जिस वजह से गई श्रीदेवी की जान, उसमें बचने के होते हैं बहुत कम चांसेस
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जिस वजह से गई श्रीदेवी की जान, उसमें बचने के होते हैं बहुत कम चांसेस

जानकारों की मानें तो जिस वजह से श्रीदेवी का निधन हुआ उसमें बचने की संभावनाएं काफी कम होती हैं.

 दिल की धमनियों में इलेक्ट्रिक सिग्नल में दिक्कत आना कार्डिएक अरेस्ट की जड़ होता है

नई दिल्ली: बॉलीवुड की दिग्गज अभिनेत्री श्रीदेवी की कार्डिएक अरेस्ट की वजह से शनिवार देर रात मौत हो गई. उनके अचानक निधन से बॉलीवुड से लेकर आम लोग शॉक में हैं. श्रीदेवी काफी एक्टिव सोशल लाइफ जीती थीं. वे हाल ही में दुबई में अपने भांजे की शादी में पहुंची थी. इस दौरान वे बेहद खूबसूरत लग रही थीं. उन्होंने अपने सोशल मीडिया अकाउंट पर भी अपनी फोटो शेयर की थीं. उनके अचानक निधन के बाद सोशल मीडिया पर शोक संदेशों की बाढ़ आ गई है. जानकारों की मानें तो जिस वजह से श्रीदेवी का निधन हुआ उसमें बचने की संभावनाएं काफी कम होती हैं.

  1. अभिनेत्री श्रीदेवी की कार्डिएक अरेस्ट से मौत
  2. कार्डिएक अरेस्ट में बचने के कम होते हैं चांसेस
  3. इस दौरान दिल खून पंप करना बंद कर देता है

क्या है कार्डिएक अरेस्ट
कार्डिएक अरेस्ट के दौरान अचानक से दिल खून पंप करना बंद कर देता है. इससे सांस बंद हो जाती है और व्यक्ति बेहोश हो जाता है. वो रिस्पांस करना बंद कर देता है. दरअसल, खून सप्लाई नहीं होने से शरीर के अहम अंग धीरे-धीरे काम करना बंद कर देते हैं. इससे शरीर निष्क्रिय होने लगता है. यदि जल्द से जल्द एक्शन नहीं लिया जाए तो व्यक्ति की मृत्यु हो सकती है. 

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डॉक्टरों के अनुसार, दिल की धमनियों में इलेक्ट्रिक सिग्नल में दिक्कत आना कार्डिएक अरेस्ट की जड़ होता है. भारत में हर साल कार्डिएक अरेस्ट के एक करोड़ से ज्यादा मामले सामने आते हैं.

कार्डिएक अरेस्ट के लक्षण
यूं तो कार्डिएक अरेस्ट अचानक ही आता है, लेकिन कभी-कभी इसके लक्षण भी नजर आते हैं, जिन्हें नजरअंदाज नहीं करना चाहिए. ये लक्षण होते हैं

  • छाती में दर्द
  • सांसों की कमी
  • पल्पीटेशन
  • अचानक कमजोरी आना
  • चक्कर आना

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  • बेहोशी
  • थकान
  • ब्लैकआउट

इलेक्ट्रिक शॉक है इलाज
अगर कोई कार्डिएक अरेस्ट से पीड़ित है तो उसे इलेक्ट्रिक शॉक ही बचा सकते है. जिस डिवाइस से इलेक्ट्रिक शॉक दिए जाते है उसे डिफिब्रिलेटर कहते हैं और कार्डिएक अरेस्ट के मरीज की ये आखिरी उम्मीद होती है. कार्डिएक अरेस्ट के बारे में पता चलने पर पीड़ित व्यक्ति को तुरंत सीपीआर देेना चाहिए और फिर जल्द से जल्द अस्पताल ले जाना चाहिए.

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