AAP ने कहा,‘ओलांद के खुलासे से राफेल सौदे में घोटाले की बात सामने आई है. इससे दुनिया के सामने देश को शर्मनाक स्थिति का सामना करना पड़ रहा है.’
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नई दिल्ली: आप ने कहा है कि लड़ाकू विमान राफेल की खरीद मामले में केन्द्र सरकार की गलतबयानी का फ्रांस के पूर्व राष्ट्रपति फ्रांस्वा ओलांद द्वारा खुलासा किये जाने के बाद प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी अपनी चुप्पी तोड़ कर या तो स्वयं स्पष्टीकरण दें या इस्तीफा दें.
आप नेता और दिल्ली सरकार में मंत्री गोपाल राय ने शनिवार को कहा,‘ओलांद के खुलासे से राफेल सौदे में घोटाले की बात सामने आई है. इससे दुनिया के सामने देश को शर्मनाक स्थिति का सामना करना पड़ रहा है.’
गोपाल राय ने कहा कि पिछले कई महीनों से आप सहित अन्य दल संसद एवं अन्य मंचों से राफेल खरीद सौदे में घोटाले की बात उठा रहे हैं. रक्षा मंत्री और भाजपा के नेता इस पर पर्दा डालने की लगातार कोशिश कर रहे हैं.
'प्रधानमंत्री स्थिति को स्पष्ट क्यों नहीं कर रहे हैं'
उन्होंने कहा, ‘अब ओलांद के बयान के बाद प्रधानमंत्री मोदी पर दुनिया भर में सवाल उठ रहे हैं. ऐसे में देश यह जानना चाहता है कि प्रधानमंत्री स्थिति को स्पष्ट क्यों नहीं कर रहे हैं.’
राय ने कहा,‘अगर ओलांद झूठ बोल रहे हैं, तो हमारे प्रधानमंत्री को इसका मुंहतोड़ जवाब देकर उनके झूठ का पर्दाफाश करना चाहिए और अगर ओलांद सच बोल रहे हैं तो हमारे प्रधानमंत्री को तत्काल इस्तीफा देना चाहिए क्योंकि अब इन दोनों विकल्पों के बीच अब कोई अन्य रास्ता नहीं बचा है.’
राय ने आरोप लगाया कि केन्द्र सरकार मोदी के विदेश दौरों का सच सामने आने से रोकने के लिये ही लोकपाल का गठन नहीं कर रही है. उन्होंने कहा कि आप राफेल सौदे की जांच संयुक्त संसदीय समिति को सौंपने की मांग करती है.
क्या कहा है ओलांद ने?
बता दें राफेल करार में एक फ्रेंच प्रकाशक ने कथित तौर पर पूर्व फ्रांसीसी राष्ट्रपति फ्रांस्वा ओलांद के हवाले से सनसनीखेज खुलासा करते हुए कहा कि अरबों डॉलर के इस सौदे में भारत सरकार ने अनिल अंबानी की रिलायंस डिफेंस को दसॉल्ट एविएशन का साझीदार बनाने का प्रस्ताव दिया था.
फ्रेंच भाषा के एक प्रकाशन ‘मीडियापार्ट’ की खबर में ओलांद के हवाले से कहा गया है,‘भारत सरकार ने इस सेवा समूह का प्रस्ताव दिया था और दसॉल्ट ने (अनिल) अंबानी समूह के साथ बातचीत की. हमारे पास कोई विकल्प नहीं था, हमने वह वार्ताकार लिया जो हमें दिया गया.' यह पूछे जाने पर कि साझीदार के तौर पर किसने रिलायंस का चयन किया और क्यों, ओलांद ने कहा, ‘इस संदर्भ में हमारी कोई भूमिका नहीं थी.’
खबर में ओलांद ने करार का उनकी सहयोगी जूली गायेट की फिल्म से किसी भी तरह के संबंध से इनकार किया है. पिछले महीने एक अखबार में इस आशय की खबर है. रिपोर्ट में कहा गया था कि राफेल डील पर मुहर लगने से पहले अंबानी की रिलायंस एंटरटेनमेंट ने गायेट के साथ एक फिल्म निर्माण के लिये समझौता किया था.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 10 अप्रैल 2015 को पेरिस में तत्कालीन फ्रांसीसी राष्ट्रपति फ्रांस्वा ओलांद के साथ बातचीत के बाद 36 राफेल विमानों की खरीद का ऐलान किया था. करार पर अंतिम रूप से 23 सितंबर 2016 को मुहर लगी थी.
(इनपुट - भाषा)