केंद्रीय कानून मंत्रालय ने 20 विधायकों को अयोग्य घोषित करने का नोटिफिकेशन जारी कर दिया है. आपको बता दें कि लाभ के पद के मामले में चुनाव आयोग आप के 20 विधायकों को अयोग्य घोषित करने के लिए राष्ट्रपति से सिफारिश की थी.
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नई दिल्लीः लाभ का पद मामले में आम आदमी पार्टी के 20 विधायकों को राष्ट्रपति ने अयोग्य घोषित कर दिया है. केंद्रीय कानून मंत्रालय ने इन विधायकों की अयोग्यता का नोटिफिकेशन जारी कर दिया है. आपको बता दें कि चुनाव आयोग ने राष्ट्रपित से सिफारिश की थी कि आम आदमी पार्टी के 21 विधायकों ने 13 मार्च 2015 से 8 सितंबर 2016 तक लाभ का पद रखा था. आम आदमी पार्टी ने अपने 21 विधायकों को दिल्ली सरकार के विभिन्न मंत्रालयों में संसदीय सचिव नियुक्त किया था. इन 21 विधायकों में से 1 विधायक ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया था इसलिए चुनाव आयोग का फैसला 20 विधायकों पर लागू होता है.
देरी से आया निर्णयः माकन
इस फैसले पर प्रतिक्रिया देते हुए कांग्रेस नेता अजय माकन ने कहा है कि यह आप के भ्रष्टाचार का नमूना है. केजरीवाल ने 28 लोगों को मंत्री बना रखा था. यह करप्शन का बड़ा नमूना था. उन्होंने कहा कि यह बीजेपी, आम आदमी पार्टी और चुनाव आयोग की सांठगांठ के चलते यह फैसला देरी से हुआ. यदि यह निर्णय 3 सप्ताह पहले आ जाता तो आप के यह 20 विधायक राज्यसभा चुनावों में वोट नहीं कर सकते थे.
बीजेपी की प्रतिक्रिया
बीजेपी नेता गौरव भाटिया ने कहा है कि केजरीवाल भ्रष्टाचार से लड़ने के लिए राजनीति में आए थे को अब उनको पद पर बने रहने का कोई हक नहीं है.
कपिल मिश्रा ने कहा
आप के बागी नेता कपिल मिश्रा ने कहा है कि केजरीवाल ने संविधान का उल्लंघन किया है. केजरीवाल को अपने काम पर भरोसा है तो चुनाव का सामना करें.
राजनीतिक दवाब में चुनाव आयोग ने लिया फैसलाः आप
आप के 20 विधायकों को अयोग्य घोषित किए जाने पर पार्टी नेता गोपाल राय ने कहा है कि यदि दिल्ली पर चुनाव थोपा गया तो हम कोर्ट की शरण में जाएंगे. जिस तरह से हमारी सुने बिना चुनाव आयोग ने सिफारिश भेजी उसके खिलाफ हमने राष्ट्रपति जी से गुहार लगाने की बात कही थी. लेकिन हमें बताया गया कि राष्ट्रपति जी बाहर है. आज हमें पता चला है कि ऐसा फैसला हो चुका है. हम सोमवार को हाईकोर्ट से लेकर सुप्रीम कोर्ट तक जाएंगे. चुनाव आयोग का फैसला राजनीतिक दबाव में लिया है.
क्यों रद्द हुई सदस्यता
साल 2015 फरवरी में दिल्ली विधानसभा चुनावों में 70 में से 67 सीटें जीतने वाली आम आदमी पार्टी की सरकार बनने के बाद अरविंद केजरीवाल ने पार्टी के 6 विधायकों को मंत्री बनाया था. थोड़े दिन बाद सीएम ने 21 विधायकों को दिल्ली सरकार के विभिन्न मंत्रालयों में संसदीय सचिव बना दिया था. इसी साल चुनाव आयोग ने आम आदमी पार्टी के 21 विधायकों को संसदीय सचिव बनाए जाने के खिलाफ दायर की गई याचिका पर सुनवाई शुरू की थी. सुनवाई के दौरान ही आम आदमी पार्टी के 21 में से एक विधायक जरनैल सिंह (राजौरी गार्डन) इस्तीफा दे दिया था. इसलिए उनके खिलाफ दायर मामला खत्म हो गया था.
20 विधायकों पर मामला चलता रहा. अब जब चुनाव आयोग ने इस मामले में सुनवाई पूरी करके अपना फैसला सुना दिया है. आयोग के फैसले के खिलाफ यह विधायक हाईकोर्ट में अपील कर सकते हैं. हालांकि, चुनाव आयोग के इस कदम को दिल्ली उच्च न्यायालय में चुनौती देने वाले पार्टी विधायकों को फिलहाल अदालत से कोई राहत नहीं मिल पाई थी.
