Ghaziabad Press Conference: न लखनऊ न दिल्ली, राहुल गांधी और अखिलेश यादव ने गाजियाबाद में क्यों बुलाई प्रेस कॉन्फ्रेंस?
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Ghaziabad Press Conference: न लखनऊ न दिल्ली, राहुल गांधी और अखिलेश यादव ने गाजियाबाद में क्यों बुलाई प्रेस कॉन्फ्रेंस?

Rahul Gandhi Akhilesh Yadav: गाजियाबाद में दूसरे चरण में वोटिंग है लेकिन पश्चिम यूपी की कई सीटों पर पहले चरण में मतदान है. राहुल साउथ में डेरा डाले हुए हैं. आज प्रियंका गांधी सहारनपुर और अखलेश मुरादाबाद में होंगे. ऐसे में अचानक गाजियाबाद में संयुक्त प्रेस कॉन्फ्रेंस क्यों बुलाई गई है? 

Ghaziabad Press Conference: न लखनऊ न दिल्ली, राहुल गांधी और अखिलेश यादव ने गाजियाबाद में क्यों बुलाई प्रेस कॉन्फ्रेंस?

INDIA Alliance Lok Sabha Chunav: पहले चरण के लोकसभा चुनाव के लिए प्रचार का शोर आज थम जाएगा. 19 यानी शुक्रवार को वोटिंग है. इससे पहले सुबह 9 बजे राहुल गांधी और अखिलेश यादव गाजियाबाद में संयुक्त प्रेस कॉन्फ्रेंस करने वाले हैं. 2017 में जब 'दो लड़के' साथ आए थे तब लखनऊ में संयुक्त प्रेस कॉन्फ्रेंस हुई थी. गुलदस्ते देने के बाद राहुल ने गठबंधन को गंगा-यमुना का मिलन बताया था. कांग्रेस नेता ने कहा था कि प्रोग्रेस की सरस्वती निकलेगी. अखिलेश ने कहा था कि ये विकास का गठबंधन है. अखिलेश और राहुल साइकिल के दो पहिये हैं. हालांकि यह गठजोड़ कोई कमाल नहीं दिखा सका. आज गाजियाबाद की प्रेस कॉन्फ्रेंस से पश्चिमी यूपी के वोटरों को मैसेज देने की कोशिश हो सकती है जो पहले और दूसरे चरण में वोट करेंगे. 

8 सीटों पर है मतदान

हां, पहले चरण में यूपी की आठ लोकसभा सीटों पर वोटिंग होनी है जिसमें सहारनपुर, कैराना, मुजफ्फरनगर, बिजनौर, रामपुर नगीना, रामपुर और पीलीभीत शामिल है. अब तक राहुल गांधी दक्षिणी राज्यों पर ज्यादा फोकस कर रहे थे. आज प्रचार के आखिरी दिन कांग्रेस और सपा ने ताबड़तोड़ संयुक्त प्रेस कॉन्फ्रेंस का प्लान तैयार किया. राहुल प्रेस कॉन्फ्रेंस कर कर्नाटक चले जाएंगे लेकिन अखिलेश मुरादाबाद में रैली करेंगे. उधर, प्रियंका गांधी सहारनपुर में रोड शो और रैली करने वाली हैं. 

2024 के लोकसभा चुनाव की घोषणा के बाद राहुल और अखिलेश पहली बार साथ दिख रहे हैं. 2017 में राहुल और अखिलेश ने चुनाव प्रचार मिलकर किया था लेकिन तब 'यूपी के दो लड़के' फेल हो गए थे. इस बार उनके समर्थक कह रहे हैं कि ये दोस्ती करिश्मा करेगी. यूपी से सबसे ज्यादा 80 लोकसभा सीटें आती हैं. सपा और कांग्रेस को उम्मीद है कि मुस्लिम, यादव और अन्य ओबीसी की मदद से वे ज्यादा सीटें जीतेंगे. 

