Zee जानकारी : पैसा कभी भी खुशियों का आधार नहीं बन सकता
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Zee जानकारी : पैसा कभी भी खुशियों का आधार नहीं बन सकता

अब हम जिस खबर का विश्लेषण करेंगे वो एक प्यार भरी खबर है और सीधे सीधे आपकी खुशी से जुड़ी हुई है। आध्यात्मिक गुरु ओशो ने कहा था कि प्यार आत्मा का भोजन है। इससे आत्मा का पोषण होता है जिस तरह बिना हवा, पानी और भोजन के शरीर कमज़ोर हो जाता है उसी तरह बिना प्रेम के आत्मा भी कमज़ोर हो जाती है और सड़ने लगती है।

Zee जानकारी : पैसा कभी भी खुशियों का आधार नहीं बन सकता

नई दिल्ली : अब हम जिस खबर का विश्लेषण करेंगे वो एक प्यार भरी खबर है और सीधे सीधे आपकी खुशी से जुड़ी हुई है। आध्यात्मिक गुरु ओशो ने कहा था कि प्यार आत्मा का भोजन है। इससे आत्मा का पोषण होता है जिस तरह बिना हवा, पानी और भोजन के शरीर कमज़ोर हो जाता है उसी तरह बिना प्रेम के आत्मा भी कमज़ोर हो जाती है और सड़ने लगती है।

लेकिन आपने ध्यान दिया होगा कि आजकल पैसे को सभी तरह की खुशियों से जोड़कर देखा जाता है। जो लोग पैसे के पीछे भागते हैं वो तर्क देते हैं कि पैसे से दुनिया की हर खुशी खरीदी जा सकती है। ये बात ठीक है कि पैसा अच्छा जीवन जीने के लिए ज़रूरी है। लेकिन पैसा कभी भी खुशियों का आधार नहीं हो सकता। एक बहुत बड़े अंतर्राष्ट्रीय रिसर्च में ये दावा किया गया है कि एक व्यक्ति की खुशी के लिए प्यार पैसे से ज्यादा महत्वपूर्ण है। 

लंडन स्कूल ऑफ इकनॉमिक्स द्वारा किए गये एक रिसर्च में ये बात सामने आई है कि प्यार औऱ मानसिक स्वास्थ्य किसी व्यक्ति के जीवन को सबसे ज्यादा प्रभावित करते हैं। और ये प्रभाव पैसे के असर से भी ज्यादा होता है। इस स्टडी का आधार हैं पूरी दुनिया में किए गए अलग-अलग सर्वे। इन सर्वे में 2 लाख से ज्यादा लोगों ने हिस्सा लिया।

-रिसर्च में खुशी के पैमाने को 0 से 10 के स्तर पर मापा गया है।
-रिसर्चस ने पता लगाया कि अगर किसी व्यक्ति की सैलरी या इनकम को दोगुना कर दिया जाए तो उसकी खुशी में सिर्फ 0.2 प्रतिशत का इज़ाफा होगा।
-इस रिसर्च के मुताबिक लोग अक्सर अपनी सैलरी की तुलना दूसरे लोगों की सैलरी से करते हैं।
-इसलिए अगर सभी की सैलरी एक औसत के आधार पर बढ़ा दी जाए तो इससे लोगों की खुशी में कोई खास फर्क नहीं पड़ता।

लेकिन इसी रिसर्च में ये भी पता लगा है कि अगर आप प्यार में होते हैं, यानी आपके साथ आपका पार्टनर है तो आपकी खुशी में 0.6 प्रतिशत का इज़ाफा हो जाता है। और अगर आपका मानसिक स्वास्थ्य अच्छा है तो आपकी खुशी 0.7 प्रतिशत बढ़ जाएगी। इसी तरह प्यार को खोने पर खुशी में जो कमी आती है वो भी 0.6 प्रतिशत के बराबर ही है। 

लंडन स्कूल ऑफ इकनॉमिक्स द्वारा किए गये रिसर्च में ये दावा किया गया है कि अच्छी शिक्षा से भी उतनी संतुष्टि नहीं मिल पाती जितनी सच्चा प्यार पाने से मिलती है। यानी सच्चे प्यार और अच्छे मानसिक स्वास्थ्य़ की बराबरी कोई और चीज़ नहीं कर सकती। खुशी के दूसरे पैमाने इनसे बहुत पीछे हैं। यहां हमें ओशो द्वारा कही गई एक और बात याद आ रही है, ओशो ने कहा था कि जितना हो सके भोले, कम ज्ञानी, और बच्चे जैसे बने रहिए और जीवन को आनंद के रूप में लीजिए क्योंकि वास्विकता में यही जीवन है।

हमें लगता है कि पैसे, अच्छी शिक्षा और भौतिक सुख सुविधाओं की ज़रूरत सभी को होती है क्योंकि जब पेट भरा होता है। हाथ में पैसा होता है तो खुश रहने के अवसर भी ज्यादा मिलते हैं लेकिन ये सुविधाएं भी प्यार और मानसिक स्वास्थ्य की बराबरी नहीं कर सकती। इसलिए आज आपको प्यार और अपनी भावनाओं की अहमियत को समझना होगा।

