दिल्ली ही नहीं अब देश के 28 शहरों में भी रिंग रोड की प्लानिंग, खर्च होंगे 36290 करोड़ रुपए
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दिल्ली ही नहीं अब देश के 28 शहरों में भी रिंग रोड की प्लानिंग, खर्च होंगे 36290 करोड़ रुपए

मंत्रिमंडल ने पिछले साल इसकी घोषणा की थी. इसके तहत सरकार ने 2022 तक 6.92 लाख करोड़ रुपये की लागत से 84,000 किलोमीटर राष्ट्रीय राजमार्ग के विकास का लक्ष्य रखा है.

केंद्रीय सड़क परिवहन मंत्री नितिन गडकरी. (फाइल फोटो)

नई दिल्ली: केंद्रीय सड़क परिवहन मंत्री नितिन गडकरी ने कहा है कि सरकार देश के 28 बड़े शहरों में 36,290 करोड़ रुपये की अनुमानित लागत से रिंग रोड बनाने की योजना तैयार कर रही है. इसमें से 21,100 करोड़ रुपये की लागत वाली परियोजनाओं के लिए विस्तृत परियोजना रपट पर काम चल रहा है. परियोजनाएं महत्वाकांक्षी भारतमाला कार्यक्रम का हिस्सा है. मंत्रिमंडल ने पिछले साल इसकी घोषणा की थी. इसके तहत सरकार ने 2022 तक 6.92 लाख करोड़ रुपये की लागत से 84,000 किलोमीटर राष्ट्रीय राजमार्ग के विकास का लक्ष्य रखा है.

  1. सरकार देश के 28 बड़े शहरों में रिंग रोड बनाने की योजना तैयार कर रही है.
  2. इसके निर्माण में करीब 36,290 करोड़ रुपये की अनुमानित लागत लाएगी.
  3. भारतमाला योजना के तहत विभिन्न राष्ट्रीय गलियारों के निर्माण की योजना बनायी गई है.

पोत परिवहन, जल संसाधन तथा गंगा सरंक्षण विभाग की भी जिम्मेदारी संभाल रहे गडकरी ने कहा, ‘‘भारतमाला के तहत हमारी योजना सभी बड़े शहरों में भीड़-भाड़ कम करने की है. हमने 36,290 करोड़ रुपये की लागत से रिंग रोड बनाने की योजना बनायी है. इसमें से 21,100 करोड़ रुपये की लागत की परियोजनाओं के लिए विस्तृत परियोजना रपट पर काम जारी है.’’ 

उन्होंने कहा कि इसके अलावा 4,700 करोड़ रुपये की परियोजनाओं के लिये विस्तृत परियोजना रिपोर्ट (डीपीआर) तैयार करने का काम सौंपने की प्रक्रिया जारी है. दिल्ली, लखनऊ, बेंगलुरु रांची, पटना, श्रीनगर तथा उदयपुर समेत सभी बड़े शहरों में रिंग रोड की योजना बनायी गयी है.

भारतमाला योजना के तहत विभिन्न राष्ट्रीय गलियारों के निर्माण की योजना बनायी गई है और गलियारों में भीड़ भाड़ को कम करने के लिये सरकार ने रिंग रोड जैसी योजनाएं बनायी हैं. गडकरी ने कहा कि 28 रिंग रोड के अलावा 40 बाईपास की भी योजना बनायी गयी है. मंत्री ने कहा कि भारतमाला के अंतर्गत बड़े पैमाने पर सड़क निर्माण को देखते हुए राजमार्ग मंत्रालय ने इस बार अधिक बजटीय आवंटन की मांग की है. इसके अलावा क्षेत्र में नवप्रवर्तन के लिये भी कोष की मांग की गयी है.

(इनपुट एजेंसी से भी)

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