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आप के जिन विधायकों को अयोग्य घोषित किया गया है, उनके नाम इस प्रकार हैं...
शरद कुमार (नरेला विधानसभा)
सोमदत्त (सदर बाजार)
आदर्श शास्त्री (द्वारका)
अवतार सिंह (कालकाजी)
नितिन त्यागी (लक्ष्मी नगर)
अनिल कुमार बाजपेयी (गांधी नगर)
मदन लाल (कस्तूरबा नगर)
विजेंद्र गर्ग विजय (राजेंद्र नगर)
शिवचरण गोयल (मोती नगर)
संजीव झा (बुराड़ी)
कैलाश गहलोत (नजफगढ़)
सरिता सिंह (रोहताश नगर)
अलका लांबा (चांदनी चौक)
नरेश यादव (महरौली)
मनोज कुमार (कौंडली)
राजेश गुप्ता (वजीरपुर)
राजेश ऋषि (जनकपुरी)
सुखबीर सिंह दलाल (मुंडका)
जरनैल सिंह (तिलक नगर)
प्रवीण कुमार (जंगपुरा)
किसने की थी शिकायत
आप पार्टी की दिल्ली सरकार ने मार्च 2015 में 21 विधायकों को संसदीय सचिव के पद पर नियुक्त किया था. इसे लाभ का पद बताते हुए प्रशांत पटेल नाम के वकील ने राष्ट्रपति के पास शिकायत की थी. पटेल ने इन विधायकों की सदस्यता खत्म करने की मांग की थी. हालांकि विधायक जनरैल सिंह के पिछले साल विधानसभा की सदस्यता से इस्तीफा देने के बाद इस मामले में फंसे विधायकों की संख्या 20 हो गई है.
केंद्र ने जताई थी आपत्ति
दूसरी तरफ, केंद्र सरकार ने विधायकों को संसदीय सचिव बनाए जाने के फैसले का विरोध करते हुए दिल्ली हाईकोर्ट में आपत्ति जताई. केंद्र सरकार ने कहा था कि दिल्ली में सिर्फ एक संसदीय सचिव हो सकता है, जो मुख्यमंत्री के पास होगा. इन विधायकों को यह पद देने का कोई संवैधानिक प्रावधान नहीं है. संविधान के अनुच्छेद 102(1)(A) और 191(1)(A) के अनुसार संसद या फिर विधानसभा का कोई सदस्य अगर लाभ के किसी पद पर होता है तो उसकी सदस्यता रद्द हो सकती है. यह लाभ का पद केंद्र और राज्य किसी भी सरकार का हो सकता है.
आप सरकार को तत्काल कोई खतरा नहीं
इस घटनाक्रम से दिल्ली की आप सरकार को तत्काल कोई खतरा नहीं है, क्योंकि 70 सदस्यीय विधानसभा में उसके 66 विधायक हैं. इसके बावजूद, भाजपा और कांग्रेस ने नैतिक आधार पर मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के इस्तीफे की मांग की थी. चुनाव आयोग की सिफारिश पर तीखी प्रतिक्रिया देते हुए आप ने दावा किया था कि मुख्य चुनाव आयुक्त प्रधानमंत्री के इशारे पर उसकी सरकार को अस्थिर करने का प्रयास कर रहे हैं. चुनाव आयोग की सिफारिश को चुनौती देते हुए इनमें से सात विधायकों ने दिल्ली उच्च न्यायालय का रुख किया था, लेकिन न्यायमूर्ति रेखा पल्ली की पीठ ने उनकी याचिका पर फिलहाल कोई अंतरिम आदेश देने से इंकार कर दिया.
पीएम मोदी को अपना ‘कर्ज चुका’ रहे हैं सीईसी- आप
चुनाव आयोग की सिफारिश पर आप ने मुख्य चुनाव आयुक्त एके जोति पर जोरदार हमला किया था. पार्टी ने उनपर आरोप लगाया कि वह 22 जनवरी को सेवानिवृत्त होने से पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को अपना ‘कर्ज चुका’ रहे हैं. आप की दिल्ली इकाई के प्रवक्ता सौरभ भारद्वाज ने कहा था, 'एके जोति गुजरात में नरेंद्र मोदी के मुख्यमंत्री रहते प्रधान सचिव थे और उसके बाद गुजरात के मुख्य सचिव रहे. वह सोमवार को सेवानिवृत्त हो रहे हैं. इसलिए आप मोदीजी को कर्ज चुकाना चाहते हैं. आप चुनाव आयोग जैसे संवैधानिक पद को गिरवी रख रहे हैं'.