प्याज के दाम में गिरावट से पैदा हो रही चिंताओं के बीच उसके निर्यात को बढ़ावा देने और किसानों को अधिक मूल्य दिलाने की कवायद के तहत ये कदम उठाए गए हैं.
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नई दिल्ली: सरकार ने प्याज के निर्यात पर प्रोत्साहन को दोगुना कर दिया है. प्याज के दाम में गिरावट से पैदा हो रही चिंताओं के बीच उसके निर्यात को बढ़ावा देने और किसानों को अधिक मूल्य दिलाने की कवायद के तहत ये कदम उठाए गए हैं. वर्तमान में प्याज के निर्यातकों को भारत से व्यापारिक वस्तु निर्यात योजना (एमईआईएस) के तहत (एमईआईएस) नई फसल के लिए पांच प्रतिशत का निर्यात प्रोत्साहन प्राप्त होता है. यह योजना 12 जनवरी, 2019 तक के लिए लागू थी.
इस योजना को भी अगले साल 30 जून तक के लिए विस्तारित कर दिया गया है. एक आधिकारिक बयान में कहा गया है, "सरकार ने किसानों के हित में एमईआईएस के तहत मौजूदा पांच प्रतिशत के प्रोत्साहन को बढ़ाकर दस प्रतिशत कर दिया है." उसमें कहा गया है कि इससे घरेलू बाजार में प्याज के अधिक दाम मिलेंगे. मंडियों में नई फसल आने के कारण प्याज की खुदरा कीमतें बहुत अधिक ‘गिर गई हैं.’ बयान में कहा गया है, “इस स्थिति से निपटने के लिए सरकार ने निर्यात को बढ़ावा देने का फैसला किया है ताकि घरेलू कीमतों में स्थिरता आए."
जुलाई, 2018 में सरकार ने प्याज की नई फसलों पर पांच प्रतिशत का निर्यात प्रोत्साहन देने का फैसला किया था. इससे पहले वाणिज्य मंत्री सुरेश प्रभु ने निर्यात प्रोत्साहन को दोगुना करने की वकालत की थी. प्याज के दाम में भारी गिरावट के बीच प्रभु ने वित्त मंत्री अरुण जेटली को पत्र लिखकर प्याज निर्यातकों के लिए प्रोत्साहन राशि को दोगुना करने के लिए वित्त मंत्रालय से 179.16 करोड़ रुपये आबंटित करने का आग्रह किया था. वाणिज्य मंत्री ने कहा कि उनका मंत्रालय एमईआईएस के तहत निर्यात पर प्रोत्साहन को बढ़ाकर पांच प्रतिशत से दस प्रतिशत करना चाहता है. प्रभु ने कहा, "प्रोत्साहन दर बढ़ाने से निर्यात को बढ़ावा मिलने की संभावना है और घरेलू कीमतों को समर्थन देने के लिए इसकी जरूरत है."
महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने वाणिज्य मंत्री को पत्र लिखकर कहा था कि बाजार में प्याज की कीमतें 200-350 रुपये प्रति क्विंटल तक गिर गई हैं, इससे किसानों को बहुत अधिक असुविधा हो रही है. भारत ने इस साल अप्रैल से अक्टूबर के बीच 25.6 करो़ड़ डॉलर के प्याज का निर्यात किया. पिछले साल की इसी अवधि में यह आंकड़ा 51.15 करोड़ डॉलर का रहा था. कर्नाटक, गुजरात और मध्य प्रदेश जैसे राज्यों में अच्छी बारिश के कारण प्याज का बहुत अधिक उत्पादन हुआ है. इस कारण महाराष्ट्र के प्याज की मांग अन्य राज्यों में देखने को नहीं मिली है और कीमतों में बहुत अधिक गिरावट आई है.