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नई दिल्ली: विनोद खन्ना का गुरुवार (27 अप्रैल) को मुंबई में निधन हो गया. वे 70 साल के थे. काफी लंबे समय से बीमार चल रहे थे. उन्होंने 141 फिल्मों में काम किया था. वो 70 साल के थे. वो अटल बिहारी वाजपेयी की कैबिनेट में मंत्री भी बने थे. पिछले कुछ दिनों से मुंबई के अस्पताल में उनका इलाज चल रहा था. विनोद खन्ना ने बतौर विलेन फिल्म इंडस्ट्री में अपने करियर की शुरुआत की थी. हालांकि एक समय वह ओशो से प्रभावित होकर संन्यास भी ले लिया था. बाद में उन्होंने फिर फिल्मों में वापसी की.
विनोद खन्ना का जन्म 6 अक्टूबर 1946 पेशावर (पाकिस्तान) में हुआ था.
आजादी के समय हुए बंटवारे के बाद उनका परिवार पाकिस्तान से मुंबई आकर बस गया.
विनोद बचपन में बेहद शर्मीले थे, स्कूल के दौरान उन्हें एक टीचर ने जबरदस्ती नाटक में उतार दिया और उन्हें अभिनय की कला पसंद आई.
विनोद खन्ना के पिता नहीं चाहते थे कि उनका बेटा फिल्मों में जाए. विनोद की जिद के आगे वे झुके और उन्होंने दो साल का समय विनोद को दिया.
विनोद को सुनील दत्त ने 'मन का मीत' (1968) में विलेन के रूप में लांच किया. अमिताभ बच्चन और विनोद खन्ना की जोड़ी को दर्शकों ने काफी पसंद किया. हेराफेरी, खून पसीना, अमर अकबर एंथोनी, मुकद्दर का सिकंदर ब्लॉकबस्टर साबित हुईं.
सफलता के शिखर पर रहते हुए 1982 में विनोद खन्ना ने अचानक ऐसा फैसला लिया कि फिल्म इंडस्ट्री में हड़कंप मच गया.
विनोद अपने आध्यात्मिक गुरु रजनीश (ओशो) की शरण में चले गए और ग्लैमर की दुनिया को उन्होंने आध्यात्मिक गुरु रजनीश (ओशो) की शरण में चले गए और ग्लैमर की दुनिया को उन्होंने बाय-बाय कह दिया. ओशा के आश्रम में विनोद खन्ना ने बर्तन धोने और माली का काम किया.
विनोद खन्ना राजनीति में आए. भारतीय जनता पार्टी से जुड़े और वाजपेयी सरकार में मंत्री बने. नरेंद्र मोदी के साथ...