पंजाब नेशनल बैंक हुए महाघाटोले के बाद से बैंकिंग सिस्टम को लेकर कई सवाल खड़े हो गए हैं. रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया ने खुलासा किया है कि हर चार घंटे में बैंक का एक स्टाफ घोटाले में शामिल होता है.
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नई दिल्ली: पंजाब नेशनल बैंक हुए महाघाटोले के बाद से बैंकिंग सिस्टम को लेकर कई सवाल खड़े हो गए हैं. रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया ने खुलासा किया है कि हर चार घंटे में बैंक का एक स्टाफ घोटाले में शामिल होता है. वहीं, एक आरटीआई में खुलासा हुआ है कि बैंक राइट ऑफ के जरिए खुद को डूबने में लगे हुए हैं. ऐसे में देश के करीब 49 बैंक के दिवालिया होने की कगार पर खड़े हैं. पिछले महीने एक अफवाह ने भी जोर पकड़ा था, जिसमें बैंक से जुड़े कुछ ऐसे नियम बनने जा रहे हैं, जिससे बैंक में जमा आम आदमी के पैसे की गारंटी नहीं होगी. हालांकि, वित्त मंत्री ने खुद इसे खारिज करते हुए कहा था कि लोगों का पैसा सुरक्षित है. लेकिन, पीएनबी घोटाले के बाद फिर से लोगों के जहन में यह सवाल है कि अगर बैंक दिवालिया हो जाए तो उनके पैसे का क्या होगा? क्या बैंक अकाउंट खत्म हो जाएंगे? उनका पैसा डूब जाएगा?
FRDI बिल से लोगों को खतरा?
फाइनेंशियल रेजॉल्यूशन एंड डिपॉजिट इंश्योरेंस (FRDI) बिल, 2017 को सरकार लागू करने का मन बना रही है. इसके बाद से ही लोगों के मन में सवाल है उनके पैसे का क्या होगा. क्योंकि, बिल के मुताबिक, बैंकों में जमा 1 लाख रुपए तक की रकम पूरी तरह इंश्योर्ड है. लेकिन, इससे ऊपर की रकम किसी भी कानून के तहत इंश्योर्ड नहीं है. हालांकि, सरकार बार-बार यह सफाई देती है कि बैंकों में जमा लोगों का पैसा पूरी तरह सुरक्षित है, क्योंकि कोई भी सरकार और रिजर्व बैंक किसी भी बैंक को डूबने नहीं देगी.
पैसे की सुरक्षा सरकार की जिम्मेदारी
एसबीआई के पूर्व अधिकारी प्रदीप कुमार राय का मानना है कि बैंक में जमा लोगों के पैसे की सुरक्षा की जिम्मेदारी सरकार की होती है. सरकार किसी बैंक को डूबने नहीं दे सकती. क्योंकि. इसकी बड़ी राजनीतिक कीमत उसे चुकानी पड़ सकती है.
क्या है FRDI बिल?
एफडीआरआई बिल 2017 का मकसद रेजॉल्यूशन कॉर्पोरेशन का गठन करना है. यह वित्तीय कंपनियों की निगरानी करेगा. साथ ही इन कंपनियों को रिस्क प्रोफाइल के मुताबिक लिस्ट करेगा. कंपनियों को दिवालिया होने से रोकेगा. हाल ही में कई कंपनियों ने खुद को दिवालिया घोषित करने के लिए आवेदन दिया है. इस तरह इससे लोगों को एक तरह की सुरक्षा ही मिलेगी, क्योंकि यह कॉरपोरेशन कंपनियों या बैंकों को दिवालिया होने से बचाएगा.
ऐसे होगा लोगों के पैसे का इस्तेमाल
FRDI बिल के बेल-इन प्रावधान को लेकर सबसे ज्यादा चिंता है. दरअसल, इस प्रावधान में डूबने वाली वित्तीय कंपनी को संकट से बचाने के लिए उसे कर्ज देने के लिए जमाकर्ताओं की रकम का इस्तेमाल किया जाएगा. इसकी इजाजत यह प्रावधन देता है. हालांकि, बेल-इन के अलावा भी वित्तीय संस्था को नाकाम होने से बचाने के कई विकल्पों शामिल हैं.
कैसे बचा सकते हैं अपना पैसा?
एक्सपर्ट्स का कहना है कि FRDI बिल से घबराने की जरूरत नहीं है. यही वजह है कि पिछले 50 साल में देश में शायद ही कोई बैंक दिवालिया हुआ है. हालांकि, अलग-अलग बैंकों में अपना पैसा रखकर आप अपना जोखिम घटा सकते हैं.
वित्त मंत्रालय की सफाई
वित्त मंत्रालय के बयान के मुताबिक, FRDI बिल में जमाकर्ताओं को अधिक पारदर्शी तरीके से ज्यादा सुरक्षा दी गई है. हालांकि, पिछले कुछ समय से सोशल मीडिया में एफआरडीआई बिल में जमाकर्ताओं की सुरक्षा और बेल-इन प्रावधान को लेकर कुछ संदेह जताए गए हैं, जो पूरी तरह से बेबुनियाद हैं.
बेल-इन की जरूरत नहीं होगी
वित्त मंत्रालय ने साफ किया है कि किसी भी रेजॉल्यूशन केस में बेल-इन प्रावधान के इस्तेमाल की जरूरत नहीं होगी. सार्वजनिक क्षेत्र यानी सरकारी बैंकों के मामले में तो इसकी जरूरत बिल्कुल नहीं होगी, क्योंकि इस तरह की आकस्मिक स्थिति आने की संभावना नहीं है.
जारी रहेगा एक लाख की रकम का बीमा
मौजूद बैंकिंग सिस्टम में बैंकों में जमा एक लाख रुपए तक की रकम का बीमा होता है. इसी तरह का संरक्षण एफआरडीआई बिल में भी जारी रहेगा. मौजूदा व्यवस्था में डिपॉजिटर्स इंश्योरेंस स्कीम के तहत 1 लाख रुपए तक आपका पैसा बैंक में सुरक्षित है. इसमें सभी तरह के बैंक शामिल हैं.
बैंक डूबने से पहले तैयार होता है प्लान
प्रदीप कुमार राय के मुताबिक, जैसे ही कोई बैंक या फाइनेंशियल सर्विस देने वाली कंपनी क्रिटिकल कैटिगरी में आती है तो उसे संभालने के लिए प्लान तैयार किया जाता है. इसके तहत बैंक की लायबिलिटी को कैंसिल करने जैसे कदम भी उठाए जा सकते हैं. इस बेल-इन-क्लॉज में डिपॉजिटर्स का पैसा भी आ सकता है. वैसे आपको यह जानकर हैरत होगी कि कस्टमर्स का पैसा 5वें नंबर की लायबलिटी है. ऐसे में चिंता होना स्वाभाविक है. लेकिन, लोगों की चिंता को देखकर इस बिल को ठंडे बस्ते में डाल दिया गया है.