कांग्रेस के 'चाणक्‍य' अहमद पटेल की ममता बनर्जी से मुलाकात, पार्टी ने प्‍लान B के दिए संकेत
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कांग्रेस के 'चाणक्‍य' अहमद पटेल की ममता बनर्जी से मुलाकात, पार्टी ने प्‍लान B के दिए संकेत

इस मुलाकात के बाद ये संकेत निकल रहे हैं कि सत्तारूढ़ बीजेपी के खिलाफ विपक्षी गठबंधन में शामिल होने में कांग्रेस की रूचि हो सकती है.

कहा जा रहा है कि सोनिया गांधी के इशारे पर अहमद पटेल ने सोनिया गांधी से मुलाकात की.(फाइल फोटो)

नई दिल्‍ली: यूपीए अध्‍यक्ष सोनिया गांधी के राजनीतिक सलाहकार और कांग्रेस के 'चाणक्‍य' माने जाने वाले अहमद पटेल ने नीति आयोग की बैठक में हिस्‍सा लेने आईं पश्चिम बंगाल की मुख्‍यमंत्री और तृणमूल कांग्रेस की नेता ममता बनर्जी से रविवार को मुलाकात की. उनकी मुलाकात इसलिए बेहद दिलचस्‍प मानी जा रही है क्‍योंकि अभी तक कांग्रेस की अगुआई वाली विपक्षी एकजुटता के प्रति ममता बनर्जी ने बहुत दिलचस्‍पी नहीं दिखाई है. यह भी कहा जाता है कि राहुल गांधी को विपक्ष का नेता मानने के लिए भी ममता बनर्जी तैयार नहीं हैं. इसके इतर उन्‍होंने तेलंगाना के मुख्‍यमंत्री के चंद्रशेखर राव के साथ मिलकर गैर-बीजेपी और गैर-कांग्रेसी, फेडरल फ्रंट बनाने की वकालत की है.

  1. ममता बनर्जी फेडरल फ्रंट के गठन की समर्थक
  2. राज्‍यसभा उपसभापति का होने जा रहा चुनाव
  3. कांग्रेस और टीएमसी दोनों ही प्रत्‍याशी उतारने के इच्‍छुक

मुलाकात के मायने
लिहाजा इन सबके बीच इस मुलाकात के बाद ये संकेत निकल रहे हैं कि सत्तारूढ़ बीजेपी के खिलाफ विपक्षी गठबंधन में शामिल होने में कांग्रेस की रूचि हो सकती है. इस संबंध में तृणमूल कांग्रेस से जुड़े एक सूत्र ने कहा, ''ममता से अहमद पटेल की मुलाकात राजनीतिक महत्व रखती हैं क्योंकि संभावित तौर पर कांग्रेस नेता सोनिया गांधी ने उन्हें मुख्यमंत्री से मुलाकात के लिए कहा था. ममता बीजेपी के खिलाफ सभी दलों को एकजुट करने में अग्रणी भूमिका निभा रही हैं और स्पष्ट तौर पर कांग्रेस भी इसका हिस्सा बनना चाहती है.''

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इससे साफ संकेत निकलता है कि कांग्रेस विपक्ष की धुरी बनने के लिए तो तैयार है ही लेकिन यदि उसको अगुआई का मौका नहीं मिलता तो 2019 में पीएम मोदी के चुनावी रथ को रोकने के लिए वह किसी अन्‍य गठबंधन का हिस्‍सा भी बनने को तैयार दिखती है. सूत्रों के हवाले से यह भी कहा जा रहा है कि अहमद पटेल ने ममता बनर्जी से राज्‍यसभा में उपसभापति के चुनाव में कांग्रेस प्रत्‍याशी के पक्ष में समर्थन भी मांगा.

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ममता बनर्जी ने फेडरल फ्रंट के गठन का प्रस्‍ताव दिया है.(फाइल फोटो)

राज्यसभा उपसभापति का चुनाव
उधर राज्यसभा उपसभापति चुनाव में तीन क्षेत्रीय दलों बीजद, टीआरएस और वाईएसआरसीपी की निर्णायक भूमिका को देखते हुए सत्तारूढ़ एनडीए और विपक्षी पार्टियां इन दलों को लुभाने का प्रयास कर रही हैं. उच्च सदन में बीजेपी की पूर्व सहयोगी तेलुगु देसम को मिलाकर विपक्ष के कुल सदस्यों की संख्या 117 है. हालांकि 245 सदस्यीय सदन में जीतने वाले उम्मीदवार को 122 मतों की जरूरत होगी.

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बीजेपी उच्च सदन में सबसे बड़ी पार्टी है. उसे 106 सदस्यों का समर्थन हासिल है. इसमें अन्नाद्रमुक के भी 14 सदस्य शामिल हैं. सूत्रों के अनुसार तृणमूल कांग्रेस नेता डेरेक ओ ब्रायन विपक्ष की तरफ से एक गैर-कांग्रेसी, लेकिन कांग्रेस समर्थित उम्मीदवार उतारने पर आम सहमति बनाने का प्रयास कर रहे हैं. इस पद के लिये तृणमूल सांसद सुखेंदु शेखर रॉय और बीजद के प्रसन्न आचार्य के नाम की चर्चा है. हालांकि सूत्रों के मुताबिक कांग्रेस भी अपने प्रत्‍याशी को उतारना चाहती है. अहमद पटेल और ममता बनर्जी की मुलाकात को इस कड़ी से भी जोड़कर देखा जा रहा है.

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बीजद के राज्यसभा में नौ सदस्य हैं. हालांकि वह बीजेपी और कांग्रेस से समान दूरी रख रही है और वह किस तरफ जाएगी, इस पर उसने अब तक फैसला नहीं किया है. इसी तरह टीआरएस के राज्यसभा में छह और वाईएसआरसीपी के दो सदस्य हैं. उन्होंने भी इस महत्वपूर्ण चुनाव को लेकर अपने पत्ते नहीं खोले हैं. इस चुनाव को विपक्ष की एकता के लिये परीक्षा के तौर पर देखा जा रहा है.

सूत्रों के अनुसार, इन तीन पार्टियों के 17 सदस्य राज्यसभा का अगला उपसभापति चुनने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे. सत्तारूढ़ दल के रणनीतिकार भी इन तीनों दलों के संपर्क में हैं, क्योंकि इन पार्टियों ने पिछले साल राष्ट्रपति चुनाव के दौरान बीजेपी का समर्थन किया था. बीजद ने हालांकि उप राष्‍ट्रपति चुनाव के लिये कांग्रेस उम्मीदवार को अपना समर्थन दिया था.

(इनपुट: एजेंसी भाषा से भी)

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