एकजुटता दिखाने की कोशिश

एक्सपर्ट्स का मानना है कि आज गाजियाबाद में संयुक्त प्रेस कॉन्फ्रेंस कर राहुल और अखिलेश समेत INDIA गठबंधन के दूसरे नेता एकजुटता दिखाने की कोशिश करेंगे. इसे आप अपने-अपने वोटबैंक को मैसेज देने की कोशिश भी कह सकते हैं. इसमें किसी भी प्रकार की फूट, मतभेद दूर करने के साथ एक दूसरे के वोटरों को मैसेज देने की कोशिश होगी. गाजियाबाद लोकसभा सीट अपने आप में महत्वपूर्ण है. यहां से सीधे दिल्ली में एंट्री होती है. गठबंधन उम्मीदवार के तौर पर कांग्रेस की डॉली शर्मा चुनाव मैदान में हैं. 

जब राहुल-अखिलेश मिलाएंगे हाथ

हां, उस तस्वीर से बड़ा मैसेज देने की कोशिश होगी. कांग्रेस और सपा के नेताओं का कहना है कि दोनों नेताओं के साथ आने से पश्चिम उत्तर प्रदेश के मतदाताओं में संदेश जाएगा कि गठबंधन सिर्फ कागज पर नहीं है. पार्टी के कार्यकर्ताओं के मन में भी कोई संदेह नहीं रहेगा. बीजेपी ने गाजियाबाद से विधायक अतुल गर्ग को टिकट दिया है. कांग्रेस को उम्मीद है कि अखिलेश यादव और राहुल गांधी के गाजियाबाद में साथ होने से कांग्रेस और सपा के वोटरों को अपनी तरफ खींचा जा सकेगा. वैसे भी दूसरे चरण में नोएडा समेत पश्चिमी यूपी की अन्य सीटों पर वोटिंग होनी है. 

गाजियाबाद में अखिलेश अच्छी इमेज!

सपा के एक नेता ने कहा कि अखिलेश यादव ने गाजियाबाद के लिए काफी कुछ किया है. मेट्रो, हिंडन एलिवेटेड रोड, सिटी फॉरेस्ट जैसे कई प्रोजेक्ट पूरे किए. दोनों नेताओं के यहां आने से INDIA गठबंधन पूरी ताकत से चुनाव लड़ेगा. 2004 में कांग्रेस ने गाजियाबाद लोकसभा सीट जीती थी जबकि 2009, 2014 और 2019 में कमल खिला. 

खबर है कि INDIA गठबंधन 2024 लोकसभा चुनाव के मद्देनजर एक संयुक्त विजन पेपर भी जारी करने वाला है जिसमें नौकरियों, बढ़ती कीमतों और सामाजिक कल्याण पर फोकस होगा. इस दस्तावेज में बीजेपी को चुनौती देते हुए राष्ट्रीय और स्थानीय मुद्दे शामिल किए जा सकते हैं. 

गाजियाबाद का ये समीकरण भी खास

- राहुल और अखिलेश का एक मकसद आज गाजियाबाद से प्रत्याशी डॉली शर्मा के लिए सपोर्ट जुटाना भी हो सकता है. इस सीट पर करीब 73 फीसदी हिंदू वोटर हैं. 

- गाजियाबाद लोकसभा सीट से 5 लाख मुस्लिम, 6 लाख ब्राह्मण, 3 लाख वैश्य और 3 लाख ही जाटव वोटर हैं. करीब ढाई लाख राजपूत वोटर हैं. 

- पिछली बार चुनाव एकतरफा रहा था. वीके सिंह 5 लाख वोटों से जीते थे. तब सपा और बसपा का गठबंधन था. इस बार वीके सिंह नहीं हैं और कांग्रेस-सपा साथ आए हैं. ऐसे में INDIA अलायंस को यहां उम्मीद दिखाई दे रही है.

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