Opinion: 16 साल की लड़की को रेप के बाद पुल से फेंका, रीढ़ और पैर की हड्डी टूटी; इस हवस के लिए कौन सी सजा
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Opinion: 16 साल की लड़की को रेप के बाद पुल से फेंका, रीढ़ और पैर की हड्डी टूटी; इस हवस के लिए कौन सी सजा

Crime against women: रेप (Rape) के मामलों में देश की किसी भी राज्य की सरकार, फास्ट ट्रैक कोर्ट में मामला चलाकर दोषी को जल्द से जल्द सजा दिलाने के चाहे कितने दावे करे, लेकिन सच्चाई ये है कि मासूम बच्चियां हो या टीनेजर्स या फिर महिलाएं उनके खिलाफ होने वाले अपराध कम होने का नाम नहीं ले रहे हैं.   

Opinion: 16 साल की लड़की को रेप के बाद पुल से फेंका, रीढ़ और पैर की हड्डी टूटी; इस हवस के लिए कौन सी सजा

Criminal minds: आज हर फोन में कैमरा और इंटरनेट और सोशल मीडिया की मौजूदगी है. लोग किसी रिपोर्टर की तरह गली कूचे में घटने वाली छोटी-बड़ी घटना का वीडियो बना रहे हैं. सूचनाओं का आदान प्रदान तेज और आसान हो गया है. किसी भी अच्छे-बुरे कर्म का लेखा जोखा और सबूत जुटाना आसान हो गया. गली-गली में फैले CCTV कैमरों के जाल, फेस स्कैनर से लेकर पुलिस के पास मौजूद तमाम तरह के हाईटेक संसाधनों के बावजूद बलात्कार (Rape) जैसे अपराध कम होने के नाम नहीं ले रहे हैं.

छोटी बच्चियां हों या टीनेजर्स या महिलाएं. विकृत मानसिकता के लोग मौका देखते ही उन पर वहशी भेड़िये की तरह टूट पड़ते हैं. सबूत मिटाने के लिए पीड़िताओं को जान से मार दिया जाता है. ये न सिर्फ पुलिस प्रशासन बल्कि पूरे समाज के लिए बेहद शर्मनाक है. ताजा मामले में ग्वालियर में एक नाबालिग से ऐसी हैवानियत हुई कि मानवता शर्मसार होकर जमीन में गड़ गई.

दिलदहला देने वाले इस मामले में जब दो लड़कों की हवस की हसरत पूरी नहीं हुई तो उन्होंने साथ पढ़ने वाली छात्रा को पुल से नीचे फेंक दिया. जिससे उसके पैर और रीढ़ की हड्डी टूट गई. अब वो जिंदगी और मौत के बीच झूल रही है.

क्यों नहीं कम हो रहे रेप और गैंगरेप के मामले?

फॉरेंसिक साइंस की तरक्की और इलेक्ट्रानिक सर्विलांस और डंप डाटा की मदद से जहां हजारों-लाखों की भीड़ से अपराधी दबोच लिए जाते हैं. पुलिस समय-समय पर प्रचार माध्यमों के जरिए अपराध और अपराधियों के बारे में लोगों को जागरूक करती रहती है. 'क्राइम पेट्रोल' और 'सावधान' इंडिया जैसे सीरियल्स हों या फिर क्राइम फाइल्स जैसी डॉक्यूमेंट्री और वीडियो सीरीज़, उनके जरिए लोग पहले से कहीं अधिक सावधान और सतर्क हो रहे हैं, बावजूद इसके शातिर लोग, छटे छटाये बदमाश और हार्डकोर अपराधी विकृत मानसिकता के दायरे से निकलने को राजी नहीं हैं. 

उत्तर में कश्मीर से लेकर दक्षिण में चेन्नई तक और पूरब में भुवनेश्वर से लेकर पश्चिम में मुंबई तक बलात्कार जैसी शर्मनाक वारदातें लगातार सामने आ रही हैं. सबसे बड़ा सवाल ये है कि आखिर ये हैवानियत कब रुकेगी. 

