देश में घूम-घूमकर नाटक दिखाया करता था पृथ्वीराज कपूर का थिएटर, ऐसे मिली सिनेमा जगत में पहचान
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देश में घूम-घूमकर नाटक दिखाया करता था पृथ्वीराज कपूर का थिएटर, ऐसे मिली सिनेमा जगत में पहचान

Bollywood Retro: कपूर खानदान के पहले अभिनेता पृथ्वीराज कपूर ने हिंदी सिनेमा में तब कदम रखा था, जब इंडस्ट्री रेंग रेंग कर चलना सीख रही थी. हालांकि, बॉलीवुड में आने से पहले पृथ्वीराज कपूर अपने प्ले के लिए जाने जाते थे और उन्होंने कई थिएटर्स में अपने प्ले से दर्शकों का दिल जीता है, जिनको आज भी याद किया जाता है. 

देश में घूम-घूमकर नाटक दिखाया करता था पृथ्वीराज कपूर का थिएटर

Bollywood Retro World Theatre Day: बॉलीवुड में सबसे पुराना परिवार कपूर खानदान हैं, जो पीढ़ी दर पीढ़ी हिंदी सिनेमा में अपना योगदान देते आ रहे हैं और दर्शकों का मनोरंजन कर रहे हैं. 1906 को पंजाब (पाकिस्तान) में जन्में पृथ्वीराज कपूर ने हिंदी सिनेमा में तब कदम रखा था, जब इंडस्ट्री रेंग रेंग कर चलना सीख रही थी. पृथ्वीराज कपूर का योगदान कपूर खानदान से आने वाले सभी स्टार्स से ज्यादा रहा है, क्योंकि वो हिंदी सिनेमा और भारतीय रंगमंच के प्रमुख स्तंभों में से एक थे. 

पृथ्वीराज ने बतौर हिंदी सिनेमा में अपने करियर की शुरुआत साइलेंट फिल्मों, जिनको हिंदी में 'मूक' कहा जाता है, से की थी. इतना ही नहीं, पृथ्वीराज कपूर ने भारतीय जन नाट्य संघ (IPTA) के संस्थापक सदस्यों में से एक होने का भी गौरव भी हासिल किया था. इसके बाद उन्होंने साल 1944 में मुंबई में पृथ्वी थिएटर की स्थापना की थी, जो पूरे देश के हर एक राज्य में घूम-घूम कर दर्शकों के सामने बेहतरीन नाटकों का प्रदर्शन किया करता था, जिनको आज भी याद किया जाता है. 

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फिल्मों से पहले किया रंगमंच पर काम 

पृथ्वीराज कपूर ने हिंदी सिनेमा में आने से पहले कई नाटकों में हिस्सा भी लिया और काम भी किया. मुजफ्फरपुर के रंगमंच पर भी पृथ्वीराज ने कई नाटक के मंचन किए थे. अगर देखा जाए तो, पृथ्वीराज कपूर से से कपूर खानदान की भी शुरुआत भारतीय सिनेमा जगत में हुई थी, जो अब तक बरकरार है. पृथ्वीराज ने पाकिस्तान के पेशावर के एडवर्ड कॉलेज से ग्रेजुएशन की डिग्री हासिल की थी. इसके बाद उन्होंने एक साल तक कानून की शिक्षा हासिल की, जिसके बाद उन्होंने थियेटर की दुनिया में एंट्री की और वहीं के होकर रह गए. 

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कला के लिए मिल चुके हैं कई सम्मान 

साल 1928 में वो मुंबई पहुंचे. मुंबई में कई साइलेंट फिल्मों में काम करने के बाद उन्होंने देश की पहली बोलने वाली फिल्म 'आलम आरा' में लीड रोल निभाया था. पृथ्वीराज का मृत्यु के बाद साल 1972 में दादा साहब फाल्के पुरस्कार से भी नवाजा गया था. इसके अलावा उनको कला क्षेत्र में भारत सरकार द्वारा 1969 में भी पद्म भूषण से सम्मानित किया गया था. बता दें, पृथ्वीराज कपूर की कुछ यादगार फिल्मों में 'विद्यापति', 'सिकंदर', 'दहेज', 'जिंदगी', 'आसमान महल' और 'तीन बहूरानियां' जैसी फिल्में शामिल है.

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