आयरलैंड के डबलिन विश्वविद्यालय के शोधार्थी ईमोन लैर्ड ने बताया, "शोध में पाया गया कि विटामिन-डी का संबंध हड्डी के अलावा स्वास्थ्य संबंधी अन्य दशाओं से भी है. हैरानी की बात यह है कि इसकी कमी का असर अवसाद पर भी होता है."
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लंदन: विटामिन-डी की कमी से बुजुर्गो में अवसाद का खतरा बढ़ जाता है. यह बात हालिया एक शोध से उजागर हुई है. मालूम हो कि विटामिन-डी का मुख्य स्रोत सूर्य की किरणें हैं. ऐसे में बुजुर्गो को सूर्य के प्रकाश से दूर रखने से उनको अवसाद का खतरा बढ़ सकता है. शोध में पाया गया कि विटामिन-डी की कमी से अवसाद का खतरा 75 फीसदी बढ़ जाता है.
हड्डी के अलावा इन जगहों से भी है कनेक्शन
आयरलैंड के डबलिन विश्वविद्यालय के शोधार्थी ईमोन लैर्ड ने बताया, "शोध में पाया गया कि विटामिन-डी का संबंध हड्डी के अलावा स्वास्थ्य संबंधी अन्य दशाओं से भी है. हैरानी की बात यह है कि इसकी कमी का असर अवसाद पर भी होता है."
4000 लोगों पर किया गया शोध
उन्होंने बताया, "परामर्श के अनुसार, विटामिन-डी का सेवन सुरक्षित है और अपेक्षाकृत सस्ता भी है. इस शोध में विटामिन-डी से स्वास्थ्य को होने वाले फायदे के प्रमाण मिलते हैं." पोस्ट एक्यूट एंड लांग टर्म केयर मेडिसिन नामक जर्नल में प्रकाशित इस शोध में 50 से अधिक उम्र के 4,000 लोगों को शामिल किया गया था.
क्या है विटामिन डी
विटामिन डी किसी भी मनुष्य के शरीर में पाया जाने वाला एक महत्वपूर्ण तत्व है. विटामिन डी का मुख्य काम बॉडी में कैल्शियम बनाना है. अगर आपके शरीर में विटामिन डी की कमी होती है तो इससे कैल्शियम की मात्रा भी कम हो जाएगी. यह शरीर में पाये जाने वाले सेवन हाइड्रक्सी कोलेस्ट्रॉल और अल्ट्रावायलेट किरणों की मदद से बनता है. डॉक्टरों का मनना है कि विटामिन डी की कमी से शरीर में हड्डियों समेत कई तरह की समस्या हो जाती है. अगर किसी बच्चे को 7 से 10 साल की उम्र में ही विटामिन की कमी है तो उसे वक्त रहते ठीक करने की आवश्यकता होती है, ताकि वह आने वाले वक्त में रोग प्रतिरोधक क्षमताओं की पूर्ति कर सके.