ये तीनों ही मुखौटा कंपनियां थीं जो कि 1 प्रतिशत के चार्ज पर गीतांजलि ज्वैलर्स के चेक को कैश कराने का काम करती थी.
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नई दिल्ली: गीतांजलि ज्वैलर्स को 2500 करोड़ का कर्ज देने वाले कंपनी के शीर्ष 3 निदेशक जो कि हीरा कारोबार से जुड़े थे, के महीने की आय 12000 से 15000 रुपए थी. पंजाब नेशनल बैंक (पीएनबी) में 13,400 करोड़ के घोटाले की जांच कर रही एजेंसी ने यह बात कही है. सूत्रों ने कहा कि ये निदेशक तीन परिचालन ऋणदाता कंपनी... एशियन इम्पेक्स, प्रीमियर इंटरट्रेड और आईरिस मेरकैंटाइल... के लिए काम करते थे. ये तीनों ही मुखौटा कंपनियां थीं जो कि 1 प्रतिशत के चार्ज पर गीतांजलि ज्वैलर्स के चेक को कैश कराने का काम करती थी. अखबार 'द इंडियन एक्सप्रेस' ने यह खबर प्रकाशित की है. सीबीआई समेत कई एजेंसियां नीरव मोदी और गीतांजलि जेम्स के प्रवर्तक मेहुल चौकसी द्वारा पीएनबी के साथ की गयी 13,000 करोड़ रुपये की धोखाधड़ी की जांच कर रही हैं.
मुखौटा कंपनियां (शेल कंपनी) सिर्फ कागजों पर होती हैं और चेक को भुनाने का काम करती है. इन शेल कंपनियों का कोई विशुद्ध बिजनेस (कामकाज) नहीं होता और यह दूसरी कंपनियों के लिए फर्जी बिल की सर्विस मुहैया कराते हैं. इसके बाद फर्जी बिलों की अदायगी के लिए मुखौटा कंपनियों के नाम पर कोई कंपनी जैसे एबीसी चेक जारी करती है. मुखौटा कंपनियां इन चेकों को अपने बैंक खाते में जमा करती है और इसी पैसे को कैश (नगद) या चेक के जरिए एबीसी द्वारा नियंत्रित दूसरी मुखौटा कंपनी को आमतौर एक प्रतिशत की रकम लेकर सौंप देती है.
जांच एजेंसियों ने पिछले महीने इन तीन निदेशकों के बयान दर्ज किए थे. नाम ना बताने की शर्त पर एक सूत्र ने बताया कि ये सभी निदेशक दक्षिण मुंबई के ओपेरा हाउस में काम करते थे. सूत्रों ने कहा, 'जांचकर्ताओं को शक है कि इन तीन कंपनियों को अप्रत्यक्ष तौर पर मेहुल चौकसी नियंत्रित करता और इनका इस्तेमाल कर्ज को घुमाने के लिए किया जाता है.' गीतांजलि ज्वैलर्स की वार्षिक रिपोर्ट के मुताबिक कंपनी को 31 मार्च 2017 तक इनके देनदारों को 3859 करोड़ रुपए की रकम देनी थी, जो कि पिछले साल 1548 करोड़ रुपए थी.
पीएनबी मामले में रिजर्व बैंक ने उपयुक्त तरीके से ऑडिट नहीं की: सीवीसी
इससे पहले बीते 3 अप्रैल को केंद्रीय सतर्कता आयुक्त केवी चौधरी ने पीएनबी ऋण धोखाधड़ी को लेकर आरबीआई को जिम्मेदार ठहराया है और कहा है कि जाहिरा तौर पर लगता है कि घोटाले के दौरान केंद्रीय बैंक ने कोई ऑडिट नहीं की. चौधरी ने बैंकिंग क्षेत्र में ऑडिट प्रणाली को और अधिक मजबूत किए जाने पर बल दिया है.
भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) की जिम्मेदारी के मुद्दे पर उन्होंने कहा, ‘‘उन्होंने (आरबीआई ने) यह काम (ऑडिट) नहीं किया.’’ सीवीसी, केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) के कामकाज पर नजर रखता है. पंजाब नेशनल बैंक में 13,000 करोड़ रुपए की ऋण धोखाधड़ी की जांच सीबीआई कर रही है.
उन्होंने कहा कि रिजर्व बैंक का काम बैंकों का विनियमन करना है, लेकिन ईमानदारी में किसी तरह की कोताही पर केंद्रीय सतर्कता आयोग गौर करेगा. चौधरी ने कहा कि रिजर्व बैंक के अनुसार उसने नियमित ऑडिट की जगह ‘जोखिम आधारित’ ऑडिट व्यवस्था को अपनाया है. यह तब किया जाता है जब वित्तीय जोखिम शामिल हो.
(इनपुट एजेंसी से भी)