डरा रहे हैं NCRB के आंकड़े

मनोवैज्ञानिकों का कहना है कि बलात्कार अपराध होने के साथ एक मानसिक विकृति है. जब तक पूरा समाज ऐसी घटिया सोच रखने वालों के खिलाफ खड़ा नहीं होगा, ऐसे मामलों में कमी नहीं आएगी. पिछले साल 3 दिसंबर को नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो (NCRB) ने 2022 की एनुअल रिपोर्ट जारी की थी. जिसके मुताबिक दिल्ली और यूपी महिलाओं के लिए सबसे ज्यादा असुरक्षित रहे. दिल्ली में हर दिन 3 रेप हुए और हर घंटे ऐसे उत्पीड़न की 51 FIR दर्ज हुईं. इस रिपोर्ट में बताया गया है कि दिल्ली महिलाओं के लिए सबसे असुरक्षित शहर है. यहां 2022 में एक दिन में 3 रेप केस दर्ज किए गए.

महिला अपराधों में चार फीसदी की बढ़ोतरी

रिपोर्ट में कहा गया है कि 2021 की तुलना में देश में महिला अपराधों में 4% का इजाफा हुआ है. NCRB की करीब 550 पेज की रिपोर्ट में बताया गया कि महिलाओं के खिलाफ अपराध के कुल 4 लाख 45 हजार 256 केस दर्ज किए गए. यानी हर घंटे लगभग 51 FIR हुईं. 2021 में यह आंकड़ा 4 लाख 28 हजार 278 था. 2022 में बलात्कार के कुल 31516 मामले दर्ज हुए. 2023 का आंकड़ा आना अभी बाकी है. ये वो आकड़ें हैं जो थाने की चौखट यानी पुलिस के पास पहुंचे. सोचिए ऐसे कितने मामले होंगे, जहां लोकलाज के भय से पीड़िताएं या उनका परिवार पुलिस में कंप्लेन नहीं कराई होगी.  

हवस के पुजारियों की सजा क्या हो? 

सरकारें फास्ट ट्रैक कोर्ट चलाकर दोषियों को सख्त सजा दिलाने का दावा करती हैं. हम ये नहीं  कह रहे कि देश की पुलिस या कानून हाथ पर हाथ धरे बैठा है. दिल्ली के निर्भया केस के बाद कानून सख्त हुए हैं. नाबालिगों से यौन अपराधों पर पॉक्सो एक्ट में कड़ी सजा का प्रावधान है. आजकल तो सोशल मीडिया पर शिकायत करने पर भी पुलिस एक्शन ले लेती है, इसके बावजूद महिलाओं को उपभोग की वस्तु समझने वाले घटिया लोगों की सोच नहीं बदल रही है.

कितनी सजा मिलती है?

आईपीसी की धारा 376 में रेप के लिए सजा का प्रावधान किया गया है. दुष्कर्म का दोषी पाए जाने पर 7 साल से लेकर आजीवन कारावास तक की सजा हो सकती है. इसके साथ ही जुर्माना भी लगाया जाता है. पॉक्सो कानून में पहले मौत की सजा नहीं थी, लेकिन 2019 में इसमें संशोधन कर मौत की सजा का भी प्रावधान कर दिया. इस कानून के तहत उम्रकैद की सजा मिली है तो दोषी को जीवन भर जेल में ही बिताने होंगे. इसका मतलब हुआ कि दोषी जेल से जिंदा बाहर नहीं आ सकता. 

भारतीय न्याय संहिता बिल को जानिए

पिछले साल संसद में भारतीय न्याय संहिता बिल पास हुआ था. देश की वर्तमान स्थिति को देखते हुए प्रस्तावित भारतीय न्याय संहिता में महिलाओं और बच्चों के साथ होने वाले अपराधों, हत्याओं को लेकर कानून बनाने को लेकर प्राथमिकता दी गई. भारतीय नागरिक संहिता बिल  CrPC की जगह लेगी. इस बिल में कुल 533 धाराएं रहेंगी. भारतीय नागरिक संहिता बिल में CrPC के 160 धाराओं में बदलाव किए गए हैं. कुछ नई धाराएं जोड़ी गई तो कुछ खत्म की गईं. 

ऐसे में सिर्फ उम्मीद की जा सकती है कि आने वाले वक्त में हालात में बदलाव आएगा. लड़कियां और महिलाएं पूरी तरह सुरक्षित होगी. उन्हें किसी तरह के उत्पीड़न का सामना नहीं करना पड़ेगा.

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