गोरखपुर: 20 साल पहले निषाद परिवार ने फूंका था बीजेपी के खिलाफ बिगुल, प्रवीण हुए सफल
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गोरखपुर: 20 साल पहले निषाद परिवार ने फूंका था बीजेपी के खिलाफ बिगुल, प्रवीण हुए सफल

गोरखपुर सीट के इतिहास पर नजर डालें तो पाएंगे कि निषाद समुदाय बीजेपी को काफी लंबे अर्से से चुनौती देता रहा है. 

निषाद परिवार को बीजेपी का किला ढहाने में 20 साल लग गए...

लखनऊ: गोरखपुर लोकसभा सीट पर बीजेपी को समाजवादी पार्टी (सपा) ने तगड़ा झटका दिया है. गोरखपुर सीट बीजेपी का अभेद दुर्ग मानी जाती थी. उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का इस सीट पर 1998 से कब्जा रहा है. योगी के सांसद पद से इस्तीफा देने के बाद यह सीट खाली हुई थी. गोरखपुर में सपा के उम्मीदवार प्रवीण कुमार निषाद ने बीजेपी के उपेंद्र दत्त शुक्ला को 21,961 मतों से पराजित किया. निषाद को 4,56,437 मत हासिल हुए. उनके निकततम प्रतिद्वंदी बीजेपी के उपेंद्र दत्त शुक्ला को 4,34,476 मत मिले. कांग्रेस प्रत्याशी डॉक्टर सुरहीता करीम को 18,844 मत मिले. 

  1. गोरखपुर सीट पर बीजेपी को सपा ने तगड़ा झटका दिया
  2. गोरखपुर सीट बीजेपी का अभेद दुर्ग मानी जाती थी
  3. योगी आदित्यनाथ का इस सीट पर 1998 से कब्जा रहा है

गोरखपुर सीट के इतिहास पर नजर डालें तो पाएंगे कि निषाद समुदाय बीजेपी को काफी लंबे अर्से से चुनौती देता रहा है. इस लड़ाई की शुरुआत जमुना निषाद और उनके परिवार ने की. हालांकि वे सफल नहीं हुए लेकिन प्रवीण ने इस हारी लड़ाई को जीतकर इतिहास बना डाला. इस प्रतिष्ठित सीट पर योगी आदित्यनाथ और जमुना निषाद व उनकी पत्नी चार बार एक दूसरे के खिलाफ मैदान में उतरे लेकिन हर बार बाजी योगी आदित्यनाथ के हाथ लगी.

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ पांच बार इस सीट से सांसद निर्वाचित हुए. उन्होंने तीन बार जमुना निषाद और एक बार उनकी पत्नी राजमती निषाद को शिकस्त दी. लेकिन सपा प्रत्याशी प्रवीण निषाद ने बीजेपी का तिलिस्म तोड़कर जमुना निषाद परिवार को मिली हार का हिसाब चुकता कर लिया. निषाद परिवार को बीजेपी का किला ढहाने में 20 साल लग गए लेकिन सफलता प्रवीण निषाद को मिली. 

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जब हारते-हारते बचे थे योगी आदित्यनाथ
गोरखपुर की सीट पर 1998 में योगी आदित्यनाथ पहली बार मैदान में उतरे थे. उनका मुकाबला सपा प्रत्याशी जमुना निषाद से था. योगी ने 26206 वोटो से जीत दर्ज कर संसद की राह पकड़ी थी. बाद में 1999 में हुए लोकसभा चुनाव में एक बार फिर जमुना निषाद से उनका सामना हुआ. इस बार के चुनाव में जमुना ने योगी आदित्यनाथ को कड़ी टक्कर दी. योगी यह चुनाव सिर्फ 7339 वोटों से जीत पाए थे.  

कड़ी टक्कर के बाद योगी ने बदली रणनीति
पिछले दो चुनावों में जमुना निषाद से कड़ी टक्कर मिलने के बाद योगी आदित्यनाथ ने 2004 के चुनाव में प्रचार को काफी हद तक हिंदू बनाम मुस्लिम कर दिया. वे अपने भाषणों में कहने लगे थे कि कोई परिवार किसी भी पार्टी का सपोर्टर हो लेकिन, अगर वह हिन्दू है तो उसके एक सदस्य को उन्हें जरूर वोट देना चाहिए. योगी की रणनीति सफल रही और 2004 के चुनाव में उन्होंने जमुना प्रसाद निषाद को 142039 वोटों से हराया. 

कट्टर हिन्दुत्व की छवि बनने के बाद योगी आदित्यनाथ ने साल 2009 के आम चुनाव में पूर्व मंत्री हरिशंकर तिवारी के बेटे विनय शंकर तिवारी को 220271 वोटों से हराया. साल 2014 में एक बार फिर योगी आदित्यनाथ का मुकाबला जमुना प्रसाद निषाद की पत्नी राजमति निषाद से हुआ, जिसमें योगी आदित्यनाथ ने उन्हें रिकॉर्ड 312783 मतों से शिकस्त दी.

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