भारतीय स्टेट बैंक (SBI) को चालू वित्त वर्ष की जून तिमाही में डूबे ऋण के भारी दबाव के कारण 4,876 करोड़ रुपये का भारी-भरकम घाटा हुआ है. इससे पिछले वित्त वर्ष की समान तिमाही में एसबीआई को 2,006 करोड़ रुपये का शुद्ध लाभ हुआ था.
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नई दिल्ली : भारतीय स्टेट बैंक (SBI) को चालू वित्त वर्ष की जून तिमाही में डूबे ऋण के भारी दबाव के कारण 4,876 करोड़ रुपये का भारी-भरकम घाटा हुआ है. इससे पिछले वित्त वर्ष की समान तिमाही में एसबीआई को 2,006 करोड़ रुपये का शुद्ध लाभ हुआ था. शेयर बाजारों को भेजी सूचना में बैंक ने कहा कि आलोच्य तिमाही के दौरान उसकी कुल आय 62,911.08 करोड़ रुपये से बढ़कर 65,492.67 करोड़ रुपये पर पहुंच गई.
एनपीए बढ़कर 10.69 प्रतिशत हुआ
इस दौरान बैंक की सकल गैर निष्पादित आस्तियां (एनपीए) 9.97 प्रतिशत से बढ़कर 10.69 प्रतिशत और शुद्ध एनपीए मामूली कम होकर 5.97 प्रतिशत की तुलना में 5.29 प्रतिशत पर आ गया. बैंक ने कहा कि चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही में ऋण का कुल प्रावधान 8,929.48 करोड़ रुपये से दोगुना होकर 19,228 करोड़ रुपये पर पहुंच गया.
इससे पहले बैंकों ने साल 2017-18 में 1.20 लाख करोड़ रुपये मूल्य के फंसे कर्जों को बट्टे खाते में डाला. यह राशि आलोच्य वित्त वर्ष में इन बैंकों को हुए कुल घाटे की तुलना में 140 प्रतिशत अधिक है. उपलब्ध आंकड़ों के अनुसार एक दशक में पहली बार है जबकि सार्वजनिक बैंकों को बड़ी मात्रा में राशि बट्टे खाते में डालनी पड़ी और कुल मिलाकर घाटा उठाया.
सार्वजनिक क्षेत्र के 21 बैंकों ने 2016-17 तक संचयी मुनाफा कमाया था लेकिन 2017-18 में उन्हें 85,370 करोड़ रुपये का एकीकृत घाटा हुआ. वित्त वर्ष 2016-17 में सार्वजनिक बैंकों ने 81,683 करोड़ रुपये मूल्य की गैर निष्पादित आस्तियों (NPA) को बट्टे खाते में डाला. इसी अवधि में संचयी आधार पर उन्हें 473.72 करोड़ रुपये का एकीकृत शुद्ध लाभ हुआ. रेटिंग एजेंसी इक्रा के अनुसार 2017-18 में केवल एसबीआई ने ही 40,196 करोड़ रुपये मूल्य के फंसे कर्ज को बट्टे खाते में डाला.