बाद ऊंची कोटि में रखने के वैश्विक रेटिंग एजेंसी मूडीज के निर्णय को देश में कुछ सालों में किए गए सुधारों को "देरी से मिली मान्यता" करार दिया है. उन्होंने राजकोषीय मजबूती की दिशा में सरकार की प्रतिबद्धता दोहराते हुए साथ में यह भी कहा है कि देश में सुधारों की गाड़ी आगे बढ़ती रहेगी और बुनियादी ढांचों तथा ग्रामीण क्षेत्रों पर खर्च बढ़ाया जाएगा. मूडीज ने भारत की रेटिंग को ‘बीएए3’ से बढ़ा कर ‘बीएए2’ कर दिया है.
जेटली ने कहा कि यह देश के सुधार पथ पर लगातार आगे बढ़ने के कारण संभव हुआ है. वित्त मंत्री ने संवाददताओं से कहा, ‘हम इसका स्वागत करते हैं और हमारा मानना है कि यह पिछले कुछ वर्षों में भारत द्वारा उठाए गए सकरात्मक कदमों को विलंब से मिली मान्यता है. इन कदमों से भारत की अर्थव्यवस्था को मजबूत बनाने में मदद मिली है.’
#Moody's upgrade is a recognition of all the structural reforms in the Indian Economy in the past few years.
— Arun Jaitley (@arunjaitley) November 17, 2017
उन्होंने कहा कि मूडीज का रेटिंग बढ़ाना पिछले 3-4 सालों में भारत में हुई सुधार की प्रक्रिया को पहचान मिलना है. जेटली ने कहा कि नोटबंदी, सरकारी योजनाओं में आधार कार्ड का उपयोग, दिवाला कानून और जीएसटी जैसे संस्थागत सुधारों ने इसमें अहम भूमिका निभाई है. पिछले कुछ साल में उठाये गये कदम एक तय योजना के अनुसार हैं और इन्हें अंतरराष्ट्रीय स्वीकृति मिलना अत्यधिक उत्साहजनक है. सरकार के सुधार कार्यक्रमों पर सवाल उठाने वालों पर निशाना साधते हुए जेटली ने कहा कि 13 साल बाद भारत की रेटिंग में सुधार हुआ है. मुझे भरोसा है कि भारत की सुधार प्रक्रिया के बारे में संदेह रखने वाले अब अपनी राय पर गंभीरता से आत्मचिंतन करेंगे.
जेटली ने इस बात को खारिज किया कि भारत की क्रेडिट रेटिंग में सुधार का भारतीय जनता पार्टी गुजरात और हिमाचल प्रदेश के चुनावों में राजनीतिक फायदा उठा सकती है. उन्होंने कहा कि यदि चुनाव को ध्यान में रख कर निर्णय होते रहे तो स्थिर सुधार करना संभव नहीं होगा. उन्होंने कहा कि जीएसटी दरों को धीरे धीरे और तर्कसंगत करने का काम चल रहा है. इससे कारोबारियों को फायदा होगा.
यह पूछे जाने पर कि क्या सरकार राजकोषीय सुदृढ़ीकरण के रास्ते पर बनी रहेगी तो उन्होंने कहा, ‘पिछले तीन साल का हमारा रिकार्ड अपने आप में एक वक्तव्य है और हम तय रास्ते पर बने रहना चाहते हैं.’ जेटली ने कहा कि इस मामले में उनकी सरकार का तीन साल का रिकॉर्ड भारत के इतिहास के एक अच्छे रिकॉर्ड में रहा है.
वित्त मंत्रालय के एक बयान में कहा गया है कि मूडीज की ओर से भारत की रेटिंग ऊंचा किया जाना वृहद आर्थिक संतुलन के प्रति भारत की प्रतिबद्धता को मान्यता प्रदान करता है. इस प्रतिबद्धता के चलते मुद्रास्फीति घटी है, घाटा कम हुआ है और वाह्य संतुलन भी ठीक हुआ है. इसमें कहा गया है कि सरकार के राजकोषीय सुदृढ़ीकरण कार्यक्रम से राजकोषीय घाटा 2016-17 में घट कर सकल घरेलू उत्पाद के 3.5 प्रतिशत पर आ गया. वर्ष 2013-14 में घाटा 4.5 प्रतिशत के बराबर था.
जेटली ने कहा कि जीएसटी को पुरी दुनिया ने एक ऐतिहासिक सुधार माना है. उन्होंने कहा, ‘यह बहुत ही उत्साहजनक है कि दुनिया इसको मान रही है और इस मान्यता से हमें उस राह पर आगे बढ़ने का हमारा संकल्प और मजबूत होता है जिसको हमने चुना है.’ उन्होंने कहा कि रेटिंग में सुधार ‘अपने आप से नहीं हुआ है’. भारत तीन साल से सबसे तीव्र वृद्धि कर रही बड़ी अर्थव्यवस्था रहा है. उन्होंने कि 13 साल में भारत को पहली बार रेटिंग में पहले से ऊंची जगह पर रखा गया है. मुझे यकीन है कि वे तमाम लोग , जो संशय कर रहे थे, अब अपने दृष्टिकोण का गंभीरता से आत्म निरीक्षण करेंगे.’
मूडीज ने भारत की रेटिंग को बढ़ाकर किया 'बीएए2', कर्ज के भारी दबाव को बताया 'धब्बा'
अमेरिका स्थित क्रेडिट रेटिंग एजेंसी मूडीज ने आर्थिक एवं संस्थागत सुधारों से घरेलू अर्थव्यवस्था में वृद्धि की संभावनाएं बेहतर होने के कारण देश की रेटिंग एक पायदान बढ़ाकर शुक्रवार (17 नवंबर) को ‘बीएए2’ कर दी.रेटिंग में यह सुधार 13 वर्ष बाद हुआ है. इससे पहले 2004 में देश की रेटिंग सुधारकर ‘बीएए3’ की गयी थी. वर्ष 2015 में उसने रेटिंग परिदृश्य को सकारात्मक से स्थिर किया था. बीएए3 रेटिंग निवेश श्रेणी का सबसे निचला दर्जा है. मूडीज ने अपने बयान में कहा, ‘‘रेटिंग में सुधार का यह निर्णय मूडीज की इस उम्मीद पर आधारित है कि आर्थिक एवं संस्थागत सुधारों में सतत प्रगति से आने वाले समय में भारत की तेज आर्थिक वृद्धि की संभावनाएं बेहतर होंगी.
इससे सरकार के ऋण के लिए स्थिर एवं बड़ा वित्तीय आधार तैयार होगा और यह मध्यम अवधि में सरकार के ऋण दबाव में क्रमिक कमी लाएगा. सार्वभौम रेटिंग किसी भी देश के निवेश माहौल का सूचक होता है. यह निवेशकों को किसी देश में निवेश से संबंधित जोखिमों से अवगत कराता है. इन जोखिमों में राजनीतिक जोखिम भी शामिल होता है.
(इनपुट एजेंसी से भी)