निपाह वायरस फैलने का असली सच, बचना चाहते हैं तो जरूर करें ये काम
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निपाह वायरस फैलने का असली सच, बचना चाहते हैं तो जरूर करें ये काम

केरल के कोझिकोड में निपाह वायरस से लोगों की मौत का सिलसिला लगातार जारी है. राज्य सरकार ने अलर्ट जारी किया है. सरकार ने इसके लिए कंट्रोल रूम भी बना दिए हैं.

यह तेजी से उभरता वायरस है, जो जानवरों और इंसानों में गंभीर बीमारी को जन्म देता है.

केरल के कोझिकोड में निपाह वायरस से लोगों की मौत का सिलसिला लगातार जारी है. राज्य सरकार ने अलर्ट जारी किया है. सरकार ने इसके लिए कंट्रोल रूम भी बना दिए हैं. ये कंट्रोल रूम 24 घंटे काम कर रहे हैं. केरल के मुख्यमंत्री पिनराई विजयन ने लोगों को निपाह वायरस से बचने के तरीकों को अपनाने की अपील की है. नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी ने इस बात की पुष्टि की है कि चार में तीन मौते बुखार की वजह से हुए हैं, जो वायरस के कारण आया था. सरकार ने निजी अस्पतालों को ऐसे मरीजों को भर्ती करने के निर्देश दिए हैं.

  1. निपाह वायरस से मौत का सिलसिला लगातार जारी है
  2. निपाह वायरस से बचने के तरीकों को अपनाने की अपील
  3. निपाह वायरस चमगादड़ों के लार से फैलता है, बचना चाहिए

छह में से पांच मौतों की पुष्टि
केरल में छह में से पांच मौतों की पुष्टि हो चुकी है कि यह निपाह वायरस की वजह से हुए हैं. करीब 25 ऐसे मामले सामने आ चुके हैं, जिन्हें वायरस से पीड़ित होने की आशंका जताई जा रही थी. इलाज के दौरान तीन नर्सें भी इंफेक्शन की शिकार हो गई हैं. उन सभी को अस्पताल में भर्ती कराया गया है और उन पर नजर रखी जा रही है.

लार से फैलता है वायरस
मनिपाल यूनिवर्सिटी के इपीडेमियोलॉजी विभाग के मुताबिक, निपाह वायरस चमगादड़ों के लार से फैलता है, इसलिए लोगों को इससे बचना चाहिए. निपाह वायरस से बीमार लोगों से स्वास्थ्य व्यक्ति को दूर रहना चाहिए. यह बीमार व्यक्ति के लार से फैल सकता है. यह बहुत आसानी से जानवरों से इंसानों में फैल सकता है. अस्पतालों में यह इंसान से इंसानों में फैल सकता है. अगर यह पता चलता है कि कोई निपाह वायरस से बीमार हुआ है तो उसे अस्पातल में भर्ती कराया जाना चाहिए.

निपाह वायरस क्या है?

  • यह तेजी से उभरता वायरस है, जो जानवरों और इंसानों में गंभीर बीमारी को जन्म देता है.
  • वायरस को पुराने चमगादड़ ले जाते हैं, जिन्हें फ्रूट बैट भी कहा जाता है.
  • 1998 में मलेशिया के कम्पंग सुंगाई निपाह से पता चला था. वहीं से इस वायरस को ये नाम मिला. उस वक्त इस बीमारी के वाहक सुअर बनते थे.
  • लेकिन इसके बाद जहां-जहां निपाह के बारे में पता चला, इस वायरस को लाने-ले जाने वाले कोई माध्यम नहीं थे. साल 2004 में बांग्लादेश में कुछ लोग इस वायरस की चपेट में आए.
  • सेंटर फॉर डिसीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन (CDC) के मुताबिक, निपाह वायरस का इंफेक्शन एंसेफ्लाइटिस से जुड़ा है, जिसमें दिमाग को नुकसान होता है.

बीमारी के लक्षण क्या?

  • 5 से 14 दिन तक इसकी चपेट में आने के बाद ये वायरस तीन से 14 दिन तक तेज बुखार और सिरदर्द की वजह बन सकता है.
  • 24-48 घंटों में मरीज कोमा में पहुंच सकता है.
  • इंफेक्शन के शुरुआती दौर में सांस लेने में समस्या होती है
  • ज्यादातर मरीजों में न्यूरोलॉजिकल दिक्कतें भी हो सकती हैं.
  • दिमाग में सूजन, तेज बुखार और सिरदर्द, मांसपेशियों में दर्द होता है.

क्या है इससे बचाव

  • ऐसे फलों को न खाएं, जो पेड़ से गिरे हों या काफी गल गए हों.
  • उस व्यक्ति के नजदीक न जाएं जो इस वायरस से पीड़ित हो.
  • इस वायरस की वजह से जिनकी मौत हुई हो, उनके शव से भी दूर रहें.
  • अगर आपको तेज बुखार हो तो अस्पताल जाएं.

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