केंद्रीय मंत्री अनंत कुमार हेगड़े ने अपने संबोधन के दौरान कहा, 'कांग्रेस ने देश में 70 साल तक राज किया है और इसलिए हम प्लास्टिक की कुर्सियों पर बैठे हैं. अगर हमने 70 सालों तक सरकार चलाई होती तो आज जनता प्लास्टिक नहीं बल्कि चांदी की कुर्सियों पर बैठती'.
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बेंगलुरु: अपने बयानों को लेकर हमेशा सुर्खियों में रहने वाले केंद्रीय मंत्री अनंत कुमार हेगड़े एक बार फिर चर्चा में हैं. अनंद कुमार हेगड़े ने 28 जून को एक कार्यक्रम में संबोधन के दौरान विपक्ष पर निशाना साधते हुए विवादित बयान दिया है. यहां तक कि उन्होंने विपक्षी दलों की तुलना कौवा, बंदर और भालू से कर दी. वहीं, अपने संबोधन में उन्होंने पीएम मोदी और अमित शाह को टाइगर बताया है. हेगड़े ने कहा, कांग्रेस ने देश में 70 साल तक राज किया जिसके कारण वर्तमान में हम प्लास्टिक की कुर्सियों पर बैठ रहे हैं, अगर बीजेपी ने 70 साल सत्ता पर राज किया तो जनता चांदी की कुर्सियों पर सिंहासन लगा कर बैठती.
केंद्रीय मंत्री अनंत कुमार हेगड़े ने अपने संबोधन के दौरान कहा, 'कांग्रेस ने देश में 70 साल तक राज किया है और इसलिए हम प्लास्टिक की कुर्सियों पर बैठे हैं. अगर हमने 70 सालों तक सरकार चलाई होती तो आज जनता प्लास्टिक नहीं बल्कि चांदी की कुर्सियों पर बैठती'.
We are sitting on plastic chairs isn't it?(asking the audience). This is due to Congress rule, had we ruled for 70 years, you would have been sitting on silver chairs.: Ananthkumar Hegde,Union Minister (28.6.18) pic.twitter.com/LkMtO5PtgZ
— ANI (@ANI) June 29, 2018
विपक्ष की तुलना पक्षियों और जानवरों से करते हुए उन्होंने कहा, 'एक तरफ कौवां, बंदर और लोमड़ी सब इक्टठे हो गए हैं तो वहीं हमारे पास टाइगर है. 20-19 में आप टाइगर को चुनें. हेगड़े के इस बयान के बाद राज्य में सियासत गर्माई हुई है'.
On one side crows, monkeys, foxes and others have come together, On the other side we have a tiger. In 2019, choose to elect the tiger: Ananthkumar Hegde,Union Minister in Karnataka's Karwar (28.6.18) pic.twitter.com/6V6G3iCfAa
— ANI (@ANI) June 29, 2018
उल्लेखनीय है कि, अनंत कुमार हेगड़े अक्सर विवादित बयानों को लेकर सुर्खियों में रहते हैं. इससे पहले अनंत कुमार ने धर्मनिरपेक्ष लोग अपनी जड़ों से अनजान होते हैं. कर्नाटक से पांच बार के लोकसभा सदस्य हेगड़े ने कहा कि यह नई परंपरा चलन में है जिसमें लोग खुद को धर्मनिरपेक्ष बताते हैं.