Narendra Modi Varanasi Visit: 'इंडिया गठबंधन के लोग जाति के नाम पर लड़ा रहे', PM मोदी का विपक्ष पर निशाना
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Narendra Modi Varanasi Visit: 'इंडिया गठबंधन के लोग जाति के नाम पर लड़ा रहे', PM मोदी का विपक्ष पर निशाना

Ravidas Jayanti 2024: संत रविदास की मूर्ति का अनावरण करके प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) बड़े वोटबैंक को साध रहे हैं. इसमें यूपी से पंजाब तक लोग शामिल हैं. ये कैसे होगा, आइए समझते हैं.

Narendra Modi Varanasi Visit: 'इंडिया गठबंधन के लोग जाति के नाम पर लड़ा रहे', PM मोदी का विपक्ष पर निशाना

Narendra Modi Strategy: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) वाराणसी दौरे पर पहुंचे हैं. कहा जा रहा है कि पीएम मोदी ने आज वाराणसी में संत रविदास की मूर्ति का अनावरण करके यूपी से लेकर पंजाब और हरियाणा तक के वोटरों को साधने की कोशिश की. पीएम मोदी ने संत रविदास की 25 फीट ऊंची मूर्ति का अनावरण किया. मत्था टेका और फिर लंगर छका. प्रधानमंत्री के इस कार्यक्रम के सियासी मायने निकाले जा रहे हैं. इसे किसान आंदोलन और मायावती के कोर वोटर्स से भी जोड़कर देखा जा रहा है. आइए वाराणसी से होने वाले इस सियासी खेल को समझते हैं.

विपक्ष पर PM मोदी का तंज

संत रविदास की मूर्ति का अनावरण करने के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि संत रविदास सबके हैं और सब संत रविदास के हैं. सिख भाई भी उनको मानते हैं. संत रविदास ने विभाजित हो चुके भारत को नई ऊर्जा दी थी. छुआछूत और भेदभाव के खिलाफ आवाज उठाई थी. इंडिया गठबंधन के लोग जाति के नाम पर लड़वाने का काम कर रहे हैं. लेकिन याद रखिए जब द्रौपदी मुर्मु राष्ट्रपति चुनाव लड़ रही थीं तो किन लोगों ने विरोध किया था.

PM मोदी का क्या है प्लान?

जान लें कि संत रविदास को दलित संत माना जाता है. बहुजन बस्तियों में संत रविदास की मूर्ति दिखाई देती है. प्रधानमंत्री मोदी ने अपने लोकसभा क्षेत्र वाराणसी में संत रविदास की 25 फीट की मूर्ति का अनावरण किया. इसके सियासी मायने निकाले जा रहे हैं. माना जा रहा है कि प्रधानमंत्री की संत रविदास मंदिर की यह यात्रा पंजाब और हरियाणा के किसानों को संदेश देने के लिए भी है. इस वक्त बड़ी तादाद में सिख किसान पंजाब और हरियाणा के बॉर्डर पर जमे हैं. ऐसे में प्रधानमंत्री अपने संबोधन में कुछ ऐलान भी कर सकते हैं.

रैदास संप्रदाय में बनाएंगे पैठ

गौरतलब है कि वाराणसी के अलावा पंजाब और हरियाणा में भी संत शिरोमणि रविदास के अनुयायियों की बड़ी संख्या है. वहीं, रैदास संप्रदाय संत रविदास को अपना इष्ट, अपना भगवान मानता है. उत्तर प्रदेश में दलितों की सबसे बड़ी बिरादरी जाटव समाज की है. जाटव समाज भगवान के तौर पर संत रविदास को पूजता है. इसके अलावा पंजाब और हरियाणा के जो दलित सिख हैं वह भी संत रविदास को अपना इष्ट मानते हैं. पीएम मोदी इन सभी वोटर्स को साध सकते हैं.

वाराणसी में मूर्ति का अनावरण क्यों?

बता दें कि संत रविदास को मानने वालों की तादाद देश में करोड़ों में है. यूं तो सभी बिरादरियों में संत रविदास को मानने वालों की संख्या है. लेकिन दलितों और इसके अलावा दुनियाभर में फैले हुए सिखों में भी खासकर कनाडा और ऑस्ट्रेलिया में रविदास संप्रदाय के लोग बसे हैं. हजारों लोग हर साल रविदास जयंती पर वाराणसी आते हैं. ऐसे में वाराणसी में संत रविदास की मूर्ति का अनावरण पीएम मोदी के लिए अच्छी खबर ला सकता है.

पहले भी कई नेता कर चुके हैं ऐसी कोशिश

गौरतलब है कि यह पहला मौका नहीं है, इससे पहले भी साल 2016 में उत्तर प्रदेश के विधानसभा चुनाव से ठीक पहले भी पीएम मोदी सीर पहुंचे थे और लंगर छककर एक खास वोटबैंक के बीच अपना संदेश पहुंचाया था. इसके बाद साल 2019 में लोकसभा चुनाव से पहले भी बतौर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी यहां संगत के बीच पहुंचे थे. उनके अलावा प्रियंका गांधी, राहुल गांधी, अरविंद केजरीवाल, अखिलेश यादव और पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी सहित कई नेता संत रविदास के दर पर शीश नवा चुके हैं. और संत रविदास के अनुयायियों के बीच अपनी जमीन मजबूत करने की कोशिश कर चुके हैं.

यूपी से जम्मू तक साधने का प्लान

जान लें कि संत शिरोमणि रविदास के अनुयायियों में रामदासिया समाज के लोगों की संख्या बहुत बड़ी है. पश्चिमी उत्तर प्रदेश से लेकर हरियाणा, पंजाब और जम्मू तक इस समाज की भूमिका सियासत में भी निर्णायक है. पश्चिमी उत्तर प्रदेश में ये बीएसपी के बड़े वोट बैंक के रूप में जाने जाते हैं.

बता दें कि प्रधानमंत्री की यह यात्रा चुनाव के आचार संहिता लगने के पहले की आखिरी वाराणसी यात्रा मानी जा रही है. इसमें पीएम हजारों करोड़ों की सौगात लेकर वाराणसी आए हैं. पीएम मोदी लगभग 14 हजार करोड़ की 23 प्रोजेक्ट्स का उद्घाटन करेंगे और 13 परियोजनाओं का शिलान्यास करेंगे. उद्घाटन होने वाले प्रोजेक्ट्स की कुल लागत 10972 करोड़ रुपये है जबकि 13 शिलान्यास वाली परियोजनाओं की लागत 3344 करोड़ रुपये है.

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