Shagun Ka Sikka: आपने कई बार शादी ब्याह के मौकों पर शगुन का लिफाफा देते हुए 1 रुपए का सिक्का जरूर दिया होगा, लेकिन क्या आप जानते हैं कि आखिर शगुन के तौर पर 1 रुपए का सिक्का ही क्यों दिया जाता है? अगर नहीं तो पढ़ें हमारी यह खबर..
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Shagun Ka Sikka: आप अब तक कई शादी, मुंडन, उपन्यन संस्कार व अन्य तीज त्योहारों में अपने रिश्तेदारों और दोस्तों के घर गए होंगे. इन अवसरों पर आपने उन्हें कोई ना कोई उपहार या नेग भी जरूर दिया होगा. अक्सर देखा गया है कि लोग नेग या शगुन के लिफाफे में 1 रुपए का सिक्का जरूर देते हैं. आज कल तो बाजारों में मिलने वाले शगुन के लिफाफे में पहले से ही एक रुपए का सिक्का लगा हुआ आता है. आपने भी कई बार ऐसे मौकों पर शगुन का लिफाफा देते हुए 1 रुपए का सिक्का जरूर दिया होगा, लेकिन क्या आप जानते हैं कि आखिर शगुन के तौर पर 1 रुपए का सिक्का ही क्यों दिया जाता है? अगर नहीं, तो कोई बात नहीं, आज हम आपको इस आर्टिकल में इसी विषय के बारे में बताने वाले हैं.
शगुन में इसलिए दिया जाता है एक रुपए का सिक्का
1. शादी में शगुन के तौर पर एक रुपए का सिक्का किसी भी जोड़ें को इसलिए दिया जाता है क्योंकि अगर एक रुपए को किसी नोट के साथ दिया जाए, तो शगुन के तौर पर दी जाने वाली राशी की संख्या अविभाज्य यानी विभाजित ना होने वाली संख्या बन जाती है. ऐसे में सभी लोग यही दुआ करते हैं कि नया जोड़ा हमेशा एक साथ रहे. इसलिए नेग में 1 रुपए का सिक्का दिया जाता है. इसके अलावा किसी भी नए रिश्ते के लिए यह संख्या बेहद ही शुभ और अच्छी मानी जाती है.
2. कई मान्यताओं के अनुसार नए जोड़े या किसी व्यक्ति को एक रुपए का सिक्का यह सोच कर भी दिया जाता है कि उसे उसके जीवन में आर्थिक रूप से समृद्धि मिले और उसके साथ हमेशा शुभ हो. इसके अलावा एक रुपए का सिक्का निवेश (Investment) के प्रतीक के रूप में भी देखा जाता है.
3. शगुन के तौर पर एक रुपए का सिक्का देना का एक अहम कारण यह भी है कि हिन्दू मान्यताओं के अमुसार, मां लक्ष्मी को धातु के रूप में भी जाना जाता है. ऐसे में शगुन के लिफाफे में लगा एक रुपए का सिक्का मां लक्ष्मी का प्रतीक भी माना जाता है.
4. वहीं, इसके विपरीत यह मान्यता है कि दुख की घड़ी में कभी भी किसी व्यक्ति को एक रुपए का सिक्का नहीं देना चाहिए. क्योंकि यह इस बात का प्रतीक माना जाता है कि जो पल या घटना आपने आज देखी है आप वह बार-बार देखें. इसलिए आप गलती से भी किसी को दुख की घड़ी में एक रुपए का सिक्का ना दें.
5. वहीं, पुराने जमाने की बात करें तो पुराने समय में लोगों के पास इतना पैसा नहीं होता था कि वे आज के समय की तरह शगुन में 501 या 2001 रुपए दे सकें. इसलिए पहले के लोग शगुन के रूप में एक रुपए बढ़ाकर यानी 11 या 21 रुपए का शगुन देते थे. मान्यताओं के अनुसार, ऐसा करना बेहद शुभ माना जाता था. वहीं कुछ लोगों का यह भी मानना है कि शगुन में दिए जाने वाला एक रुपए का सिक्का उसे देने और लेने वाले दोनों के लिए बेहद शुभ और खास माना जाता है. इसलिए यह परंपरा बरसों से चली आ रही है और शायद इसका महत्व जानने के बाद यह परंपरा आगे भी चलती रहेगी.