'शुभचिंतकों' ने चंदा कोचर को बनवाया था CEO, चुकाया था पति की कंपनी का कर्ज
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'शुभचिंतकों' ने चंदा कोचर को बनवाया था CEO, चुकाया था पति की कंपनी का कर्ज

क्रिडेंशियल फाइनेंस वही कंपनी है, जिसे कभी चंदा कोचर के पति और देवर चलाया करते थे. यह कंपनी अब बंद हो चुकी है. इस कंपनी में चंदा कोचर भी शेयरहोल्डर रही थीं. 

अपने पति दीपक कोचर, बेटे अर्जुन के साथ ICICI बैंक की सीईओ चंदा कोचर (फाइल फोटो)

नई दिल्ली: आईसीआईसीआई बैंक-वीडियोकॉन लोन मामले में नाम आने के बाद से चंदा कोचर की मुश्किलें लगातार बढ़ रही हैं. अब इस मामले में एक और नया मोड आया है. चंदा कोचर को मार्च 2009 में आईसीआईसीआई बैंक का सीईओ बनाए जाने के कुछ ही समय बाद कुछ अज्ञात 'शुभचिंतकों' ने क्रिडेंशियल फाइनेंस का बकाया चुकाया था. क्रिडेंशियल फाइनेंस वही कंपनी है, जिसे कभी चंदा कोचर के पति और देवर चलाया करते थे. यह कंपनी अब बंद हो चुकी है. इस कंपनी में चंदा कोचर भी शेयरहोल्डर रही थीं. मार्च 2009 में कंपनी ने कई क्रेडिटर्स के साथ कोर्ट में सेटलमेंट किया था.

  1. ICICI बैंक की CEO चंदा कोचर की मुश्किलें बढ़ सकती हैं
  2. CEO बनने से पहले डिफॉल्टर कंपनी में हिस्सेदारी थीं चंदा
  3. शुभचिंतकों ने चंदा कोचर के पति की कंपनी का कर्ज चुकाया था

इंडो-सुएज बैंक को दिए थे 40 लाख रुपए 
इकोनॉमिक टाइम्स में छपी खबर के मुताबिक, क्रिडेंशियल फाइनेंस के कम से कम एक मामले में 'शुभचिंतकों' ने 40 लाख रुपए बैंक इंडो-सुएज (अब केलियोन बैंक) को क्रिडेंशियल फाइनेंस की ओर से दिए थे. उसके कुछ ही समय बाद कंपनी के डायरेक्टर भी बदल दिए गए थे. विभिन्न क्रेडिटर्स के साथ हुए सेटलमेंट से चंदा कोचर के पति और क्रिडेन्शल के पूर्व एमडी दीपक कोचर के खिलाफ पहले से चला आ रहा मानहानि का एक मुकदमा भी निपट गया था.

किस्तों में चुकाई गई थी रकम
बकाया रकम किस्तों में चुकाई गई थी. शुरुआत आईसीआईसीआई बैंक की ओर से जारी पे-ऑर्डर्स से हुई थी. हालांकि, बैंक ने क्लाइंट की गोपनीयता के नियमों के चलते पे-ऑर्डर के ड्रॉअर या खरीददार की पहचान का खुलासा नहीं किया. इस संबंध में दीपक कोचर और उनके भाई राजीव कोचर से संपर्क किया गया, लेकिन कोई जवाब नहीं मिला.

2009 में छोड़ी क्रिडेंशियल में हिस्सेदारी
कोचर परिवार ने कर्जा चुकाने के बाद क्रिडेंशियल फाइनेंस को छोड़ दिया था. यह सब चंदा कोचर के बैंक की सीईओ बनने से ठीक पहले हुआ. सूत्रों की मानें तो सारी कार्रवाई इतनी तेजी से हुई कि उस समय किसी को कानों-कान भनक तक नहीं लगी. सेटलमेंट को अहम माना जा रहा है क्योंकि इससे कंपनी और कोचर फैमिली के मेंबर्स (जो पूर्व निदेशक थे) को चंदा कोचर के देश के सबसे बड़े प्राइवेट बैंक यानी आईसीआईसीआई बैंक की सीईओ बनने से पहले क्रेडिटर्स के साथ विवाद खत्म करने में मदद मिली.

विवाद से अनजान था ICICI बैंक
एक सीनियर बैंकर के मुताबिक,  2009 में आईसीआईसीआई बैंक को क्रीडेंशियल में कोचर परिवार की हिस्सेदारी या उस पर भारी कर्जे की जानकारी थी या नहीं. अगर उसे पता होता तो शायद वह चंदा को निदेशक मंडल में जगह न देता. बैंक के बोर्ड में जगह उसी को दी जाती है जो केंद्रीय बैंक के तय मानकों पर खरा उतरता है. यानि साफ छवि वाला, जिसका पूर्व में कोई विवाद से नाता न रहा हो. 

8 साल पहले बोर्ड में शामिल थीं चंदा
आईसीआईसीआई बैंक की सीईओ बनाए जाने से करीब आठ साल पहले वह इसके बोर्ड में आ चुकी थीं. अप्रैल 2001 में वह एग्जिक्युटिव डायरेक्टर बनीं, 2006 में वह डिप्टी एमडी बनीं और 2007 से 2009 के बीच वह चीफ फाइनेंशियल ऑफिसर और ज्वाइंट एमडी थीं. हालांकि, बैंक के बोर्ड में शामिल होने के लिए स्पष्ट दिशा-निर्देश हैं जिनका सख्ती से पालन होता है लेकिन कोचर के मामले में इसका पालन हुआ या नहीं इस पर भ्रम है.

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