Success Story: भाई-बहनों में सबसे बड़े भाई योगेश मिश्रा ने सबसे पहले यूपीएससी की तैयारी करने का फैलसा किया. योगेश ने इस परीक्षा के लिए दिन-रात कड़ी मेहनत की और साल 2013 में एग्जामिनेशन की रिजर्व लिस्ट में चुने गए. बड़ें भाई योगेश के सिविस सर्विसेस में सेलेक्शन के बाद छोटे भाई-बहनों ने भी यूपीएससी देने का मन बनाया और एक एक कर के सभी आईएएस और आईपीएस अधिकारी बन गए.
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नई दिल्ली: किसी ने क्या खूब कहा है कि, मंजिलें उन्हीं को मिलती हैं, जिनके सपनों में जान होती है, पंख से कुछ नहीं होता जनाब, हौसलों से उड़ान होती है. ऐसे ही हौसलों की मिसाल पेश की है उत्तर प्रदेश के प्रतापगढ़ जिले के रहने वाले मिश्रा परिवार के बच्चों ने, जहां एक या दो नहीं बल्कि चारों भाई-बहनों ने यूपीएससी की सिविल सर्विसेस की परीक्ष पास कर अपने परिवार और जिले का नाम रोशन किया है. जहां पूरे खानदान में कभी कभार कोई बच्चा यूपीएससी क्लियर करता है, वहां अनिल मिश्रा के चारों बच्चे (योगेश, माधवी, लोकेश, क्षमा) यूपीएससी क्रैक कर आईएएस और आईपीएस अधिकारी बन गए.
पिता के देखे सपने को बच्चों ने किया साकार
उत्तर प्रदेश के प्रतापगढ़ जिलें के रहने वाले अनिल मिश्रा अपनी पत्नी के साथ दो कमरों के मकान में रहते थे. अनिल मिश्रा के दो बेटे और दो बेटियां हैं, जिनका नाम योगेश, लोकेश, माधवी और क्षमा है. मिश्रा जी, प्रतापगढ़ के एक ग्रामीण बैंक में मैनेजर के तौर पर काम किया करता था. उनका सपना था कि वे अपने बच्चों को सफलता के शिखर पर पहुंचते हुए देखें. यही कारण है कि उन्होंने कभी अपने बच्चों की पढ़ाई में कोई कोताही नहीं बरती. हालांकि, उनके चारों बच्चें पढ़ने में भी काफी होशियार थे.
परिवार में बना पहला IAS
अनिल मिश्रा की सबसे बड़ी औलाद और भाई-बहनों में सबसे बड़े भाई योगेश मिश्रा ने सबसे पहले यूपीएससी की तैयारी करने का फैलसा किया. योगेश ने इस परीक्षा के लिए दिन-रात कड़ी मेहनत की और साल 2013 में एग्जामिनेशन की रिजर्व लिस्ट में चुने गए. परीक्षा पास करने के बाद उन्हें आईएएस अधिकारी का पद सौंपा गया. बड़ें भाई योगेश के सिविस सर्विसेस में सेलेक्शन के बाद बहन माधवी ने यूपीएससी देने का मन बनाया और अगले ही साल 2014 में 62वीं रैंक प्राप्त कर इस सिलसिले को आगे बढ़ाया.
छोटे भाई और बहनों ने जारी रखा अधिकारी बनने का सिलसिला
माधवी के साथ छोटे भाई लोकेश ने भी यूपीएससी की सिविल सर्विसेस में अपना हाथ आजमाया और साल 2014 में ही एग्जामिनेशन की रिजर्व लिस्ट में अपनी जगह बनाई. हालांकि, उन्होंने दोबारा परीक्षा देने का निर्णय लिया और पहले के मुकाबले परीक्षा के लिए और अधिक मेहनत की, जिसके परिणामस्वरूप उन्होंने अगले साल 2015 में ही यूपीएससी परीक्षा में 44वीं रैंक हासिल की और अपने परिवार की यूपीएससी क्रैक करने के नियम को आगे बढ़ाया.
अंत में छोटी बहन भी बन गई IPS
अब अंत में बारी आई सबसे छोटी बहन क्षमा मिश्रा की, जो अपने बड़े भाई-बहनों के नक्शे कदम पर ही चली और यूपीएससी की परीक्षा दी. बता दें कि क्षमा मिश्रा ने साल 2015 में यूपीएससी का अटेंप्ट दिया था, जिसमें उन्होंने 172वीं रैंक हासिल की थी, लेकिन उनका सिलेक्शन डिप्टी एसपी के तौर पर हुआ था. क्षमा अपनी इस रैंक से संतुष्ट नहीं थीं, जिस कारण उन्होंने यूपीएससी का एक और अटेंप्ट दिया और इस बाद उनका चयन आईपीएस ऑफिसर के लिए हो गया. इस प्रकार मिश्रा परिवार के सभी भाई-बहनों आज आईएएस और आईपीएस के पद पर रह कर देश सेवा कर रहे हैं.