आयुर्वेद में कई जड़ी-बूटियों का उपयोग कोलेस्ट्रॉल को कम करने के लिए किया जाता है. इन जड़ी-बूटियों में अर्जुन की छाल, गुग्गुल, अलसी, आंवला, और ग्रीन टी शामिल हैं. आइए इनके बारे में विस्तार में जाने.
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आयुर्वेद के अनुसार, कोलेस्ट्रॉल बढ़ने की समस्या गुल्म, कफ और वात दोषों में असंतुलन के कारण होती है. गुल्म दोष से शरीर में विषाक्त तत्व जमा होते हैं, कफ दोष से खून में चर्बी बढ़ती है और वात दोष से रक्त संचार में बाधा आती है. इन तीनों दोषों को संतुलित करने से कोलेस्ट्रॉल को कम किया जा सकता है.
आयुर्वेद में कई जड़ी-बूटियों का उपयोग कोलेस्ट्रॉल को कम करने के लिए किया जाता है. इन जड़ी-बूटियों में अर्जुन की छाल, गुग्गुल, अलसी, आंवला और ग्रीन टी शामिल हैं. आइए इनके बारे में विस्तार में जाने.
अर्जुन की छाल
अर्जुन की छाल दिल के लिए सबसे लाभदायक जड़ी-बूटी मानी जाती है. यह खून को साफ करने और खून के संचार को सुधारने में मदद करती है. अर्जुन की छाल का चूर्ण दूध में मिलाकर या अर्जुन छाल की वटी का सेवन करके कोलेस्ट्रॉल को कम किया जा सकता है.
गुग्गुल
गुग्गुल भी एक प्रभावी आयुर्वेदिक जड़ी-बूटी है, जो कोलेस्ट्रॉल को कम करने में मदद करती है. यह ट्राइग्लिसराइड लेवल को भी कम करने में मदद करता है. गुग्गुल का रोजाना मध्यम मात्रा में सेवन किया जा सकता है.
अलसी
अलसी में ओमेगा-3 फैटी एसिड होते हैं, जो कोलेस्ट्रॉल को कम करने में मदद करते हैं. अलसी का सेवन करने से धमनियों में खून के फ्लो बेहतर होता है. अलसी पाउडर को गुनगुने पानी या दूध में मिलाकर या अलसी के बीजों को चबाकर खाया जा सकता है.
आंवला
आंवला विटामिन सी का एक रिच सोर्स है, जो शरीर के इम्यून सिस्टम को मजबूत करने में मदद करता है. आंवला का नियमित सेवन खराब कोलेस्ट्रॉल के स्तर को भी कम करता है. आंवले का जूस, सब्जी, आचार या मुरब्बा खाया जा सकता है.
ग्रीन टी
ग्रीन टी में एंटीऑक्सीडेंट होते हैं, जो खराब कोलेस्ट्रॉल को कम करने और खून को साफ करने में मदद करते हैं. ग्रीन टी का नियमित सेवन करने से ब्लड में मौजूद बढ़े हुए कोलेस्ट्रॉल के स्तर को कम किया जा सकता है.
लाइफस्टाइल में ये सुधार भी जरूरी
- सप्ताह में कम से कम ढाई घंटे व्यायाम करें. इससे गुड कोलेस्ट्रॉल बढ़ता है और वजन काबू रखने में मदद मिलती है. व्यायाम के दौरान दिल की गति बढ़ती है, जो दिल की क्षमता बढ़ाता है, साथ ही ब्लड सर्कुलेशन बेहतर होता है.
- सेचुरेटेड फैट का सेवन कम करें. यह आमतौर पर रेड मीट और फुल फैट वाले डेयरी उत्पादों में अधिक होता है. मार्जरीन, बाजार के मफिन, केक, अंडे का पीला भाग व बेकन सहित ट्रांस फैट युक्त चीजों से बचें
- ओमेगा-3 युक्ज चीजें, मछली, बादाम व वनस्पति उत्पाद अधिक खाएं. इसके अलावा, फल, सब्जियां, दलिया, बीन्स अधिक लें.