69वां गणतंत्र दिवसः देश के उन 8 वीरों की गाथा जिन्हें अद्मय साहस के लिए मिला 'शौर्य चक्र'
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69वां गणतंत्र दिवसः देश के उन 8 वीरों की गाथा जिन्हें अद्मय साहस के लिए मिला 'शौर्य चक्र'

इस बार यह सम्मान (शौर्य चक्र) कुछ अलग है. क्योंकि इस बार इसे हासिल करने वाले वीर नगालैंड से लेकर कश्मीर तक की माटी के जवान है. 

प्रतीकात्‍मक तस्‍वीर

नई दिल्लीः भारत आज (26 जनवरी) अपना 69वां गणतंत्र दिवस मना रहा है,  हर साल गणतंत्र दिवस पर सरकार कई बहुादुर जवानों को वीरता पुरस्कार से सम्मानित करती है. बहादुरी पुरस्कारों की बात करें तो शांतिकाल में अशोक चक्र और कीर्ति चक्र के बाद शौर्य चक्र तीसरा सबसे बड़ा सैन्य सम्मान है. आपको बताते हैं कि इस बार यह सम्मान (शौर्य चक्र) कुछ अलग है. क्योंकि इस बार इसे हासिल करने वाले वीर नगालैंड से लेकर कश्मीर तक की माटी के जवान है. 

कैप्टन रोहित शुक्ला (राजपूत रेजीमेंट)
कैप्टन रोहित शुक्ला को जम्मू-कश्मीर के पुलवामा जिले में आंतकियों की मौजूदगी की जानकारी मिली. वह टीम के साथ सुबह साढ़े 7 बजे उस इलाके में पहुंचें. इतने में ही आंतकियों ने उनकी टीम पर फायरिंग शुरू कर दी. लेकिन रोहित ने अपनी जान की परवाह किए बगैर आतंकियों के बेहद करीब चले गए और फायरिंग का आदेश दे दिया, इस बीच उनकी ओर से फेंके गए ग्रेनेड से रोहित का एक पैर जख्मी हो गया. लेकिन लगातार जवाबी कार्रवाई से हिज्बुल मुजाहिद्दीन के कुछ आतंकी मारे गए.

कैप्टन अभिनव शुक्ला (पैराशूट रेजीमेंट)
कैप्टन अभिनव शुक्ला उस टीम का हिस्सा थे जिसे पिछले साल 24 जून को सीआरपीएफ दल पर हमला करने के बाद  जम्मू-कश्मीर के बडगाम जिले में छिपे आतंकियों को उस इलाके से खाली कराना था. रेकी के दौरान ग्रेनेड हमले से अभिनव घायल हो गए. घायल होने के बावजूद वह मोर्चे पर डटे रहे. खुद कैप्टन अभिनव ने कई खुंखार आतंकियों को मार गिराया और उस इलाके को आतंकियों से मुक्त कराया.

मेजर अखिल राज आरवी (राष्ट्रीय राइफल)
साल 2017 में 1 अगस्त को जम्मू-कश्मीर के पुलवामा जिले के एक घर में लश्कर-ए-तैयबा के आतंकी घुस गए, मेजर अखिल राज को सूचना मिली और इसके बाद तुरंत उन्होंने आतंकियों के खिलाफ अभियान चलाने के की योजना बनाई. मेजर अखिल ने आतंकियों पर घावा बोल दिया. अपनी सुरक्षा का ख्याल किए बगैर वह आतंकियों के करीब गए और उन्होंने एक खुंखार आतंकी को भी मार गिराया.

हवलदार मुबारक अली (राष्ट्रीय राइफल)
जम्मू कश्मीर के पुलवामा जिले में पिछले साल 30 जुलाई को हवलदार मुबारक अली को आतंकियों के छिपे होने के बारे में कुछ जानकारी मिली. जानकारी मिलते ही उन्होंने तड़के 3 बजे ही ऑपरेशन शुरू कर दिया. सुबह 9 बजे तक उन्हें अपने आपपास के कुछ लोगों पर संदेह हुआ. इसके बाद वह वहां से चले गए और फिर वहां पर भारी फायरिंग शुरू हो गई. फायरिंग में वह घायल हो गए, लेकिन चोटिल होने के बाद भी उन्होंने खुद को बचाते हुए आतंकियों को मार गिराया.

