चीन की किसी भी चुनौती का सामना करने के लिए तैयार: एयर चीफ बीएस धनोआ
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चीन की किसी भी चुनौती का सामना करने के लिए तैयार: एयर चीफ बीएस धनोआ

 एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि वायुसेना दो मोर्चों पर युद्ध की चुनौती के लिये तैयार है.

वायुसेना प्रमुख बीएस धनोआ (फाइल फोटो)

नई दिल्ली: वायुसेना प्रमुख बी एस धनोवा ने गुरुवार (5 अक्टूबर) को कहा कि भारतीय वायु सेना चीन का मुकाबला करने में सक्षम है और दो मोर्चों पर युद्ध की स्थित का सामना करने के लिये तैयार है. वायुसेना दिवस की पूर्व संध्या पर एक संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुये एयर चीफ मार्शल ने कहा कि उनका बल पूर्ण विस्तार वाले अभियान के लिये तैयार है. हालांकि उन्होंने साफ किया कि वायुसेना को शामिल करते हुये सर्जिकल स्ट्राइक पर कोई भी फैसला सरकार को लेना है. उन्होंने कहा, ''हम किसी भी चुनौती का मुकाबला करने के लिये तैयार हैं.'' एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि वायुसेना दो मोर्चों पर युद्ध की चुनौती के लिये तैयार है.

  1. कहा कि वायुसेना दो मोर्चों पर युद्ध की चुनौती के लिये तैयार.
  2. चीन का मुकाबला करने के लिए पूरी तरह सक्षम.
  3. वायुसेना 2032 तक अपनी 42 फाइटर स्क्वाड्रन की क्षमता हासिल करेगी.

सेना प्रमुख जनरल बिपिन रावत ने पिछले महीने कहा था कि देश को दो मोर्चों पर युद्ध के लिये तैयार रहना चाहिये. उन्होंने जोर देकर कहा कि चीन ने ''अपनी ताकत का प्रदर्शन'' शुरू कर दिया है जबकि पाकिस्तान की तरफ से भी शांति की कोई गुंजाइश नहीं है जिसका सैन्य और राजनीतिक नेतृत्व भारत में एक विरोधी को देखता है. वायु सेना प्रमुख ने यह भी कहा कि वायुसेना 2032 तक अपनी 42 फाइटर स्क्वाड्रन की क्षमता हासिल कर लेगी.

दो मोर्चो के युद्ध के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा, "पूर्ण विस्तारित अभियान के लिए हमें 42 स्क्वाड्रन की जरूरत है, लेकिन इसका यह मतलब नहीं है कि हम दो मोर्चो पर नहीं लड़ सकते. हमारे पास प्लान बी है." उन्होंने यह भी कहा कि वर्तमान के भूराजनीतिक परिदृश्य में दो मोर्चो पर युद्ध की संभावना कम है. उन्होंने कहा कि हमारे पास पूर्वी (चीन) दिशा से किसी भी खतरे का सामना करने की पर्याप्त क्षमता है. 

वायुसेना प्रमुख ने यह भी कहा कि सवाल यह है कि क्या चीन, भारत के खिलाफ तिब्बत से काम कर सकता है या नहीं. उन्होंने यह भी कहा कि चीनी सेना अभी भी चुम्बी घाटी में तैनात हैं, जिसमें डोकालम भी शामिल है. हम आशा करते हैं कि वे अपना अभ्यास खत्म कर वहां से लौट जाएंगे. उन्होंने यह भी कहा कि 70 दिनों के लंबे डोकलाम गतिरोध के दौरान आसमान में दोनों सेनाओं के बीच किसी तरह का आमना-सामना नहीं हुआ और न ही किसी तरह का उल्लंघन हुआ. उन्होंने कहा, मैं इस अवसर पर देश के आसमान की संप्रभुता के बचाव के हमारे पवित्र संकल्प के बारे में अपने देशवासियों को आश्वस्त करता हूं."

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