"आपस में काफी विचार विमर्श के बाद हमारा दृढ़ता से यह मानना है कि इंफोसिस के बोर्ड को नंदन नीलकेणी को वापस उनकी उपयुक्त क्षमता के अनुरूप बुलाना चाहिए."
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बेंगलुरू: इंफोसिस के बोर्ड रूम में चल रहे विवाद के चलते कंपनी के शेयर ढलान पर हैं. ऐसे में कंपनी के दर्जन भर से अधिक प्रमुख घरेलू संस्थागत निवेशकों (डीआईआई) ने बुधवार को कंपनी से आग्रह किया कि वे सहसंस्थापक नंदन नीलकेणी को वापस बोर्ड में आने का न्यौता दें. डीआईआई द्वारा भेजे पत्र में कहा गया है, "आपस में काफी विचार विमर्श के बाद हमारा दृढ़ता से यह मानना है कि इंफोसिस के बोर्ड को नंदन नीलकेणी को वापस उनकी उपयुक्त क्षमता के अनुरूप बुलाना चाहिए."
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निवेशकों की बोर्ड से अपील
आईटी दिग्गज के संस्थागत निवेशकों ने बोर्ड से कहा कि हाल की घटनाएं उनके लिए चिंताजनक है. निवेशकों ने संयुक्त पत्र में कहा, "हमारी राय में, उन्हें (नंदन नीलकेणी) विभिन्न हितधारकों, जिसमें ग्राहक, शेयरधारक और कर्मचारी शामिल हैं, का भरोसा है."
10 अरब डॉलर की सॉफ्टवेयर कंपनी
इस 10 अरब डॉलर की सॉफ्टवेयर कंपनी के सात सहसंस्थापकों में 62 वर्षीय नीलकेणी भी शामिल हैं. उन्होंने साल 2009 में सरकार की विशिष्ट पहचान प्राधिकरण (यूआईएआई) के पहले अध्यक्ष के रूप में शामिल होने के लिए इंफोसिस उपाध्यक्ष का पद छोड़ दिया था.
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नीलेकणी के रहते 5 साल में बढ़ा था 5 गुना रेवेन्यू
बता दें कि नीलेकणी इन्फोसिस के सात फाउंडर्स में एक हैं. वह मार्च 2002 से 2007 तक कंपनी के सीईओ रहे. इस दौरान उनके पांच साल के टेन्योर में कंपनी का रेवेन्यू पांच गुना और टैक्स के बाद मुनाफा 4.7 गुना तक बढ़ गया था. गौरतलब है कि उनके आने से पहले 2001-02 में इन्फोसिस का रेवेन्यू 2,604 करोड़ था. यह 2006-07 में 13,149 करोड़ रुपए हो गया. इस दौरान मुनाफा 808 करोड़ से बढ़कर 3,777 करोड़ रु. हो गया.