हवलदार रविंद्र थापा (गोरखा राइफल)
जम्मू कश्मीर के कुपवाड़ा जिले में लाइन ऑफ कंट्रोल के करीब 3 स्टॉप के पोस्ट कमान्डर थे. 7 जून की रात उन्हें क्षेत्र में घुसपैठ की कोशिश का शक हुआ. उन्होंने थर्मल इमेजर के जरिए उस क्षेत्र को स्कैन किया और अपनी जान की परवाह किए बगैर उन्होंने भारतीय सीमा में घुस रहे आतंकियों को मार गिराया.

नायक नरेंदर सिंह (9वीं बटालियन, पैराशूट रेजीमेंट)
जम्मू-कश्मीर के राजौगी जिले में एलओसी पर तैनात नायक नरेंदर सिंह का काम नौशेर सेक्टर में घुसपैठ को रोकना और दुश्मन के हमले का मुंहतोड़ जवाब देना था. उन्हें 25 जून को तड़के पौने 5 बजे एलओसी के पास हथियारों के साथ आतंकियों के मूवमेंट की जानकारी मिली. इस बीच नायक नरेंदर ने आतंकियों के बेहद करीब पहुंच गए और लंबे संघर्ष के बाद उसे क्षेत्र को आतंकियों से खाली करा लिया.

लांस नायक बादेर हुसैन (जम्मू-कश्मीर लाइट इंफेट्री)
साल 2017 की 7 जून की सुबह 5 बजे लांस नायक हुसैन ने जम्मू-कश्मीर के उरी जिले के घने जंगलों में सर्च ऑपरेशन शुरू किया. इस बीच सामने से भारी फायरिंग शुरू हो गई, टीम का एक सदस्य घायल भी हो गया. इसके बाद हुसैन ने फायरिंग जारी रखी और घायल साथी को बचायी. हालांकि इस कारण आतंकी वहां से भाग निकला. लेकिन उन्होंने उसकी तलाश जारी रखी और उसे ढूंढ़ कर मार डाला.

पारातरुपर मांचू (12वीं बटालियन, पैराशूट रेजीमेंट (स्पेशल फोर्स)
 नगालैंड के मोन जिले में एनएससीएन (के) और उल्फा (आई) आतंकियों की हरकतों के बारे में जानकारी मिली,  रात 10 बजे जांच टीम को एक ऑटोरिक्शा पर शक हुआ. उनका पीछा करने पर आंतकियों ने फायरिंग शुरू कर दी. इससे 3 जवान घायल हो गए पारातरुपर मांचू ने लगातार फायरिंग जारी रखी और 2 सैनिकों की जान बचाई.

आपको बता दें कि रक्षा मंत्रालय की ओर से वक्तव्य में बताया गया कि राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने 69वें गणतंत्र दिवस समारोह की पूर्व संध्या पर सैन्यकर्मियों और अन्य के लिए 390 वीरता एवं रक्षा सम्मानों को मंजूरी दी थी. अशोक चक्र युद्ध के मैदान से इतर, शांतिकाल में अदम्य शौर्य दिखाने के लिये दिया जाने वाला सर्वोच्च सैन्य सम्मान है. एक अशोक चक्र के अलावा राष्ट्रपति ने पुरस्कारों की जिस सूची को मंजूरी दी है उसमें एक कीर्ति चक्र, 14 शौर्य चक्र, 28 परम विशिष्ट सेवा पदक, चार उत्तम युद्ध सेवा पदक, दो बार टू अति विशिष्ट सेवा पदक, 49 अति विशिष्ट सेवा पदक, 10 युद्ध सेवा पदक, दो बार टू सेना पदक (वीरता), 86 सेना पदक शामिल है. 

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