विशाल भारद्वाज ने यहां बोलते हुए कहा, 'यदि सुप्रीम कोर्ट और सेंसर बोर्ड अपनी मंजूरी दे चुके हैं, तो समस्या क्या है? अगर वह कह रहे हैं कि फिल्म में कुछ भी आपत्तिजनक नहीं है तो फिर हमें ऐसे लोगों को तवज्जों नहीं देनी चाहिए जो जसड़कों पर प्रदर्शन कर रहे हैं.
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नई दिल्ली: राजस्थान के जयपुर में चल रहे 'जी जयपुर लिटरेचर फेस्टिवल' के दूसरे दिन फिल्ममेकर विशाल भारद्वाज भी पहुंचे. विशाल भारद्वाज ने फिल्म 'पद्मावत' को लेकर देशभर में हुए विरोध प्रदर्शन को गलत बताया. उन्होंने कहा, 'जो हुआ है, वह बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है. फिल्म इंडस्ट्री से जुड़े होने के चलते हम बेहद निराश और दुखी हैं. मैं उम्मीद करता हूं कि राज्यों की सरकारें इतनी मजबूत हों कि इस तरह के विरोध को रोक सकें.' न्यूज एजेंसी पीटीआई के अनुसार विशाल भारद्वाज ने कहा कि यदि 'पद्मावत' को सेंसर बोर्ड और सुप्रीम कोर्ट पास कर चुके हैं तो इस फिल्म के लिए हिंसक विरोध करने का लोगों को कोई अधिकार नहीं है.
सड़कों पर प्रदर्शन को तवज्जो नहीं देनी चाहिए
'हैदर' और 'ओमकारा' जैसी फिल्में बना चुके विशाल भारद्वाज ने कहा, 'यदि पद्मावत को सुप्रीम कोर्ट और सेंसर बोर्ड की मंजूरी है तो समस्या का सवाल ही नहीं उठता. अगर वह कह रहे हैं कि फिल्म में कुछ भी आपत्तिजनक नहीं है तो फिर हमें ऐसे लोगों को तवज्जों नहीं देनी चाहिए, जो सड़कों पर प्रदर्शन कर रहे हैं. पीटीआई की रिपोर्ट के अनुसार विशाल भारद्वाज ने इस तरह के प्रदर्शन को बढ़ावा देने के लिए राज्य सरकारों को जिम्मेदार ठहराया.
बता दें, कि राजस्थान की राजपूत करणी सेना इतिहास से छेड़छाड़ के नाम पर शूटिंग के दौरान से ही फिल्म पद्मावत का विरोध कर रहे हैं. वे आरोप लगा रहे हैं कि फिल्म में इतिहास से छेड़छाड़ किया गया है. इसके बाद पूरे देश में इस फिल्म का विरोध हुआ. विशाल भारद्वाज ने कहा, 'इससे पहले भी लोगों की भावनाएं आहत हो चुकी हैं. लेकिन अब ऐसे लोगों को देशभक्त बताया जा रहा है. इन लोगों को संस्थाएं ही पत्थर फेंकने के लिए उकसा रही हैं.
राजस्थान से शुरू हुआ विरोध देशभर में फैल गया है. बढ़े विरोध के बाद गुजरात, राजस्थान, मध्यप्रदेश और हरियाणा ने इस फिल्म पर बैन लगाने तक का फैसला कर लिया था. सुप्रीम कोर्ट की दखल के बाद आखिरकार गुरुवार को यह फिल्म रिलीज हो चुकी है. वहीं मल्टीप्लेक्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया ने कहा है कि राजस्थान, गुजरात, मध्य प्रदेश और गोवा में इस फिल्म की स्क्रिनिंग नहीं की जाएगी. इस एसोसिएशन से देश की 75 प्रतिशत मल्टीप्लेक्स मालिक जुड़े हैं.