अब हम आपको दुनिया की सबसे अनोखी स्टडी के ज़रिए समझाएंगे कि कैसे जीवन में खुश और स्वस्थ रहने के लिए पैसा नहीं, अपनों का साथ और सच्चा प्यार महत्वपूर्ण होता है। हावर्ड मेडिकल स्कूल ने 75 वर्षों से भी ज्यादा समय तक 723 लोगों के जीवन पर एक रिसर्च किया जिसे 'द ग्रैंट स्टडी' कहा जाता है 'द ग्रैंट स्टडी' को अभी तक का सबसे लंबा रिसर्च माना जाता है। 

स्टडी में शामिल किए गए 723 लोगों में से 60 लोग आज भी जीवित हैं और इन 60 लोगों की उम्र 90 के आसपास हो चुकी है। और अब इन लोगों के 2000 बच्चों पर भी स्टडी की जा रही है यानी करीब 78 वर्ष पुरानी ये स्टडी आज भी चल रही है। 1938 में शुरू की गई इस स्टडी में दो समूहों को शामिल किया गया था। पहला समूह उन लोगों का था जो हावर्ड जैसे नामी गिरामी शिक्षण संस्थान से पढ़कर निकले थे और दूसरा समूह था बोस्टन के गरीब इलाकों में रहने वाले कुछ युवाओं का। 

गरीब इलाके से जानबूझकर ऐसे युवाओं को चुना गया जो बहुत ज़्यादा परेशानियों का सामना कर रहे थें जिनके पास खाने तक के पैसे नहीं थे। दोनों समूहों में से कई लोग आगे चलकर फैक्ट्री के मजदूर बन गए, कुछ लोग बड़े वकील बन गए। कुछ लोग कारोबारी बने इतना ही नहीं स्टडी में शामिल एक युवा तो आगे चलकर अमेरिका का राष्ट्रपति भी बन गया और इस युवा का नाम था जॉन एफ केनेडी। 

स्टडी में शामिल कई लोगों को शराब की लत लग गई। कई लोग मानसिक बीमारियों के शिकार हो गए, और कुछ लोगों ने बहुत मेहनत से खुद को आर्थिक और सामाजिक रूप से मज़बूत बनाया। जबकि कई लोगों ने उल्टी राह पकड़ी और वो आर्थिक और सामाजिक मज़बूती से बर्बादी की तरफ बढ़ गए।

हर 2 वर्ष में इन लोगों को सवालों की एक सूची भेजी जाती है। जिसमें कई तरह के सवाल होते हैं। इन लोगों के लिविंग रूम में इन लोगों का साक्षात्कार लिया जाता है। मेडिकल रिकॉर्ड की जांच की जाती है और इनकी पत्नियों, बच्चों और पोते पोतियों से भी बात की जाती है। आपको इस स्टडी के अभी तक के नतीजे जानकर हैरानी होगी। इस स्टडी से मुख्य रूप से तीन निष्कर्ष हासिल हुए-

-पहला ये कि जो लोग सामाजिक तौर पर लोगों से जुड़े रहते हैं वो ज्यादा खुश और ज्यादा सेहतमंद होते हैं।
-और जिन लोगों के संबंध कम लोगों से हैं उनके लिए अकेलापन ज़हर का काम करता है। 
-इस स्टडी से दूसरा बड़ा सबक ये मिला की दोस्तों और पार्टनर्स की संख्या चाहे कितनी भी हो अगर उसमें गुणवत्ता ना हो तो ऐसे रिश्ते ज्यादा नहीं चल पाते। 
-शोधकर्ताओं का मानना है कि ऐसे रिश्तों में टकराव की स्थिति में रहने से अच्छा है कि तलाक ले लिया जाए।
-इस शोध में ये भी पता लगा कि जो लोग 50 की उम्र में खुश थे वो लोग 80 वर्ष की उम्र में दूसरों के मुकाबले ज्यादा सेहतमंद बने रहे।
-इस स्टडी से जो तीसरा और अंतिम निष्कर्ष निकाला गया वो ये था कि जिन लोगों ने अपने काम को हल्के फुल्के अंदाज़ में किया और अपने सहकर्मियों को वर्कमेट की जगह प्लेमेट समझा, वो लोग 75 वर्ष की उम्र में सबसे ज्यादा खुश थे।

हमें लगता है कि जो लोग जीवन से प्यार करते हैं उनके लिए जीवन में सच्चे प्यार की अहमियत सबसे ज्यादा होती है। और यही प्यार असीमित खुशी की वजह बन जाता है। 

भगवद गीता में श्री कृष्ण ने कहा है कि मुझे जीतने का एक ही तरीका है और वो है प्रेम। मुझे प्रेम कीजिए और मैं सहर्ष आपका हो जाऊंगा। यानी प्रेम की ताकत के ज़रिए दुनिया में किसी को भी जीता जा सकता है लेकिन आधुनिक दौर में हमने दूसरी बनावटी खुशियों की खातिर प्रेम के महत्व को कम कर दिया है। अगर आपके जीवन में भी सच्चे प्यार की कमी है तो आपको हमारा ये DNA टेस्ट आपको प्रेमपूर्वक देखना चाहिए। ये विश्लेषण आपकी सोच को बदल सकता है और आपके जीवन को पहले के मुकाबले ज़्यादा सार्थक बना सकता है।

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