नीना गुप्ता एक बेहतरीन एक्टर रही हैं और इसे उनकी दूसरी इनिंग कहा जा रहा है. यह कहना गलत नहीं होगा कि अपनी इस दूसरी इनिंग में नीना ने धमाकेदार ओपनिंग की है.
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नई दिल्ली: एक समय था, जब बॉलीवुड में मसाला और फिक्स्ड पैटर्न पर बनने वाली फिल्में बनती थीं. उस समय यह फिल्में हिट भी हो जाती थीं लेकिन पिछले कुछ समय में दर्शकों ने दिलचस्प कहानियों को तवज्जों देना शुरू कर दिया है. शायद यही कारण है कि बॉक्स ऑफिस पर अब सितारों से ज्यादा दिलचस्प कहानियों दर्शकों को सिनेमाघरों तक खींच रही हैं. ऐसा ही कुछ हुआ है आज रिलीज हुई फिल्म 'बधाई हो' के साथ, जिसके ट्रेलर के बाद से ही लोग इस मजेदार फिल्म को देखने के लिए अपनी उत्सुकता दिखा रहे थे. अब जब यह फिल्म रिलीज हो चुकी है, तो आपको बता दें कि जितना मजा आपको ट्रेलर देखकर आया है, उससे काफी ज्यादा ठहाके और इमोशन यह फिल्म आपके लिए सिनेमाघरों में लेकर आ रही है. 'बधाई हो' जैसी अलग हटकर कॉन्सेप्ट पर बनने वाली फिल्म ने एक बार फिर साबित कर दिया है कि 'कंटेंट इज द किंग'.
कहानी: फिल्म की शुरुआत होती है, मेरठ के एक मध्यमवर्गीय परिवार से जो दिल्ली की लोधी कॉलोनी में रहता है. दो जवान लड़कों की मां प्रियंवदा कौशिक (नीना गुप्ता) हाउसवाइफ हैं और उनके पति जीतेंद्र कौशिक (गजराज राव) रेलवे में टीटी हैं. असली परेशानी तब शुरू होती है, जब लगभग रिटायर्मेंट की उम्र वाले जीतेंद्र की पत्नी प्रेग्नेंट हो जाती हैं. प्रियंवदा की यह प्रेग्नेंसी उनके आसपास के लोगों में चर्चा का विषय बन जाती है और सबसे पहले उनके दोनों बेटे यानी नकुल (आयुष्मान खुराना) और गूलर (शर्दुल राणा) इसके चलते शर्मिंदा होते हैं. नकुल, जो खुद एक लड़की रेने (सान्या मल्होत्रा) को डेट कर रहा है, उसके लिए अपनी मां का प्रेग्नेंट होना काफी ज्यादा शर्मसार करने जैसा होता है. वह यहां तक अपनी गर्लफ्रेंड से कहता हुआ नजर आता है, 'ये भी कोई मम्मी-पापा के करने की चीज है..'
सबसे पहले मैं तारीफ करना चाहूंगी इस फिल्म के लेखक अक्षत घिलडियल और निर्देशक अमित शर्मा की, जिन्होंने ऐसे विषय को चुना और उसे एक फिल्म का आकार दिया. दरअसल मध्यमवर्गीय समाज अपनी ही बनाई कई सीमाओं और वर्जनाओं में घिरा रहा है. उसे लोक-लाज भी है, तो वहीं एक मां होने का एहसास भी. इस विषय में कई संवेदनाएं हैं, जिन्हें लेखक ने बिना 'ज्ञान की एक्स्ट्रा डोज' दिए ही कॉमेडी के मीठे पुए में खिलाने की कोशिश की है. ऐसे विषय के साथ अमित शर्मा एक ऐसी फिल्म लेकर आए हैं जो आप बिना सकुचाए अपने पूरे परिवार के साथ देख सकते हैं. फिल्म की सबसे मजेदार चीज है कि जितना मजा और हंसी आपको फिल्म के डायलॉग्स पर आएंगी, उतना ही दिलचस्प किरदारों का साइलेंस भी है. कई सीन्स ऐसे हैं, जिनमें एक्टर बिना बोले ही महज आंखों से पूरी बात कह जाएंगे और आप सिनेमाघर में कुर्सियों पर बैठे-बैठे हंसते रहेंगे.
एक्टिंग की बात करें तो आयुष्मान खुराना की तारीफ मैं पहले भी इस बात के लिए कर चुकी हूं कि शायद इंडस्ट्री में स्क्रिप्ट चुनने का हुनर उनके जैसा किसी के पास नहीं है. वह एक शानदार एक्टर हैं और अपनी हर दिलचस्प कहानी के साथ वह लगातार यह साबित भी करते जा रहे हैं. लेकिन यह फिल्म असल में नीना गुप्ता और गजराज राव की है, जिन्होंने इस फिल्म को एक अलग ही लेवल पर पहुंचा दिया. यह कहानी उनके बारे में है और अपने जानदार अभिनय से उन्होंने यह साबित भी कर दिया. नीना गुप्ता एक बेहतरीन एक्टर रही हैं और इसे उनकी दूसरी इनिंग कहा जा रहा है. यह कहना गलत नहीं होगा कि अपनी इस दूसरी इनिंग में नीना ने जबरदस्त ओपनिंग की है. वहीं गजराज राव की स्क्रीन प्रिजेंस इतनी अच्छी है कि लगता है, आप उन्हें घंटों देख सकते हैं.
फिल्म का सरप्राइज पैकेज हैं दादी के किरदार में नजर आईं एक्ट्रेस सुरेखा सीकरी. यूं तो सुरेखा टीवी से लेकर फिल्मों तक अपने हर किरदार में जान फूंकती रही हैं, लेकिन इस फिल्म में जैसी सास का किरदार उन्होंने निभाया है, वह तारीफ के काबिल है. 'दंगल गर्ल' सान्या मल्होत्रा इस फिल्म में अच्छी लगी हैं. उनकी प्रिजेंस स्क्रीन पर काफी अच्छी लगी है, हालांकि इतने दमदार किरदारों के बीच उनके पास करने के लिए ज्यादा कुछ था नहीं. लेकिन जितना भी था, उसमें सान्या काफी अच्छी रही हैं.
डायरेक्टर: अमित शर्मा
कास्ट: आयुष्मान खुराना, सान्या मल्होत्रा, नीना गुप्ता, गजराज राव, सुरेखा सीकरी, शीबा चड्डा
स्टार: 4 स्टार
इस फिल्म में एक मध्यमवर्गीय परिवार की कहानी को बेहतरीन तरीके से पिरोया गया है, जिसे इसके मंझे हुए किरदारों ने पर्दे पर उतारने में कोई कसर नहीं छोड़ी है. इस फिल्म को देखने के बाद बस यही दिल से निकलता है, 'बधाई हो', बॉलीवुड में जानदार कंटेंट हुआ है. इस फिल्म को मेरी तरफ से 4 स्टार.