इस साल सरकार को वेतन से ज्यादा पेंशन का भुगतान करना होगा.
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नई दिल्ली : केंद्रीय कर्मचारियों के 7वें वेतन आयोग से इतर न्यूनतम वेतनमान बढ़ाने की मांग के बीच खबर है कि इस साल सरकार को वेतन से ज्यादा पेंशन का भुगतान करना होगा. यह स्थिति 2021 (3 साल) तक बने रहने का अनुमान है. सरकार पर वेतन भुगतान के मुकाबले पेंशन खर्च 10,000 करोड़ रुपये अधिक पड़ेगा. संभव है कि इस मजबूरी के कारण ही केंद्रीय कर्मचारियों का न्यूनतम वेतन 18000 रुपए से बढ़ाकर 26000 रुपए नहीं किया जा रहा है.
लोकसभा में पेश मध्यावधि व्यय रूपरेखा (Medium Term Expenditure Framework) के अनुसार आने वाले वर्षों में सब्सिडी और ब्याज भुगतान पर भी सरकार का व्यय बढ़ेगा. वित्त मंत्रालय के दस्तावेज के मुताबिक सकारात्मक संकेत यह है कि 2020-21 तक सरकार राजकोषीय घाटे को सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) के 3 प्रतिशत के स्तर पर लाने में कामयाब रहेगी. वर्ष 2019-20 के लिए सरकार ने राजकोषीय घाटे का लक्ष्य 3.1% और चालू वित्त वर्ष के लिए 3.3% रखा है.
इस साल जीडीपी दर 7.3% पर रहेगी
पूंजीगत व्यय चालू वित्त वर्ष में 3 लाख करोड़ रुपये के बजटीय अनुमान से थोड़ा अधिक रहने, 2019-20 में बढ़कर 3.27 लाख करोड़ रुपये होने और बाद में 3.76 करोड़ रुपये हो जाने की उम्मीद है. मध्यावधि व्यय रूपरेखा में अगले 3 वर्ष के व्यय लक्ष्यों को तय किया गया है. इसमें देश की जीडीपी वृद्धि दर चालू वित्त वर्ष में 7.3% रहने, 2019-20 में 7.5% और 2020-21 में 7.8% रहने का अनुमान लगाया गया है.
वेतन खर्च 1.58 लाख करोड़ रुपए रहेगा
सरकार का अनुमान है कि सरकार का वेतन व्यय 1.58 लाख करोड़ रुपये रहेगा जो पिछले वित्त वर्ष में 1.50 लाख करोड़ रुपये था. इसी प्रकार 2019-20 में यह बढ़कर 1.66 लाख करोड़ रुपये और 2020-21 में 1.74 लाख करोड़ रुपये रहने का अनुमान है. वहीं सरकार का पेंशन पर व्यय वेतन की तुलना में अधिक रहने की उम्मीद है. चालू वित्त वर्ष में यह पिछले साल के 1.45 लाख करोड़ रुपये से बढ़कर 1.68 लाख करोड़ रुपये रहने का अनुमान है. इसी प्रकार 2019-20 में इसके 1.79 लाख करोड़ रुपये और 2020-21 में 1.84 लाख करोड़ रुपये पर पहुंच जाने का अनुमान है.
भोजन पर सब्सिडी भी बढ़कर 1.69 लाख करोड़ रुपये हो जाएगी
सरकार का खाद्य सब्सिडी भुगतान पिछले वित्त वर्ष के एक लाख करोड़ रुपये से बढ़कर चालू वित्त वर्ष में 1.69 लाख करोड़ रुपये हो जाने का अनुमान है. वर्ष 2019-20 में यह 1.87 लाख करोड़ रुपये और 2020-21 में यह दो लाख करोड़ रुपये से ऊपर निकल सकता है. इसी प्रकार पेट्रोलियम सब्सिडी का बिल चालू वित्त वर्ष में 24,933 करोड़ रुपये से बढ़कर 2020-21 तक 28,546 करोड़ रुपये हो जाने का अनुमान है.
रक्षा खर्च भी बढ़ने का अनुमान
सरकार का उर्वरक सब्सिडी, रक्षा खर्च और कराधान प्रशासन खर्च में भी बढ़ोत्तरी होने का अनुमान इस रपट में जताया गया है. उर्वरक सब्सिडी के इस साल 70,090 करोड़ से बढ़कर 2020.21 तक 80,246 करोड़ रुपये, रक्षा व्यय 1.92 लाख करोड़ रुपये से बढ़कर 2.20 लाख करोड़ रुपये और कर प्रशासन व्यय इस साल के 95,684 करोड़ रुपये से बढ़कर 2020. 21 में 1.10 करोड़ रुपये तक पहुंच जाने का अनुमान है.
इनपुट एजेंसी से भी